आगरा. 22 मार्च को पूरे विश्व में विश्व जल दिवस मनाया जाता है लेकिन ताजनगरी के कई इलाकों में जल संकट बना हुआ है. यहां कई सालों से हालात एक जैसे हैं. वार्ड नंबर 65 प्रकाश नगर में 11 साल पहले गंगाजल की पाइप लाइन बिछाई गई थी लेकिन 11 सालों में एक बार भी पानी की सप्लाई न होने से 4 करोड़ 80 लाख बर्बाद हो गए. क्षेत्र के पार्षद पति अरविंद मथुरिया ने बताया कि पूरे शहर में कई ऐसे इलाके हैं जहां गंगाजल नहीं मिल रहा है. हमारे वार्ड 65 में यमुना का पानी भी नहीं मिलता. मजबूरन लोगों को पानी खरीद कर पीना पड़ता है.
पार्षद पति अरविंद ने बताया कि भीम नगरी सजने के दौरान वार्ड नंबर 65 में 4 करोड़ 80 लाख की लागत से इस क्षेत्र में पाइप लाइन बिछाई गई थी. पाइप लाइन बिछाने का मुख्य उद्देश्य यह था कि घर-घर लोगों को सप्लाई का पानी मिल सके. ठीक 11 साल होने को आ गए अभी तक एक भी घर को पानी नहीं मिला. अमृत योजना के तहत गंगाजल की सप्लाई इस क्षेत्र में होनी थी लेकिन अधिकारियों ने साफ तौर पर कहा कि पाइप लाइन काफी पुरानी हो चुकी है. पुरानी पाइप में पानी की सप्लाई नहीं हो सकता. पानी सप्लाई के लिए दोबारा से पाइप लाइन बिछाने होगी.
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क्षेत्र की लीला ने बताया कि पानी बिल्कुल खारा है, पीने योग्य नहीं है. नमकीन पानी से न तो खाना बनता है और न इसे पिया जा सकता है. न ही कुछ काम किया जा सकता है. इस वजह से मजबूरन लोगों को प्रतिदिन 50 रुपये का पानी खरीदकर पीते हैं. यहां रहने वाले अधिकतर लोग मजदूर श्रेणी के हैं जिनका औसत वेतन 7 से 8 हजार रुपये के आसपास है. लोगों को मजबूरी में खरीदकर पानी पीना पड़ता है. वहीं, जलकल विभाग के महाप्रबंधक आरएस यादव ने बताया कि आगरा की जनता को 250 एमएलडी की जरूरत होती है. हम 350 एमएलडी पानी ज्यादा देते हैं. ऐसे में हर घर में गंगाजल पहुंचता है. इसलिए बहुत ही कम जनता को खरीद का पानी पीना पड़ता है.
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