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आगरा: ताजमहोत्सव में दर्शकों की भीड़ कम होने पर कलाकारों में मायूसी

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में आयोजित ताजमहोत्सव में काफी कम दर्शक पहुंचे. इसके चलते कार्यक्रम में प्रस्तुति देने आए कलाकार काफी निराश दिखे. वहीं कलाकारों ने संयोजक टीम से महोत्सव का सही तरीके से प्रचार-प्रसार करने की बात भी कही.

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Published : Feb 22, 2020, 1:59 PM IST

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कम दर्शक आने से मायूस कलाकार.

आगरा: ताजनगरी में ताज महोत्सव यानी इंटरनेशनल फेयर का आयोजन किया गया. देश-विदेश तक ख्याति रखने वाला यह आयोजन बड़े ही जोर-शोर से आयोजित किया गया. इस आयोजन में करीब तीन करोड़ का बजट बना. सांस्कृतिक संध्या के लिए कलाकारों पर लाखों रुपये भी खर्च किए गए, लेकिन मुक्ताकाशी मंच के सामने गिने चुने दर्शक ही शामिल हुए.

कम दर्शक आने से मायूस कलाकार.

महोत्सव में नहीं पहुंचे ज्यादा दर्शक
मुक्ताकाशी मंच से प्रस्तुति देने वाले प्रसिद्ध कलाकारों को दर्शकों की दाद नहीं मिल रही है. कलाकार तालियों के लिए तरस रहे हैं, क्योंकि उनकी प्रस्तुति देखने दर्शक नहीं पहुंच रहे जिससे उन्हें कदरदान नहीं मिल रहे हैं. इस बारे में ईटीवी भारत ने प्रस्तुतियां देने आए कलाकारों से बात की तो उन्होंने कहा कि ऑडियंस बहुत कम हैं. उन्होंने कहा कि इस ओर आयोजन समिति के पदाधिकारियों को ध्यान देना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि ताज महोत्सव के प्रचार-प्रसार में भी कमी दिखाई दे रही है.

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कम दर्शक आने से मायूस कलाकार.

सुबह से शाम तक होती है महोत्सव में प्रस्तुति
शिल्पग्राम में ताज महोत्सव के मुक्ताकाशी मंच से सुबह से ही सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं जोकि देर रात तक चलते हैं. सुबह स्थानीय कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देते हैं और शाम को यह मंच नामचीन कलाकारों के लिए समर्पित होता है. मगर ताज महोत्सव में दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट सुनने आने वाले कलाकारों को मायूसी हाथ लगी. आयोजन में कलाकारों को मंच के सामने गिने-चुने दर्शक ही दिखाई दिए.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर: योगी ने महंत अवैद्यनाथ स्मृति सभागार का किया लोकार्पण, बोले- तकनीक का गुलाम न बनें छात्र

कलाकारों ने कम दर्शकों के आने पर रखे अपने विचार
सहारनपुर जिले से प्रस्तुतियां देने आई रंजना निभ ने बताया कि मुझे ऐसा लगता है कि ताज महोत्सव का सही तरह से प्रचार-प्रसार नहीं होता है. यह बता देने से कि फरवरी में ताज महोत्सव है, इससे दर्शक नहीं आएंगे. इसका प्रचार-प्रसार भी होना चाहिए, जिसके लिए आयोजन समिति को इस ओर ध्यान देना चाहिए. कलाकारों ने कहा कि शहर की तमाम समितियां और संगठन हैं उनसे मिलकर इस बारे में ध्यान आकर्षित करना चाहिए कि आपके शहर में इंटरनेशनल ताज महोत्सव हो रहा है, इससे हम सभी कलाकारों को कदरदान मिल सकेंगे.

जगनेर से आए लोक गायक रामखिलाड़ी शर्मा ने बताया कि ताज महोत्सव में भीड़ बहुत कम है. इस बारे में उनका कहना था कि आयोजन समिति को टिकट के मूल्य कम करना चाहिए या टिकट खत्म कर देनी चाहिए, जिससे भीड़ बढ़ेगी और मंच से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुतियां दे रहे कलाकारों को ऑडियंस भी मिलेगी.

दिल्ली से कलाकार श्रेयसी गोपीनाथ ने बताया कि यहां पर भीड़ बहुत कम है, लेकिन विदेशों में जो उनके शो होते हैं, वे हाउसफुल होते हैं. 15 मिनट पहले ही ऑडिटोरियम पिन ड्रॉप साइलेंस हो जाता है. हालांकि उनको ऐसा कुछ यहां देखने को नहीं मिला.

देहरादून से आई आरुषि निशंक ने बताया कि एक कलाकार के लिए तालियां और तारीफ एक अवार्ड की तरह होता है जो उसे और अच्छा काम करने के लिए मोटिवेशन देता है. मुझे लगता है कि और प्रयास करने चाहिए, जिससे यहां पर भीड़ अधिक हो. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यहां पर और अच्छी भीड़ होती तो उन्हें प्रस्तुति देने में और अच्छा लगता.

लोक गायक नरेंद्र पाठक ने बताया कि मुक्ताकाशी मंच पर दर्शकों की संख्या कम है. जब दर्शक ज्यादा होते हैं तो कलाकारों को प्रस्तुति देने में आनंद आता है. दरअसल कलाकार दर्शकों की तालियां से ही प्रफुल्लित होते हैं.

ताज महोत्सव का चौथा दिन बीत गया. मगर सांस्कृतिक संध्या में प्रस्तुतियां देने आने वाले कलाकार को भरपूर तालियां नहीं मिल रही हैं. सांस्कृतिक कार्यक्रम में दर्शकों की संख्या नाम मात्र ही रहती है. पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन की लापरवाही से कलाकार मायूस हो रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- राजधानी लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर पहुंचे बीजेपी नेता मनोज तिवारी

आगरा: ताजनगरी में ताज महोत्सव यानी इंटरनेशनल फेयर का आयोजन किया गया. देश-विदेश तक ख्याति रखने वाला यह आयोजन बड़े ही जोर-शोर से आयोजित किया गया. इस आयोजन में करीब तीन करोड़ का बजट बना. सांस्कृतिक संध्या के लिए कलाकारों पर लाखों रुपये भी खर्च किए गए, लेकिन मुक्ताकाशी मंच के सामने गिने चुने दर्शक ही शामिल हुए.

कम दर्शक आने से मायूस कलाकार.

महोत्सव में नहीं पहुंचे ज्यादा दर्शक
मुक्ताकाशी मंच से प्रस्तुति देने वाले प्रसिद्ध कलाकारों को दर्शकों की दाद नहीं मिल रही है. कलाकार तालियों के लिए तरस रहे हैं, क्योंकि उनकी प्रस्तुति देखने दर्शक नहीं पहुंच रहे जिससे उन्हें कदरदान नहीं मिल रहे हैं. इस बारे में ईटीवी भारत ने प्रस्तुतियां देने आए कलाकारों से बात की तो उन्होंने कहा कि ऑडियंस बहुत कम हैं. उन्होंने कहा कि इस ओर आयोजन समिति के पदाधिकारियों को ध्यान देना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि ताज महोत्सव के प्रचार-प्रसार में भी कमी दिखाई दे रही है.

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कम दर्शक आने से मायूस कलाकार.

सुबह से शाम तक होती है महोत्सव में प्रस्तुति
शिल्पग्राम में ताज महोत्सव के मुक्ताकाशी मंच से सुबह से ही सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं जोकि देर रात तक चलते हैं. सुबह स्थानीय कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देते हैं और शाम को यह मंच नामचीन कलाकारों के लिए समर्पित होता है. मगर ताज महोत्सव में दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट सुनने आने वाले कलाकारों को मायूसी हाथ लगी. आयोजन में कलाकारों को मंच के सामने गिने-चुने दर्शक ही दिखाई दिए.

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कलाकारों ने कम दर्शकों के आने पर रखे अपने विचार
सहारनपुर जिले से प्रस्तुतियां देने आई रंजना निभ ने बताया कि मुझे ऐसा लगता है कि ताज महोत्सव का सही तरह से प्रचार-प्रसार नहीं होता है. यह बता देने से कि फरवरी में ताज महोत्सव है, इससे दर्शक नहीं आएंगे. इसका प्रचार-प्रसार भी होना चाहिए, जिसके लिए आयोजन समिति को इस ओर ध्यान देना चाहिए. कलाकारों ने कहा कि शहर की तमाम समितियां और संगठन हैं उनसे मिलकर इस बारे में ध्यान आकर्षित करना चाहिए कि आपके शहर में इंटरनेशनल ताज महोत्सव हो रहा है, इससे हम सभी कलाकारों को कदरदान मिल सकेंगे.

जगनेर से आए लोक गायक रामखिलाड़ी शर्मा ने बताया कि ताज महोत्सव में भीड़ बहुत कम है. इस बारे में उनका कहना था कि आयोजन समिति को टिकट के मूल्य कम करना चाहिए या टिकट खत्म कर देनी चाहिए, जिससे भीड़ बढ़ेगी और मंच से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुतियां दे रहे कलाकारों को ऑडियंस भी मिलेगी.

दिल्ली से कलाकार श्रेयसी गोपीनाथ ने बताया कि यहां पर भीड़ बहुत कम है, लेकिन विदेशों में जो उनके शो होते हैं, वे हाउसफुल होते हैं. 15 मिनट पहले ही ऑडिटोरियम पिन ड्रॉप साइलेंस हो जाता है. हालांकि उनको ऐसा कुछ यहां देखने को नहीं मिला.

देहरादून से आई आरुषि निशंक ने बताया कि एक कलाकार के लिए तालियां और तारीफ एक अवार्ड की तरह होता है जो उसे और अच्छा काम करने के लिए मोटिवेशन देता है. मुझे लगता है कि और प्रयास करने चाहिए, जिससे यहां पर भीड़ अधिक हो. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यहां पर और अच्छी भीड़ होती तो उन्हें प्रस्तुति देने में और अच्छा लगता.

लोक गायक नरेंद्र पाठक ने बताया कि मुक्ताकाशी मंच पर दर्शकों की संख्या कम है. जब दर्शक ज्यादा होते हैं तो कलाकारों को प्रस्तुति देने में आनंद आता है. दरअसल कलाकार दर्शकों की तालियां से ही प्रफुल्लित होते हैं.

ताज महोत्सव का चौथा दिन बीत गया. मगर सांस्कृतिक संध्या में प्रस्तुतियां देने आने वाले कलाकार को भरपूर तालियां नहीं मिल रही हैं. सांस्कृतिक कार्यक्रम में दर्शकों की संख्या नाम मात्र ही रहती है. पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन की लापरवाही से कलाकार मायूस हो रहे हैं.

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