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आठ घंटे की सर्जरी से AMU के डॉक्टरों ने टेढ़ी रीढ़ की हड्डी की सीधी, किशोर को मिला नया जीवन

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Published : Jun 25, 2022, 9:56 PM IST

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के सर्जन और डॉक्टरों ने एक 16 वर्षीय किशोर को नया जीवन दिया है. डॉक्टरों ने आठ घंटे की सर्जरी से किशोर की टेढ़ी रीढ़ की हड्डी को सीधा कर दिया.

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अलीगढ़ - आठ घंटे की दुर्लभ सर्जरी कर AMU डाक्टरों ने टेढ़ी रीढ़ की हड्डी को सीधा कर किशोर को दिया नया जीवन

अलीगढ़ः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के सर्जन और डॉक्टरों ने एक 16 वर्षीय किशोर को नया जीवन दिया है. डॉक्टरों ने आठ घंटे की सर्जरी से किशोर की टेढ़ी रीढ़ की हड्डी को सीधा कर दिया. गंभीर चोट के कारण किशोर लगभग होश खो बैठा था. नई दिल्ली के एक बड़े अस्पताल ने प्रारंभिक उपचार के बाद उसे लौटा दिया था.

हॉस्पिटल के एनेस्थिसियोलॉजी, क्रिटिकल केयर एंड न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. एम. ताबिश खान, डॉ. मोअज्जम हसन और डॉ. आतिफ खालिद की टीम ने यह चुनौती स्वीकारी. इस टीम ने लगभग 8 घंटे की सर्जरी की. इस सर्जरी से टेढ़ी रीढ़ की हड्डी को सीधा किया गया. मरीज की हालत में अब सुधार हो रहा है.

एनेस्थिसियोलॉजी और क्रिटिकल केयर विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर काजी एहसान अली ने कहा कि रीढ़ की हड्डी की चोट सर्जन और एनेस्थिसियोलॉजिस्ट के लिए एक चुनौती थी, जिसे पहले एक स्थायी और अपरिवर्तनीय विकलांगता माना जाता था. इस सर्जरी से सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं.

अलीगढ़ः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के सर्जन और डॉक्टरों ने एक 16 वर्षीय किशोर को नया जीवन दिया है. डॉक्टरों ने आठ घंटे की सर्जरी से किशोर की टेढ़ी रीढ़ की हड्डी को सीधा कर दिया. गंभीर चोट के कारण किशोर लगभग होश खो बैठा था. नई दिल्ली के एक बड़े अस्पताल ने प्रारंभिक उपचार के बाद उसे लौटा दिया था.

हॉस्पिटल के एनेस्थिसियोलॉजी, क्रिटिकल केयर एंड न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. एम. ताबिश खान, डॉ. मोअज्जम हसन और डॉ. आतिफ खालिद की टीम ने यह चुनौती स्वीकारी. इस टीम ने लगभग 8 घंटे की सर्जरी की. इस सर्जरी से टेढ़ी रीढ़ की हड्डी को सीधा किया गया. मरीज की हालत में अब सुधार हो रहा है.

एनेस्थिसियोलॉजी और क्रिटिकल केयर विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर काजी एहसान अली ने कहा कि रीढ़ की हड्डी की चोट सर्जन और एनेस्थिसियोलॉजिस्ट के लिए एक चुनौती थी, जिसे पहले एक स्थायी और अपरिवर्तनीय विकलांगता माना जाता था. इस सर्जरी से सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं.

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