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आगरा: मुस्लिम परिवार पिछले 41 सालों से बना रहा है रावण का पुतला

उत्तर प्रदेश के आगरा में इस वर्ष के दशहरे के लिए 100 फीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया जा रहा है. यह पुतला किसी हिंदू कारीगर के हाथों से नहीं बल्कि मुस्लिम कारीगर के हाथों बनाई जा रही है, जो कि हमारी एकता को प्रदर्शित करता है.

100 फीट का बनाया जा रहा है रावण का पुतला
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Published : Oct 4, 2019, 12:23 PM IST

आगरा: 'मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना'... यह पंक्तियां मथुरा के अनीस और जाफर अली पर सटीक बैठती हैं. भले ही वे और उनका परिवार इस्लाम धर्म को मानता है लेकिन दशहरे पर जलाए जाने वाले रावण के पुतलों को वह बड़े मन से बनाते हैं. यही वजह है कि उत्तर भारत में प्रसिद्ध आगरा की रामलीला हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करती है. करीब सवा माह पहले मथुरा से आए जफर और अनीस के साथ मुस्लिम कारीगर रावण और उसके कुनबे के पुतला बनाने में लगे हुए हैं.

100 फीट का बनाया जा रहा है रावण का पुतला.
41 साल से बना रहे रावण और उसके कुनबे के पुतलेजफर और अनीस का कहना है कि बचपन में दादाजी और पिताजी के साथ आगरा में दशहरा पर रावण का पुतला बनाने के लिए आते थे. बुजुर्गों से धीरे-धीरे पुतला बनाना सीख गए और वे अब खुद ही बनाने आते हैं. ये लोग करीब 41 साल से यहां आकर रावण और उसके कुनबे के लोगों के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं. यह अब इन लोगों का पुश्तैनी काम हो गया है.

इसे भी पढ़ें:- आगरा: मर्यादा पुरुषोत्तम राम की निकली बारात, झूमकर नाचे नगरवासी

1 कुंतल मैदा और 2 कुंतल लगती है रद्दी
अनीस ने बताया कि रावण और उसके कुनबे के पुतले बनाने के लिए हमें रद्दी, बांस, सुतली समेत अन्य तमाम सामान कमेटी की ओर से उपलब्ध कराया जाता है. रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने में एक कुंतल मैदा, दो कुंतल रद्दी और करीब 2000 बांस लग जाते हैं. सवा माह से 5 कारीगर पुतले बनाने के काम में लगे हुए हैं.

100 फीट ऊंचा बनाया जा रहा है रावण
जफर ने बताया कि पहले आगरा में दशहरे पर रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने के लिए हमारे दादा जी आते थे. इसके बाद पिताजी और उसके बाद भाई और अब मैं अपने भतीजे के साथ आ रहा हूं. इस बार रावण के पुतले की ऊंचाई 100 फीट रखी गई है. बारिश होने की वजह से काम करने में कुछ परेशानी आ रही है. कारीगर ने बताया कि करीब एक माह तक हमारा काम नहीं चलता है इस दौरान हम फ्री रहते हैं और यहां पर हमलोग लोग पुतला बनाने के लिए आते हैं. उनका कहना है कि उन्हें रावण का पुतला बनाना अच्छा लगता है. जो गलत प्रवृत्ति के लोग होते हैं वही हिंदू मुस्लिम को लेकर सवाल खड़े करते हैं.



आगरा: 'मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना'... यह पंक्तियां मथुरा के अनीस और जाफर अली पर सटीक बैठती हैं. भले ही वे और उनका परिवार इस्लाम धर्म को मानता है लेकिन दशहरे पर जलाए जाने वाले रावण के पुतलों को वह बड़े मन से बनाते हैं. यही वजह है कि उत्तर भारत में प्रसिद्ध आगरा की रामलीला हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करती है. करीब सवा माह पहले मथुरा से आए जफर और अनीस के साथ मुस्लिम कारीगर रावण और उसके कुनबे के पुतला बनाने में लगे हुए हैं.

100 फीट का बनाया जा रहा है रावण का पुतला.
41 साल से बना रहे रावण और उसके कुनबे के पुतलेजफर और अनीस का कहना है कि बचपन में दादाजी और पिताजी के साथ आगरा में दशहरा पर रावण का पुतला बनाने के लिए आते थे. बुजुर्गों से धीरे-धीरे पुतला बनाना सीख गए और वे अब खुद ही बनाने आते हैं. ये लोग करीब 41 साल से यहां आकर रावण और उसके कुनबे के लोगों के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं. यह अब इन लोगों का पुश्तैनी काम हो गया है.

इसे भी पढ़ें:- आगरा: मर्यादा पुरुषोत्तम राम की निकली बारात, झूमकर नाचे नगरवासी

1 कुंतल मैदा और 2 कुंतल लगती है रद्दी
अनीस ने बताया कि रावण और उसके कुनबे के पुतले बनाने के लिए हमें रद्दी, बांस, सुतली समेत अन्य तमाम सामान कमेटी की ओर से उपलब्ध कराया जाता है. रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने में एक कुंतल मैदा, दो कुंतल रद्दी और करीब 2000 बांस लग जाते हैं. सवा माह से 5 कारीगर पुतले बनाने के काम में लगे हुए हैं.

100 फीट ऊंचा बनाया जा रहा है रावण
जफर ने बताया कि पहले आगरा में दशहरे पर रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने के लिए हमारे दादा जी आते थे. इसके बाद पिताजी और उसके बाद भाई और अब मैं अपने भतीजे के साथ आ रहा हूं. इस बार रावण के पुतले की ऊंचाई 100 फीट रखी गई है. बारिश होने की वजह से काम करने में कुछ परेशानी आ रही है. कारीगर ने बताया कि करीब एक माह तक हमारा काम नहीं चलता है इस दौरान हम फ्री रहते हैं और यहां पर हमलोग लोग पुतला बनाने के लिए आते हैं. उनका कहना है कि उन्हें रावण का पुतला बनाना अच्छा लगता है. जो गलत प्रवृत्ति के लोग होते हैं वही हिंदू मुस्लिम को लेकर सवाल खड़े करते हैं.



Intro:स्पेशल..... का लोगो भी लगा लें...
आगरा.
'मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना'. यह पंक्तियां मथुरा के अनीस और जाफर अली पर सटीक बैठती हैं. भले ही वे और परिवार इस्लाम मानता है. लेकिन दशहरे पर जलाए जाने वाले रावण के पुतलों को बड़े मन से बनाता है. यही वजह है कि, उत्तर भारत में प्रसिद्ध आगरा की रामलीला हिंदू मुस्लिम एकता का भी मिसाल पेश करती है. करीब सवा माह से मथुरा से आए जफर और अनीस के साथ आए मुस्लिम कारीगर रावण और उसके कुनबे के पुतला बनाने में लगे हुए हैं.



Body:41 साल से बना रहे रावण और कुनबे के पुतले
जाफर और अनीस का कहना है कि बचपन में दादाजी और पिताजी के साथ आगरा में दशहरा पर रावण का पुतला बनाने के लिए आते थे. बुजुर्गों से धीरे-धीरे पुतला न बनाना सीख गए. अगर आगरा की बात की जाए तो हमारा परिवार करीब 41 साल से यहां आकर रावण और उसके कुनबे के लोगों के पुतले बनाने का काम कर रहा है. अब यह कहा जाए तो यह हमारा पुश्तैनी काम हो गया है.

एक कुंतल मैदा और 2 कुंतल रद्दी
अनीस ने बताया कि रावण और उसके कुनबे के पुतले बनाने के लिए हमें रद्दी, बांस, सुतली समेत अन्य तमाम सामान कमेटी की ओर से उपलब्ध कराया जाता है. रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने में एक कुंतल मैदा, दो कुंतल रद्दी और करीब 2000 बांस लग जाते हैं. सवा माह से 5 कारीगर पुतले बनाने के काम में लगे हुए.

100 फीट ऊंचा है रावण
जाफर ने बताया कि पहले आगरा में दशहरे पर रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने के लिए हमारे दादा जी आते थे. फिर पिताजी फिर भाई और अब मैं अपने भतीजे के साथ आ रहा हूं. इस बार रावण के पुतले की ऊंचाई 100 फीट है. बूंदाबांदी होने की वजह से काम करने में कुछ परेशानी आ रही है. जब जफर से सवाल किया गया कि लगातार हिंदू और मुस्लिम को लेकर तमाम बातें होती हैं. करीब एक माह तक हमारा काम नहीं चलता है. इस दौरान हम फ्री रहते हैं. और तभी से यहां पर पुतला बनाने के लिए आ रहे हैं. हमें रावण का पुतला बनाना अच्छा लगता है. जो गलत प्रवृत्ति के लोग होते हैं. वही हिंदू मुस्लिम को लेकर के सवाल खड़े करते हैं. हम ऐसा नहीं मानते हैं.




Conclusion:आगरा की उत्तर भारत में प्रसिद्ध रामलीला में दशहरे पर दहन किए जाने वाले रावण के पुतले को 41 साल से मुस्लिम परिवार तैयार करते आ रहे हैं. हर साल एक ही परिवार के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी पुतले को बनाते आ रहे हैं. इस बार दशहरा पर ताजनगरी में 100 फीट ऊंचे पुतला का दहन किया जाएगा.
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पहली बाइट जाफर, कारीगर की।
दूसरी बाइट अनीस, कारीगर की।
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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
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