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बटेश्वर पशु मेले में पहुंचने लगे घोड़ा व्यापारी, भारी अव्यवस्था से व्यापारी नाराज

आगरा जनपद के बाह क्षेत्र के तीर्थ धाम बटेश्वर में हर वर्ष लगने वाले सैकड़ों वर्ष पुराने मेले में पशु व्यापारी अपने घोड़ों को लेकर पहुंचने लगे हैं. वहीं मेले में अभी अव्यवस्थाओं का अंबार है. व्यापारियों की सुरक्षा राम भरोसे है. व्यापारियों ने लाइट, बिजली, पानी की व्यवस्था कराने की मांग की है.

बटेश्वर पशु मेले में पहुंचने लगे घोड़ा व्यापारी
बटेश्वर पशु मेले में पहुंचने लगे घोड़ा व्यापारी
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Published : Oct 31, 2021, 8:52 PM IST

आगरा : तीर्थ धाम बटेश्वर में 375 वर्ष पहले से मेला लगता आ रहा है. उत्तर भारत का प्रमुख मेला श्री बटेश्वर नाथ के आयोजन पर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई थी. बीते बुधवार को पूर्व विधायक एवं भाजपा नेता डॉ राजेंद्र सिंह के साथ जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी प्रदीप गुप्ता ने बटेश्वर मेला परिसर का निरीक्षण कर जायजा लिया. वहीं, 2 नवंबर से मेला का आयोजन शुरू किए जाने की बात कही गई थी.

आपको बता दें, पिछले वर्ष बटेश्वर के विशाल इस मेला का आयोजन कोरोना के चलते नहीं किया गया था. इस साल मेला शुरू होने में 2 दिन का समय बाकी है, जिसको लेकर तैयारियों की जा रही हैं. वहीं बटेश्वर मेला में दूरदराज के जिलों से पशु घोड़ा व्यापारी अपने पशु घोड़ों को लेकर पहुंचने लगे हैं. मेला पहुंचने पर पशु व्यापारियों को कोई भी सुविधा अभी नहीं मिल पा रही है. पशुओं के लिए फिलहाल पानी की व्यवस्था के साथ बिजली व्यवस्था नहीं होने के कारण व्यापारियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

बटेश्वर पशु मेले में पहुंचने लगे घोड़ा व्यापारी

रात के समय काफी अंधेरा होने के कारण अपने तंबू में व्यापारी अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. पुलिस की कोई भी पिकेट व्यापारियों के नजदीक तैनात नहीं की गई है. सैफई-इटावा से पहुंचे घोड़ा व्यापारी गणेश यादव, कन्नौज से पहुंचे व्यापारी सुरेंद्र एवं मैनपुरी से पहुंचे सियाराम, फर्रुखाबाद से अपने घोड़े लेकर पहुंचे व्यापारी राहुल गंगवार ने बताया कि मेला में चारों तरफ अवस्थाओं का अंबार है. तंबू लगाकर वो रह रहे हैं. पशुओं के लिए पानी तक की व्यवस्था नहीं है. इसके कारण उन्हें दूर दराज से ग्रामीणों के ट्यूबवेल से पानी भरकर लाना पड़ रहा है. उनका कहना था कि ग्रामीण भी उन्हें पानी भरने से मना कर रहे हैं. इससे घोड़ा पशु व्यापारियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं मेला परिसर में फिलहाल ट्रैक्टर जेसीबी मशीन द्वारा मैदान को ठीक किया जा रहा है. पशुओं के पानी पीने के लिए हौद भी तैयार किए जा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर पहुंची प्रियंका गांधी, 'प्रतिज्ञा' रैली को किया संबोधित


आपको बता दें, सन 1646 में तत्कालीन भदावर नरेश बदन सिंह ने बटेश्वर मेला का आगाज किया था. मेले के पहले चरण में बैल, गाय एवं दूसरे चरण में घोड़े, ऊंट, गधे, खच्चर एवं तीसरे चरण में लोक मेले का किया जाता है. बटेश्वर में एकादशी व पूर्णिमा को महामंडलेश्वर बाबा बालक दास के नेतृत्व में नागा साधु संत अपने करतब दिखाते हुए बटेश्वर तीर्थ की परिक्रमा करने के साथ शाही स्नान करते हैं. वहीं विशाल बटेश्वर मेले में दूरदराज के व्यापारी अपनी दुकानें लेकर पहुंचते हैं. भारत के कई राज्यों से लोग बटेश्वर मेला में खरीदारी करने के लिए पहुंचते हैं. उत्तर भारत के प्रमुख तीर्थ बटेश्वर में मेले के आयोजन से लोगों को रोजगार मिलता है. अब देखना यह होगा कि 2 नवंबर से शुरू होने वाले बटेश्वर पशु मेले में व्यापारियों को क्या सुविधाएं जल्द मिल पाएंगी.

आगरा : तीर्थ धाम बटेश्वर में 375 वर्ष पहले से मेला लगता आ रहा है. उत्तर भारत का प्रमुख मेला श्री बटेश्वर नाथ के आयोजन पर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई थी. बीते बुधवार को पूर्व विधायक एवं भाजपा नेता डॉ राजेंद्र सिंह के साथ जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी प्रदीप गुप्ता ने बटेश्वर मेला परिसर का निरीक्षण कर जायजा लिया. वहीं, 2 नवंबर से मेला का आयोजन शुरू किए जाने की बात कही गई थी.

आपको बता दें, पिछले वर्ष बटेश्वर के विशाल इस मेला का आयोजन कोरोना के चलते नहीं किया गया था. इस साल मेला शुरू होने में 2 दिन का समय बाकी है, जिसको लेकर तैयारियों की जा रही हैं. वहीं बटेश्वर मेला में दूरदराज के जिलों से पशु घोड़ा व्यापारी अपने पशु घोड़ों को लेकर पहुंचने लगे हैं. मेला पहुंचने पर पशु व्यापारियों को कोई भी सुविधा अभी नहीं मिल पा रही है. पशुओं के लिए फिलहाल पानी की व्यवस्था के साथ बिजली व्यवस्था नहीं होने के कारण व्यापारियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

बटेश्वर पशु मेले में पहुंचने लगे घोड़ा व्यापारी

रात के समय काफी अंधेरा होने के कारण अपने तंबू में व्यापारी अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. पुलिस की कोई भी पिकेट व्यापारियों के नजदीक तैनात नहीं की गई है. सैफई-इटावा से पहुंचे घोड़ा व्यापारी गणेश यादव, कन्नौज से पहुंचे व्यापारी सुरेंद्र एवं मैनपुरी से पहुंचे सियाराम, फर्रुखाबाद से अपने घोड़े लेकर पहुंचे व्यापारी राहुल गंगवार ने बताया कि मेला में चारों तरफ अवस्थाओं का अंबार है. तंबू लगाकर वो रह रहे हैं. पशुओं के लिए पानी तक की व्यवस्था नहीं है. इसके कारण उन्हें दूर दराज से ग्रामीणों के ट्यूबवेल से पानी भरकर लाना पड़ रहा है. उनका कहना था कि ग्रामीण भी उन्हें पानी भरने से मना कर रहे हैं. इससे घोड़ा पशु व्यापारियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं मेला परिसर में फिलहाल ट्रैक्टर जेसीबी मशीन द्वारा मैदान को ठीक किया जा रहा है. पशुओं के पानी पीने के लिए हौद भी तैयार किए जा रहे हैं.

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आपको बता दें, सन 1646 में तत्कालीन भदावर नरेश बदन सिंह ने बटेश्वर मेला का आगाज किया था. मेले के पहले चरण में बैल, गाय एवं दूसरे चरण में घोड़े, ऊंट, गधे, खच्चर एवं तीसरे चरण में लोक मेले का किया जाता है. बटेश्वर में एकादशी व पूर्णिमा को महामंडलेश्वर बाबा बालक दास के नेतृत्व में नागा साधु संत अपने करतब दिखाते हुए बटेश्वर तीर्थ की परिक्रमा करने के साथ शाही स्नान करते हैं. वहीं विशाल बटेश्वर मेले में दूरदराज के व्यापारी अपनी दुकानें लेकर पहुंचते हैं. भारत के कई राज्यों से लोग बटेश्वर मेला में खरीदारी करने के लिए पहुंचते हैं. उत्तर भारत के प्रमुख तीर्थ बटेश्वर में मेले के आयोजन से लोगों को रोजगार मिलता है. अब देखना यह होगा कि 2 नवंबर से शुरू होने वाले बटेश्वर पशु मेले में व्यापारियों को क्या सुविधाएं जल्द मिल पाएंगी.

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