अलीगढ़ः जिले में बच्चों ने अपनी गुल्लक फोड़कर श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए धनराशि समर्पित की है. गांधी शिशु शिक्षा निकेतन पर आरएसएस के एक कार्यक्रम में बच्चों ने गुल्लक की धनराशि भेंट की. राम मंदिर निर्माण के लिए धनराशि संग्रह का काम व्यापक स्तर पर किया जा रहा है. इसमें बच्चों को भी जोड़ा गया है.
बच्चों ने श्रीराम मंदिर के लिए दी धनराशि
बच्चों को 11 जनवरी को ही गुल्लक दे दी गयी थी. मम्मी-पापा से जो पॉकेट मनी मिलती थी. उसको बच्चे गुल्लक में डाल देते थे. वहीं 20 दिन बाद बच्चों की गुल्लक को तोड़ा गया और गुल्लक से निकली धनराशि को मंदिर निर्माण के लिए समपर्पित किया गया. शनिवार को बच्चों को इसका कूपन भी दिया गया. हालांकि बच्चों की गुल्लक से कितना कलेक्शन हुआ, इसका खुलासा नहीं किया गया. लेकिन बच्चों की गुल्लक से 10 रुपये से लेकर ढाई सौ रुपये तक पाये गये.
राम जैसे चरित्र का निर्माण करना है
आरएसएस की ओर से गुल्लक निधि संग्रह कार्यक्रम चलाया गया है. इसमें 30 से 35 बच्चों को गुल्लक दी गयी थी. अनुभूति फाउंडेशन की राधा चौहान ने बताया कि इसका मकसद सिर्फ इतना है कि बच्चों के भीतर राम जैसे चरित्र का निर्माण करना है.
राम मंदिर देश की अस्मिता से जुड़ा
वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपाशंकर सिंह ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के सभी कूपन खत्म हो गये हैं. वहीं लक्ष्य के हिसाब से 70 फीसदी घरों तक राम मंदिर निर्माण धन संग्रह करने के लिए कार्यकर्ता पहुंचे हैं. उन्होंने बताया कि मजदूर और भिखारी भी उत्साह से अंशदान कर रहे हैं. इसमें बसपा, कांग्रेस से लेकर दूसरे धर्म के लोग भी राम मंदिर निर्माण के लिए दिल खोलकर सहयोग कर रहे हैं. आरएसएस के क्षेत्र प्रचार प्रमुख ने कहा कि राम मंदिर सिर्फ मंदिर का नहीं गौरव का विषय है. संपूर्ण विश्व में भारत का सिर ऊचा करने का समय है. उन्होंने कहा कि मंदिर तो बहुत हैं. देश में इसकी कोई कमी नहीं है. लेकिन अयोध्या में राम मंदिर से देश की अस्मिता जुड़ी है. उन्होंने कहा कि देश की आत्मा बहुत ताकतवर है. अगर आत्मा कमजोर होती तो गांव में कोरोना वायरस फैल गया होता. अमेरिका, इंग्लैंड में तीसरी-चौथी बार लॉकडाउन लग गया. लेकिन भारत देश की आत्मा में बहुत ताकत है. उन्होंने कहा कि भारत ने दूसरे देशों को वैक्सीन दी है. लेकिन अमेरिका किसी को वैक्सीन नहीं भेज सका. जबकि वो दुनिया के ताकतवर देशों में शुमार है.