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Air force day : यहां हर साल तैयार होते हैं 13 हजार लड़ाके, 25 हजार फुट से लगा सकते हैं छलांग

आज 8 अक्टूबर को 87वां एयरफोर्स डे मनाया जा रहा है. उत्तर प्रदेश के आगरा में पैराजंपिंग ट्रेनिंग स्कूल यानि पीटीएस में हर साल 13 हजार कमांडो को ट्रेनिंग दी जाती है. क्रिकेटर महेंद्र सिंह धौनी ने भी यहीं से ट्रेनिंग हासिल की थी.

87 वां एयरफोर्स डे
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Published : Oct 8, 2019, 3:14 PM IST

आगरा: निडर...चीते जैसी फुर्ती... बुलंद हौसले... मजबूत इरादे... पलक झपकते ही किसी खतरे को भांपने में सक्षम... और हर मुश्किल को मात देने में माहिर. ऐसे कमांडो को आगरा का पैरा ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) और जोशीला बनाता है. यहां पर गरुड़ कमांडो, मरीन कमांडो और मारकोस कमांडो के साथ ही दूसरे कमांडो को भी स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे वह और फौलादी बन जाते हैं. देश के एकमात्र पीटीएस आगरा को 'स्काई हॉक्स' कहा जाता है. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने भी आगरा पीटीएस में ट्रेनिंग ली थी. यहां हर साल 13 हजार कमांडो को पैराजंपिंग की ट्रेनिंग दी जाती है. मलपुरा ड्रॉपिंग जोन पर हर दिन 300 कमांडोज जंप करते हैं और साल में 50 हजार से ज्यादा जंप कराई जाती हैं.

1अगस्त 1949 को हुई थी शुरुआत
यहां ट्रेनिंग की शुरुआत 1अगस्त सन् 1949 में की गई थी. यह 'स्काई हॉक्स' के नाम से फेमस है. आगरा पीटीएस के प्रभारी केबीएस साम्यल ने बताया कि इसमें तीनों सेनाओं के कमांडो की ट्रेनिंग होती है. तीनों फोर्स के कमांडो का चयन करके यहां ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है. इनमें एयरफोर्स के गरुण कमांडो, नेवी के मरीन और नौसेना के मारकोस कमांडो को पैराजंपिंग की ट्रेनिंग दी जाती है.

एयरफोर्स डे स्पेशल.
अन्य देशों के कमांडो भी करते हैं ट्रेनिंग
स्क्वाड्रन वी त्यागी ने बताया कि आगरा के पीटीएस में विदेशी कमांडो को भी पैराजंपिंग की बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है. यहां पर भारतीय सेना, एयरफोर्स के अलावा मित्र देशों के कमांडो भी हर साल बड़ी संख्या में पैराजंपिंग की ट्रेनिंग लेते हैं. इसमें श्रीलंका, म्यांमार सहित अन्य देशों के कमांडो शामिल होते हैं.

दो तरह की दी जाती है ट्रेनिंग...
आगरा पीटीएस में दो तरह की पैराजंपिंग की ट्रेनिंग दी जाती है. पहली स्टार्टिंग लाइन और दूसरी फ्री फाल ट्रेनिंग. स्टार्टिंग लाइन पैरा ट्रेनिंग में पहली जंप 1250 फीट की ऊंचाई से पीटीएम पैराशूट से कराई जाती है. इसके बाद फ्री फाल ट्रेनिंग 30 जंप की होती है. इसमें पहली जंप 5500 फीट की ऊंचाई से कराई जाती है और फिर इसकी ऊंचाई बढ़ती जाती है. जिसमें 15 हजार फीट से ऊपर जाने पर ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ जंप कराई जाती है. वहीं 25 हजार फीट की ऊंचाई तक कमांडो को जंप कराई जाती है.

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87 वां एयरफोर्स डे


12 दिन का कराया जाता है बेसिक कोर्स...
स्क्वाड्रन वी त्यागी ने बताया कि आगरा पीटीएस में पहले स्पेशल हैंगर में 12 दिन की पैराजंपिंग ट्रेनिंग दी जाती है. इन दिनों में सर्वश्रेष्ठ बनना या फेल होकर वापस जाना होता है. फिर फाइनल जंप का रिहर्सल कराया जाता है और रिहर्सल में पास होने के बाद ही जंपर को विमान से कूदने का मौका मिलता है. हर कमांडो को पांच जंप कराई जाती हैं इनमें चार जंप दिन में और एक जंप रात में कराई जाती है.

इसे भी पढ़ें:- इंडियन एयरफोर्स का 'पावर सेंटर' है आगरा एयरफोर्स स्टेशन

जानिए किस प्रकार के दिए जाते हैं टास्क
पैरा कमांडो के जिम्मे स्पेशल ऑपरेशन, डायरेक्ट एक्शन, बंधक समस्या, आतंकवाद विरोधी अभियान, गैरपरंपरागत हमले, विशेष टोही मुहिम, विदेश में आंतरिक सुरक्षा, विद्रोह को कुचलने, दुश्मन को तलाशने और तबाह करने जैसे टास्क दिए जाते हैं

इन ऑपरेशन में दिखा आगरा पीटीएस का दम
4 जून 2015 को मणिपुर में उग्रवादियों ने देश के 18 जवानों को शहीद किया. इसका बदला लेने का काम पैरा कमांडो को सौंपा गया था. सभी कमांडो ने आगरा पीटीएस में स्पेशल पैराजंपिंग ट्रेनिंग ली थी. इन कमांडो ने म्यांमार सीमा में घुसकर 38 उग्रवादियों को ढेर कर दिया था. वहीं 29 सितम्बर 2016 को पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों को ढेर किया था. सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले इन स्पेशल कमांडो की भी ट्रेनिंग आगरा के पीटीएस (पैरा ट्रेनिंग स्कूल) में ही हुई थी.

ट्रेनिंग के स्पेशल 3 पार्ट

  • पहला इसमें एएन- 32 एयरक्राफ्ट से एग्जिट होना.
  • दूसरा एयरक्राफ्ट से आउट लैन्डिंग करना.
  • तीसरा एयरक्राफ्ट से लैन्डिंग पैरा फॉल जो ट्रनिंग का सबसे कठिन हिस्सा होता है.

आगरा: निडर...चीते जैसी फुर्ती... बुलंद हौसले... मजबूत इरादे... पलक झपकते ही किसी खतरे को भांपने में सक्षम... और हर मुश्किल को मात देने में माहिर. ऐसे कमांडो को आगरा का पैरा ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) और जोशीला बनाता है. यहां पर गरुड़ कमांडो, मरीन कमांडो और मारकोस कमांडो के साथ ही दूसरे कमांडो को भी स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे वह और फौलादी बन जाते हैं. देश के एकमात्र पीटीएस आगरा को 'स्काई हॉक्स' कहा जाता है. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने भी आगरा पीटीएस में ट्रेनिंग ली थी. यहां हर साल 13 हजार कमांडो को पैराजंपिंग की ट्रेनिंग दी जाती है. मलपुरा ड्रॉपिंग जोन पर हर दिन 300 कमांडोज जंप करते हैं और साल में 50 हजार से ज्यादा जंप कराई जाती हैं.

1अगस्त 1949 को हुई थी शुरुआत
यहां ट्रेनिंग की शुरुआत 1अगस्त सन् 1949 में की गई थी. यह 'स्काई हॉक्स' के नाम से फेमस है. आगरा पीटीएस के प्रभारी केबीएस साम्यल ने बताया कि इसमें तीनों सेनाओं के कमांडो की ट्रेनिंग होती है. तीनों फोर्स के कमांडो का चयन करके यहां ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है. इनमें एयरफोर्स के गरुण कमांडो, नेवी के मरीन और नौसेना के मारकोस कमांडो को पैराजंपिंग की ट्रेनिंग दी जाती है.

एयरफोर्स डे स्पेशल.
अन्य देशों के कमांडो भी करते हैं ट्रेनिंग
स्क्वाड्रन वी त्यागी ने बताया कि आगरा के पीटीएस में विदेशी कमांडो को भी पैराजंपिंग की बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है. यहां पर भारतीय सेना, एयरफोर्स के अलावा मित्र देशों के कमांडो भी हर साल बड़ी संख्या में पैराजंपिंग की ट्रेनिंग लेते हैं. इसमें श्रीलंका, म्यांमार सहित अन्य देशों के कमांडो शामिल होते हैं.

दो तरह की दी जाती है ट्रेनिंग...
आगरा पीटीएस में दो तरह की पैराजंपिंग की ट्रेनिंग दी जाती है. पहली स्टार्टिंग लाइन और दूसरी फ्री फाल ट्रेनिंग. स्टार्टिंग लाइन पैरा ट्रेनिंग में पहली जंप 1250 फीट की ऊंचाई से पीटीएम पैराशूट से कराई जाती है. इसके बाद फ्री फाल ट्रेनिंग 30 जंप की होती है. इसमें पहली जंप 5500 फीट की ऊंचाई से कराई जाती है और फिर इसकी ऊंचाई बढ़ती जाती है. जिसमें 15 हजार फीट से ऊपर जाने पर ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ जंप कराई जाती है. वहीं 25 हजार फीट की ऊंचाई तक कमांडो को जंप कराई जाती है.

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87 वां एयरफोर्स डे


12 दिन का कराया जाता है बेसिक कोर्स...
स्क्वाड्रन वी त्यागी ने बताया कि आगरा पीटीएस में पहले स्पेशल हैंगर में 12 दिन की पैराजंपिंग ट्रेनिंग दी जाती है. इन दिनों में सर्वश्रेष्ठ बनना या फेल होकर वापस जाना होता है. फिर फाइनल जंप का रिहर्सल कराया जाता है और रिहर्सल में पास होने के बाद ही जंपर को विमान से कूदने का मौका मिलता है. हर कमांडो को पांच जंप कराई जाती हैं इनमें चार जंप दिन में और एक जंप रात में कराई जाती है.

इसे भी पढ़ें:- इंडियन एयरफोर्स का 'पावर सेंटर' है आगरा एयरफोर्स स्टेशन

जानिए किस प्रकार के दिए जाते हैं टास्क
पैरा कमांडो के जिम्मे स्पेशल ऑपरेशन, डायरेक्ट एक्शन, बंधक समस्या, आतंकवाद विरोधी अभियान, गैरपरंपरागत हमले, विशेष टोही मुहिम, विदेश में आंतरिक सुरक्षा, विद्रोह को कुचलने, दुश्मन को तलाशने और तबाह करने जैसे टास्क दिए जाते हैं

इन ऑपरेशन में दिखा आगरा पीटीएस का दम
4 जून 2015 को मणिपुर में उग्रवादियों ने देश के 18 जवानों को शहीद किया. इसका बदला लेने का काम पैरा कमांडो को सौंपा गया था. सभी कमांडो ने आगरा पीटीएस में स्पेशल पैराजंपिंग ट्रेनिंग ली थी. इन कमांडो ने म्यांमार सीमा में घुसकर 38 उग्रवादियों को ढेर कर दिया था. वहीं 29 सितम्बर 2016 को पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों को ढेर किया था. सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले इन स्पेशल कमांडो की भी ट्रेनिंग आगरा के पीटीएस (पैरा ट्रेनिंग स्कूल) में ही हुई थी.

ट्रेनिंग के स्पेशल 3 पार्ट

  • पहला इसमें एएन- 32 एयरक्राफ्ट से एग्जिट होना.
  • दूसरा एयरक्राफ्ट से आउट लैन्डिंग करना.
  • तीसरा एयरक्राफ्ट से लैन्डिंग पैरा फॉल जो ट्रनिंग का सबसे कठिन हिस्सा होता है.
Intro:एयरफोर्स डे पर स्पेशल स्टोरी है। 8 अक्टूबर का 87 वां एयरफोर्स डे है। खबर सर श्री शैलेन्द्र जी सर और सर श्री विश्वनाथ जी के आदेशानुसार भेजी गई है। इसकी पीटीसी मोजो से भेजी गई है। उसे प्लीज़ जरूर ऐेड कर लें।
आगरा।
निडर। चीता जैसी फुर्ती। बुलंद हौसला। मजबूत इरादे। पलक झपकते ही किसी खतरे को भांपने में सक्षम। हर मुश्किल को मात देने में माहिर। ऐसे कमांडोज को आगरा का पैरा ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) और जोशीला व मजबूत बनाता है। यहां पर गरुण कमांडोज, मरीन कमांडोज और मारकोस कमांडोज के साथ ही दूसरे को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। जिससे वे और फौलादी बन जाते हैं। देश के एकमात्र पीटीएस आगरा को ' स्काई हवॉक्स' कहा जाता है। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी आगरा पीटीएस में स्पेशल ट्रेनिंग की थी। हर साल 13 हजार कमांडोज को पैरा ट्रूपिंग की ट्रेनिंग दी जाती है। मलपुरा ड्रॉपिंग जोन पर हर दिन 300 कमांडोज जंप करते हैं। साल में 50 हजार से ज्यादा जंप कराई जाती हैं।

Body:बता दें कि, एक अगस्त सन् 1949 में की शुरुआत हुई थी। यह 'स्काई हवॉक्स' नाम से फेमस है। आगरा पीटीएस के प्रभारी केबीएस साम्यल ने बताया कि इसमें तीनों सेनाओं के कमांडोज की ट्रेनिंग होती है। तीनों फोर्स के कमांडोज का चयन करके यहां ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। इनमें
एयरफोर्स के गरुण कमांडो, नेवी के मैरीन और नौसेना के मारकोस कमांडोज को पैरा ट्रूपर की ट्रेनिंग होती है।

मित्र देश के कमांडोज करते हैं बेसिक ट्रेनिंग
स्क्वाड्रन वी त्यागी ने बताया कि, आगरा के पीटीएस में विदेशी कमांडोज को भी पैराजंपिंग की बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है। यहां पर भारतीय सेना, एयरफोर्स के अलावा मित्र देशों के कमांडोज भी हर साल बड़ी संख्या में पैराजंपिंग की ट्रेनिंग लेते हैं। इसमें श्रीलंका, म्यांमार सहित अन्य देशों के कमांडो शामिल हैं।
सबसे मुश्किल काम आते हैं.

दो तरह की दी जाती है ट्रेनिंग
स्क्वाड्रन वी त्यागी ने बताया कि, आगरा पीटीएस में दो तरह की पैरा ट्रूपर्स को ट्रेनिंग दी जाती है। पहली स्टार्टिंग लाइन और फ्री फाल ट्रेनिंग। स्टार्टिंग लाइन पेरा ट्रेनिंग में पहली जंप 1250 फीट की ऊंचाई से पीटीएम पैरा शूट से कराई जाती है। इसके बाद फ्री फाल ट्रेनिंग 30 जंप की होती है। इसमें पहली जंप कमांडोज को 5500 फीट की ऊंचाई से कराई जाती है। फिर यह ऊंचाई बढ़ती जाती है। जिसमें 15 हजार फीट से ऊपर जाने पर ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ जंप कराई जाती है। 25 हजार फीट की ऊंचाई पर से कमांडोज को जंप कराई जाती है।

ट्रेनिंग के स्पेशल 3 पार्ट
-पहला इसमें एएन-32 एयरक्राफ्ट से एग्जिट होना।
-दूसरा एयरक्राफ्ट से आउट लैन्डिंग करना।
-तीसरा एयरक्राफ्ट से लैन्डिंग पैरा फॉल, ये सबसे कठिन होता है।

12 दिन का बेसिक कोर्स
स्क्वाड्रन वी त्यागी ने बताया कि, आगरा पीटीएस में पहले स्पेशल हैंगर में 12 दिन की पैरा ट्रूपर्स को ट्रेनिंग दी जाती है। इन दिनों में सर्वश्रेष्ठ बनना या फेल होकर वापस जाना होता है। फिर फाइनल जंप का रिहर्सल कराया जाता है। रिहर्सल में पास होने के बाद ही जंपर को विमान से कूदने का मौका मिलता है। हर कमांडोज को पांच जंप कराई जाती हैं। इनमें चार जंप दिन में और एक जंप रात में कर थी।

यह का होता है कमांडोज का
पैरा कमांडोज के जिम्मे स्पेशल ऑपरेशन, डायरेक्ट एक्शन, बंधक समस्या, आतंकवाद विरोधी अभियान, गैरपरंपरागत हमले, विशेष टोही मुहिम, विदेश में आंतरिक सुरक्षा, विद्रोह को कुचलने, दुश्मन को तलाशने और तबाह करने जैसे टास्क दिए जाते हैं।
इन ऑपरेशन में दिखा आगरा पीटीएस का दम
- 4 जून सन् 2015 को मणिपुर में उग्रवादियों ने देश के 18 जवानों को शहीद किया. इसका बदला लेने का काम पैरा कमांडो को सौंपा गया. सभी कमांडोज ने आगरा पीटीएस में स्पेशल पैरा ट्रुपर्स की ट्रेनिंग ली थी। इन कमांडो ने म्यांमार सीमा में घुसकर 38 उग्रवादियों को ढेर कर दिया.

- 29 सितम्बर 2016 को पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों को ढेर कर लिया था। सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले स्पेशल कमांडोज की ट्रेनिंग आगरा के पीटीएस (पैरा ट्रेनिंग स्कूल) में ही हुई।

Conclusion:एक अगस्त सन् 1949 में की शुरुआत हुई थी। यह 'स्काई हवॉक्स' नाम से फेमस है। ट्रेनिंग लेने वाले कमांडोज को एएन 32, हर श्रेणी के एमआइ हेलीकाप्टर, आइएल 76, हरक्युलिस विमान सहित अन्य से छलांग लगाने की प्रैक्टिस कराई जाती है। विमान से कमांडोज .7 सैकंड के अंतराल में जंप करते हैं। कमांडोज को 30 हजार फीट की ऊंचाई से विमान से जंप कराई जाती है।
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बाइट स्क्वाड्रन वी त्यागी, पैरा कमांडोज ट्रेनर की ।

पीटीसी मोजो से भेजी गई है।
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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
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