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ये है मुगल बादशाह अकबर की शाही टकसाल, कभी खनकते थे सोने-चांदी के सिक्के, अब है ये हालत - Historical Places of Fatehpur Sikri

मुगल बादशाह अकबर की खास शाही टकसाल में कभी सोने-चांदी के सिक्कों की खनक गूंजती थी. ये ऐतिहासिक टकसाल कहां पर है और कैसी स्थिति में है? चलिए आपको बताते हैं इस बारे में.

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ये है मुगल बादशाह अकबर की शाही टकसाल, कभी खनकते थे सोने-चांदी के सिक्के, अब है ये हालत
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Published : Jun 22, 2022, 4:08 PM IST

आगराः मुगल बादशाह अकबर ने सन् 1571 में एक खास शाही टकसाल का निर्माण कराया था. इस टकसाल में सोने-चांदी को ढालकर सिक्कों का निर्माण किया जाता था. ये सिक्के बादशाह अकबर के शासनकाल में प्रचलित थे. अकबर के शासनकाल के बाद यह टकसाल बंद हो गई. वक्त के थपेड़ों के साथ यह जर्जर होती चली गई. अब भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने इसे संवारने का जिम्मा संभाला है.

दरअसल, मुगल बादशाह अकबर ने सन् 1571 में आगरा से करीब 40 किमी. दूर फतेहपुर सीकरी में अपनी राजधानी बनाई थी. अकबर ने यहां तमाम इमारतें बनवाईं और बुलंद दरवाजा भी तामीर कराया. उस दौर में फतेहपुर सीकरी से ही मुगलिया सल्तनत के नियम और कानून चलते थे. ऐसे में बादशाह अकबर ने तब चलन में रहे सोने चांदी के सिक्कों की ढलाई के लिए फतेहपुर सीकरी में शाही टकसाल (कारखाना) का निर्माण भी कराया. उसी के ठीक सामने चंद कदम की दूरी पर शाही खजाने को संग्रह किया जाता था.

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इसी ऐतिहासिक टकसाल के संरक्षण का काम चल रहा है.

सन् 1585 में अकबर ने फिर अपनी राजधानी आगरा में बनाई. इसके चलते फतेहपुर सीकरी में जिस जगह कभी सोने-चांदी के सिक्कों की खनक सुनाई देती थी वो जर्जर हो गई. मौजूदा दौर में यह टकसाल पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. इसे अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) संवार रहा है.

फतेहपुर सीकरी की इसी टकसाल में अकबर के शासनकाल में सोने-चांदी के सिक्के ढाले जाते थे.

एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल बताते हैं कि फतेहपुर सीकरी में दीवान-ए-आम के मुख्य महल एरिया में प्रवेश करते ही म्यूजियम के सामने का भवन टकसाल या मिंट के नाम से जाना जाता है. इसके फ्रंट एरिया का 80 प्रतिशत काम लगभग पूरा हो गया है. इसे संरक्षित किया जा रहा है. इसे इंटरप्रिटेशन सेंटर के रूप में विकसित कर रहे हैं. इससे यहां दर्शकों को कई तरह की जानकारी मिल सकेगी. यहां पर आडियो और वीडियो गैलरी बनाए जाने का प्रस्ताव भी है. यहां पर चित्र भी लगाए जाएंगे.

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ऐतिहासिक जानकारी देता शिलापट.

यहां पर आने वाले विजिटर फतेहपुर सीकरी का इतिहास, संस्कृति, मुगल शहंशाह अकबर की पूरी कहानी, अकबर का प्रशासन, दीन-ए-इलाही, सीकरी की वास्तुकला, सुलहकुल का संदेश और जल वितरण प्रणाली की जानकारी वीडियो के जरिए ले सकेंगे. उन्होंने कहा टकसाल के संरक्षण का पहले चरण का काम चल रहा है. काम पूरा होने में चार से पांच साल लगेंगे. इसका बजट करीब 50 लाख रुपए है.

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आगराः मुगल बादशाह अकबर ने सन् 1571 में एक खास शाही टकसाल का निर्माण कराया था. इस टकसाल में सोने-चांदी को ढालकर सिक्कों का निर्माण किया जाता था. ये सिक्के बादशाह अकबर के शासनकाल में प्रचलित थे. अकबर के शासनकाल के बाद यह टकसाल बंद हो गई. वक्त के थपेड़ों के साथ यह जर्जर होती चली गई. अब भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने इसे संवारने का जिम्मा संभाला है.

दरअसल, मुगल बादशाह अकबर ने सन् 1571 में आगरा से करीब 40 किमी. दूर फतेहपुर सीकरी में अपनी राजधानी बनाई थी. अकबर ने यहां तमाम इमारतें बनवाईं और बुलंद दरवाजा भी तामीर कराया. उस दौर में फतेहपुर सीकरी से ही मुगलिया सल्तनत के नियम और कानून चलते थे. ऐसे में बादशाह अकबर ने तब चलन में रहे सोने चांदी के सिक्कों की ढलाई के लिए फतेहपुर सीकरी में शाही टकसाल (कारखाना) का निर्माण भी कराया. उसी के ठीक सामने चंद कदम की दूरी पर शाही खजाने को संग्रह किया जाता था.

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इसी ऐतिहासिक टकसाल के संरक्षण का काम चल रहा है.

सन् 1585 में अकबर ने फिर अपनी राजधानी आगरा में बनाई. इसके चलते फतेहपुर सीकरी में जिस जगह कभी सोने-चांदी के सिक्कों की खनक सुनाई देती थी वो जर्जर हो गई. मौजूदा दौर में यह टकसाल पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. इसे अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) संवार रहा है.

फतेहपुर सीकरी की इसी टकसाल में अकबर के शासनकाल में सोने-चांदी के सिक्के ढाले जाते थे.

एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल बताते हैं कि फतेहपुर सीकरी में दीवान-ए-आम के मुख्य महल एरिया में प्रवेश करते ही म्यूजियम के सामने का भवन टकसाल या मिंट के नाम से जाना जाता है. इसके फ्रंट एरिया का 80 प्रतिशत काम लगभग पूरा हो गया है. इसे संरक्षित किया जा रहा है. इसे इंटरप्रिटेशन सेंटर के रूप में विकसित कर रहे हैं. इससे यहां दर्शकों को कई तरह की जानकारी मिल सकेगी. यहां पर आडियो और वीडियो गैलरी बनाए जाने का प्रस्ताव भी है. यहां पर चित्र भी लगाए जाएंगे.

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यहां पर आने वाले विजिटर फतेहपुर सीकरी का इतिहास, संस्कृति, मुगल शहंशाह अकबर की पूरी कहानी, अकबर का प्रशासन, दीन-ए-इलाही, सीकरी की वास्तुकला, सुलहकुल का संदेश और जल वितरण प्रणाली की जानकारी वीडियो के जरिए ले सकेंगे. उन्होंने कहा टकसाल के संरक्षण का पहले चरण का काम चल रहा है. काम पूरा होने में चार से पांच साल लगेंगे. इसका बजट करीब 50 लाख रुपए है.

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