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चंबल में धूप सेंकने निकल रहे मगरमच्छ और घड़ियाल, विदेशी पक्षी कर रहे कलरव - आगरा में ईको टूरिज्म का केंद्र

आगरा में चंबल नदी इन दिनों ईको टूरिज्म का केंद्र बनी हुई है. चंबल की बर्फीली पानी में अपने शरीर का तापमान सामान्य करने के लिए घड़ियाल-मगरमच्छ जैसे जलचर नदी के बाहर आने लगे हैं.

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Published : Dec 27, 2022, 8:06 PM IST

मामले के बारे में जानकारी देते स्थानीय, सैलानी और चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट के डीएफओ दिवाकर प्रसाद श्रीवास्तव

आगरा: कभी डकैत और दस्युओं के लिए कुख्यात चंबल अब ईको टूरिज्म का केंद्र बन गई है. देश की सबसे साफ चंबल की धारा में संकटग्रस्त घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुआ और डॉल्फिन का कुनबा खूब बढ़ रहा है. गिरते तापमान में चंबल की बर्फीली पानी की धारा में शरीर का तापमान सामान्य रखने के लिए जलचर नदी के बाहर आने लगे हैं. चंबल की धारा में टापुओं, टीलों और बालू में धूप सेंकने के साथ ही घड़ियाल और मगरमच्छ खूब शिकार कर रहे हैं. देशी विदेशी पक्षी कलरव करने के साथ ही मछलियों का शिकार कर रही हैं. जिससे सैलानियों का रोमांच बढ़ा रहा है. वन्य जीव प्रेमियों को चंबल सैंचुरी में धमाचौकड़ी करते जलचर खूब भा रहे हैं.

चंबल की वादियों से दस्यु और डकैतों का खात्मा हुआ तो केंद्र सरकार ने सन् 1979 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में चंबल नदी को लेकर राष्ट्रीय चंबल सेंक्चुरी प्रोजेक्ट घोषित किया. जिसके बाद चंबल में घड़ियाल, मगरमच्छ और डॉल्फिन की संख्या बढ़ने लगी है.

मछली पकड़ती प्रवासी पक्षी
मछली पकड़ती प्रवासी पक्षी

चंबल में 1872 घड़ियालः चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट के डीएफओ दिवाकर प्रसाद श्रीवास्तव का कहना है कि मार्च-2023 से चंबल के बालू में घड़ियाल की नेस्टिंग शुरू होगी. फिर 60 से 80 दिन बाद जून में हैचिंग होगी. एक नेस्ट में मादा 35-60 अंडे देती हैं. जिनकी जीपीएस से लोकेशन को ट्रेस की जाती है. सन् 2019 की बात करें तो चंबल में 1876 घड़ियाल थे. इसके बाद बाढ़ के प्रभाव के चलते सन् 2020-21 में घड़ियाल की संख्या घटकर 1872 हो गई. चंबल में 584 मगरमच्छ और 140 डॉल्फिन मिली थी. जनवरी माह में चंबल नदी में घड़ियाल की गणना 2021-22 की होगी.

प्रवासी पक्षी
प्रवासी पक्षी

घड़ियालों के लिए चंबल मुफीदः दिवाकर प्रसाद श्रीवास्तव का कहना है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में शेड्यूल वन में घड़ियाल संरक्षित है. दुनिया के घड़ियालों की 80 फीसदी आबादी चंबल नदी में मौजूद हैं. अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के दिसंबर 2017 के सर्वे के अनुसार, संसार की अत्यधिक संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल घड़ियालों के संरक्षण के लिए चंबल नदी सबसे मुफीद है. दुनिया में भारत की चंबल नदी और एक अन्य नदी में घड़ियाल हैं. इसके साथ ही नेपाल की दो नदी में घड़ियाल हैं.

धूप लेता मगरमच्छ
धूप लेता मगरमच्छ

चंबल में देशी विदेशी पक्षियों के लिए भोजन भरपूरः पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह ने बताया कि चंबल के साथ ही आगरा के अन्य वेटलैंड्स पर प्रवासी पक्षियों में डोमीसाइल क्रेन, इंडियन स्कीमर, ग्रेट व्हाइट पेलिकन, डालमेशन पेलिकन, नोर्दन शोवलर, नोर्दन पिनटेल, काॅमन टील, बार हेडेड गूज, ग्रे लैग गूज, ब्लैक-टेल्ड गोडविट, ब्राउन-हेडेड गल, ओरिएंटल डार्टर, ग्रेटर कोर्मोरेन्ट, स्पूनबिल, पेन्टेड स्टार्क, यूरेशियन कूट, रिवर टर्न, रूडी शेल्डक, मलार्ड, कॉटन पिग्मी गूज, टैमिनिक स्टिंट, रेड क्रिस्टिड पोचार्ड, काॅमन पोचार्ड, रफ, मार्श सेन्डपाइपर, बुड सेन्डपाइपर, ग्रीन शेन्क, रैड शेन्क, गारगेनी, वेगौन, गेडवाल, वेगटेल आ गए हैं. जिनके लिए खूब भोजन है. वो खूब शिकार कर रहे हैं.

धूप लेता घड़ियाल
धूप लेता घड़ियाल

रिसोर्ट भी बनाए जाएंः स्थानीय निवासी अजय तोमर ने बताया कि चंबल में वन्य जीव का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है. यहां देखने के लिए तमाम सैलानी भी आ रहे हैं. प्रशासन को सैलानियों के रुकने के लिए रिसोर्ट की व्यवस्था करनी चाहिए. पिनाहट में रिसोर्ट की व्यवस्था नहीं है. इस वजह से भी पर्यटकों को परेशानी होती है. सैलानी योगेश गुप्ता ने बताया कि चंबल में अब टापुओं पर घड़ियाल और मगरमच्छ धूप सेंक रहे हैं. देशी और विदेशी पक्षी भी चंबल में खूब कलरव कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: कृषि विभाग एक सर्टिफिकेट दे देता तो यूरोप वाले भी चखते आगरा मंडल का आलू

मामले के बारे में जानकारी देते स्थानीय, सैलानी और चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट के डीएफओ दिवाकर प्रसाद श्रीवास्तव

आगरा: कभी डकैत और दस्युओं के लिए कुख्यात चंबल अब ईको टूरिज्म का केंद्र बन गई है. देश की सबसे साफ चंबल की धारा में संकटग्रस्त घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुआ और डॉल्फिन का कुनबा खूब बढ़ रहा है. गिरते तापमान में चंबल की बर्फीली पानी की धारा में शरीर का तापमान सामान्य रखने के लिए जलचर नदी के बाहर आने लगे हैं. चंबल की धारा में टापुओं, टीलों और बालू में धूप सेंकने के साथ ही घड़ियाल और मगरमच्छ खूब शिकार कर रहे हैं. देशी विदेशी पक्षी कलरव करने के साथ ही मछलियों का शिकार कर रही हैं. जिससे सैलानियों का रोमांच बढ़ा रहा है. वन्य जीव प्रेमियों को चंबल सैंचुरी में धमाचौकड़ी करते जलचर खूब भा रहे हैं.

चंबल की वादियों से दस्यु और डकैतों का खात्मा हुआ तो केंद्र सरकार ने सन् 1979 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में चंबल नदी को लेकर राष्ट्रीय चंबल सेंक्चुरी प्रोजेक्ट घोषित किया. जिसके बाद चंबल में घड़ियाल, मगरमच्छ और डॉल्फिन की संख्या बढ़ने लगी है.

मछली पकड़ती प्रवासी पक्षी
मछली पकड़ती प्रवासी पक्षी

चंबल में 1872 घड़ियालः चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट के डीएफओ दिवाकर प्रसाद श्रीवास्तव का कहना है कि मार्च-2023 से चंबल के बालू में घड़ियाल की नेस्टिंग शुरू होगी. फिर 60 से 80 दिन बाद जून में हैचिंग होगी. एक नेस्ट में मादा 35-60 अंडे देती हैं. जिनकी जीपीएस से लोकेशन को ट्रेस की जाती है. सन् 2019 की बात करें तो चंबल में 1876 घड़ियाल थे. इसके बाद बाढ़ के प्रभाव के चलते सन् 2020-21 में घड़ियाल की संख्या घटकर 1872 हो गई. चंबल में 584 मगरमच्छ और 140 डॉल्फिन मिली थी. जनवरी माह में चंबल नदी में घड़ियाल की गणना 2021-22 की होगी.

प्रवासी पक्षी
प्रवासी पक्षी

घड़ियालों के लिए चंबल मुफीदः दिवाकर प्रसाद श्रीवास्तव का कहना है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में शेड्यूल वन में घड़ियाल संरक्षित है. दुनिया के घड़ियालों की 80 फीसदी आबादी चंबल नदी में मौजूद हैं. अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के दिसंबर 2017 के सर्वे के अनुसार, संसार की अत्यधिक संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल घड़ियालों के संरक्षण के लिए चंबल नदी सबसे मुफीद है. दुनिया में भारत की चंबल नदी और एक अन्य नदी में घड़ियाल हैं. इसके साथ ही नेपाल की दो नदी में घड़ियाल हैं.

धूप लेता मगरमच्छ
धूप लेता मगरमच्छ

चंबल में देशी विदेशी पक्षियों के लिए भोजन भरपूरः पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह ने बताया कि चंबल के साथ ही आगरा के अन्य वेटलैंड्स पर प्रवासी पक्षियों में डोमीसाइल क्रेन, इंडियन स्कीमर, ग्रेट व्हाइट पेलिकन, डालमेशन पेलिकन, नोर्दन शोवलर, नोर्दन पिनटेल, काॅमन टील, बार हेडेड गूज, ग्रे लैग गूज, ब्लैक-टेल्ड गोडविट, ब्राउन-हेडेड गल, ओरिएंटल डार्टर, ग्रेटर कोर्मोरेन्ट, स्पूनबिल, पेन्टेड स्टार्क, यूरेशियन कूट, रिवर टर्न, रूडी शेल्डक, मलार्ड, कॉटन पिग्मी गूज, टैमिनिक स्टिंट, रेड क्रिस्टिड पोचार्ड, काॅमन पोचार्ड, रफ, मार्श सेन्डपाइपर, बुड सेन्डपाइपर, ग्रीन शेन्क, रैड शेन्क, गारगेनी, वेगौन, गेडवाल, वेगटेल आ गए हैं. जिनके लिए खूब भोजन है. वो खूब शिकार कर रहे हैं.

धूप लेता घड़ियाल
धूप लेता घड़ियाल

रिसोर्ट भी बनाए जाएंः स्थानीय निवासी अजय तोमर ने बताया कि चंबल में वन्य जीव का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है. यहां देखने के लिए तमाम सैलानी भी आ रहे हैं. प्रशासन को सैलानियों के रुकने के लिए रिसोर्ट की व्यवस्था करनी चाहिए. पिनाहट में रिसोर्ट की व्यवस्था नहीं है. इस वजह से भी पर्यटकों को परेशानी होती है. सैलानी योगेश गुप्ता ने बताया कि चंबल में अब टापुओं पर घड़ियाल और मगरमच्छ धूप सेंक रहे हैं. देशी और विदेशी पक्षी भी चंबल में खूब कलरव कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: कृषि विभाग एक सर्टिफिकेट दे देता तो यूरोप वाले भी चखते आगरा मंडल का आलू

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