आगरा: पीएम मोदी की 'मेक इन इंडिया' मुहिम को खादी इंडिया और आगरा शूज इंडस्ट्रीज आगे बढ़ाने जा रही है. खादी इंडिया ने खादी के शूज को प्रमोट करने की प्लानिंग की है. इसके तहत लेदर और खादी कपड़े के कॉन्बिनेशन से शूज की एक नई रेंज तैयार हो रही है, जो स्वदेशी है. आगरा में दो शूज उद्यमी ने खादी कपड़े और लेदर कॉन्बिनेशन से डिजाइनर जेंट्स और लेडीज शूज का सैंपल कलेक्शन तैयार करके दिल्ली भेजा है, जो खादी इंडिया मंत्रालय में पहुंच गया है. खादी शूज का सैंपल एप्रूव्ड होने पर देशभर के सभी खादी स्टोर से शूज की नई फैशनेबल रेंज मिलने लगेगी. खादी इंडिया के इस कदम से आगरा शूज इंडस्ट्रीज की धमक दुनिया में देखने को मिलेगी.
आगरा में अब खादी के शूज भी बनेंगे. बता दें कि खादी ग्रामोद्योग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना लॉकडाउन के पहले आगरा आए थे. उन्होंने आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट्स चैंबर (एफमेक) के प्रेसिडेंट पूरन डाबर और अन्य शूज उद्यमी के साथ मीटिंग की, जिसमें खादी कपड़े का शूज में उपयोग करने पर चर्चा हुई. इसके साथ ही चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने एफमेक प्रेसिडेंट पूरन डाबर की डाबर फुटवियर इंडस्ट्रीज और शूज उद्यमी श्रुति कौल की त्रिशूल क्रिएशन सहित अन्य शूज फैक्ट्री की विजिट की. इसके बाद डाबर फुटवियर इंडस्ट्रीज और त्रिशूल क्रिएशन ने खादी के शूज की नई रेंज के लिए शूज डिजाइन किए और सैंपल तैयार किए.
22 डिजाइन के सैंपल बने खादी ग्रामोद्योग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना के निर्देश पर खादी कपड़ा उपलब्ध कराकर शूज का डिजाइनर सैंपल कलेक्शन तैयार हुआ. डाबर फुटवियर इंडस्ट्रीज ने सात और त्रिशूल क्रिएशन ने 15 डिजाइनर शूज के सैंपल तैयार किए. इसमें जेंट्स के लिए बूट, स्लीपर और सैंडिल हैं, जबकि महिलाओं के लिए बूट, स्लीपर, वैली और सैंडिल बनाए गए हैं. सभी सैंपल भारत में तैयार होने वाले खादी, लेदर और अन्य आइटम से तैयार किए गए हैं. शूज सैंपल में जहां आगरा का सोल, कोलकाता की लाइनिंग सहित अन्य आइटम्स उपयोग किए हैं. वैसे ही खादी के कपड़ों में मधुबनी, बनारसी, सिल्क, फ्लाई प्रिंटिंग, कांथा वर्क का कपड़ा उपयोग हुआ है.
मंत्रालय से एप्रूवल का इंतजारक्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम के मंत्री शंभुनाथ चौबे ने बताया कि खादी ग्रामोद्योग के चेयरमैन का प्रयास है कि किस तरह खादी को शूज में उपयोग करके खादी को प्रमोट किया जाए. इसको लेकर खादी और लेदर के शूज बनाने की एक कार्य योजना तैयार की गई है. इसके तहत आगरा में एफमेक के प्रेसिडेंट पूरन डाबर और त्रिशूल क्रिएशन से खादी के कपड़ा से डिजाइन शूज के सैंपल तैयार कराकर दिल्ली भेज दिया है. खादी ग्रामोद्योग चेयरमैन जैसे ही ये सैंपल मंत्रालय से एप्रूव्ड कराएंगे, वैसे ही खादी कपड़े का उपयोग करके शूज तैयार कराए जाएंगे. इन्हें देशभर में खादी स्टोर से बेचा जाएगा. यह प्रधानमंत्री के लोकल के लिए वोकल को बढ़ावा देगा.
खादी शूज का प्रभावी सैंपल कलेक्शन तैयारएफमेक के प्रेसिडेंट पूरन डाबर का कहना है कि खादी ग्रामोद्योग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना की यह बढ़िया सोच है. उन्होंने एक दिशा दी है, जो अभी तक खादी कपड़ों का उपयोग परिधान बनाने में होता था वो अब शूज बनाने में भी जाएगा. चेयरमैन ने खादी और सिल्क से शूज का एक सैंपल कलेक्शन तैयार कराया है. यह कलेक्शन बहुत ही प्रभावी आया है. यह शूज की फैशन की दुनिया को बिल्कुल ही बदल सकता है, जो पूरी तरह से भारतीय होगा. यह निर्यात में सहायक होगा.
महिलाओं की पसंद बनेगा खादी इंडिया का शूज कलेक्शनएफमेक के प्रेसिडेंट पूरन डाबर का कहना है कि महिलाएं अपनी ड्रेस के मुताबिक, अलग-अलग रंग, अलग-अलग डिजाइन के बूट, सैंडिल, स्लीपर और वैली खरीद सकती हैं. खादी के शूज लेदर की अपेक्षा बनाना आसान हैं. इनकी क्वालिटी और क्वांटिटी भी बेहतर रहेगी. साथ ही यह सस्ते भी हैं. बहुत से ऐसे लोग हैं, जो लेदर के शूज पहनना पसंद नहीं करते हैं. बहुत सी महिलाएं हैं, जो चमड़े की सिलाई पसंद नहीं करती है. उन्हें कपड़े से कोई परहेज नहीं होगा. खादी इंडिया की इस सोच से आगरा की शूज इंडस्ट्रीज के लिए एक नया वैन्यू खुला है.
एक नजर आगरा के शूज कारोबार पर आगरा में शूज बनाने की है 300 यूनिट. आगरा में हैं 5000 कुटीर उद्योग. आगरा से 3500 करोड़ रुपये का होता है शूज निर्यात. 7000 करोड़ रुपये का है सालाना शूज कारोबार. आगरा में बनता है हर दिन 5 लाख जोड़ी जूता. 5 लाख लोगों को मिलता है शूज कारोबार से रोजगार.65 फीसदी भारत पहनता है आगरा का बना जूता. हाल में पीएम मोदी ने 'लोकल के लिए वोकल' की बात कही थी. इसी कड़ी में खादी इंडिया की शूज कलेक्शन की नई रेंज एक इबारत लिखेगी, जो सस्ता, आरामदायक और फैशनेबल भी होगी. खादी शूज की फैशनेबल रेंज देशभर के खादी स्टोर पर मिलने के साथ ही एक्सपोर्ट भी की जाएगी.