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आगरा: जेल में बंदियों की आवाज बना रेडियो स्टेशन

उत्तर प्रदेश के आगरा में देश की सबसे पुरानी मुगलों के जमाने की जिला जेल में कैदियों के 'अपने' रेडियो का शुभारंभ हो गया. खास बात यह है कि इस जेल के आरजे ही इसे चलाएंगे.

जेल में बंदियों के लिए बना रेडियो स्टेशन.
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Published : Aug 1, 2019, 3:51 PM IST

आगरा: देश की सबसे पुरानी मुगलों के जमाने की जिला जेल के साथ बुधवार को एक और अध्याय जुड़ गया. जेल में कैदियों के 'अपने' रेडियो का शुभारंभ हो गया. आगरा जिला जेल प्रदेश की तीसरी ऐसी जेल है, जिसमें रेडियो स्टेशन शुरू किया गया है.

जेल में बंदियों के लिए बना रेडियो स्टेशन.

जिला जेल के बंदियों का रेडियो स्टेशन

इस रेडियो स्टेशन की खासियत यह है कि इसमें बंदी ही आरजे हैं. रेडियो स्टेशन से बंदी अपनी फरमाइश के गीत भी सुन सकेंगे. जेल में स्टूडियो तैयार किया गया है. जहां पर बंदी प्रोग्राम के लिए अपनी कविता, कहानी, भजन सहित अन्य की रिकॉर्डिंग कर सकेंगे. कार्यक्रम को दोपहर 3 से 4 बजे के बीच प्रसारित किया जाएगा. रेडियो के संचालन की जिम्मेदारी महिला बंदी तुहिना और बंदी उदय को दी गई है. सन् 2017 से जेल में पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम लगाया गया. इसके माध्यम से बंधी बैंरकों में भजन सुनते हैं. इन हाउस रेडियो को अपनी आवाज देने के अलावा बंदियों को रेडियो के प्रोग्राम में भी मदद मिलेगी.

बंदियों के लिए हुआ रेडियो स्टेशन का शुभारंभ

एसएसपी बबलू कुमार और तिनका तिनका की फाउंडर डॉक्टर वर्तिका नंदा ने विधिवत रूप से फीता काटकर रेडियो स्टेशन का उद्घाटन किया. जेल में महिला और पुरुष के साथ शुरू होने वाला ये रेडियो बंदियों की आवाज बनेगा.

जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा के साथ मिलकर के 5 महीने पहले इस दिशा में काम शुरू किया था. इसका मकसद जेल में एक नए बदलाव को लाना था. जिसे कैदियों में आत्मविश्वास और शिक्षा की अलख जगे. मैं जेलों पर काम कर रही हूँ. यह देश की जेलों का पहला ऐसा रेडियो स्टेशन है. जिसकी आवाज भी बच्चे बनेंगे.

- डॉ. वर्तिका नंदा, तिनका तिनका मुहिम की फाउंडर

एक अच्छी पहल है. यह सुधारात्मक कार्यों में बहुत प्रभावी रहेगा. इससे जेल का माहौल बदलेगा. रेडियो के माध्यम से बंधी अपनी प्रतिभा को भी सामने ला सकेंगे. इसके साथ ही समाचार का संक्षिप्त विवरण उनके एवं प्रेरक प्रसंग भी इस कार्यक्रम में जोड़े जा सकते हैं.

- बबलू कुमार, एसएसपी

आगरा: देश की सबसे पुरानी मुगलों के जमाने की जिला जेल के साथ बुधवार को एक और अध्याय जुड़ गया. जेल में कैदियों के 'अपने' रेडियो का शुभारंभ हो गया. आगरा जिला जेल प्रदेश की तीसरी ऐसी जेल है, जिसमें रेडियो स्टेशन शुरू किया गया है.

जेल में बंदियों के लिए बना रेडियो स्टेशन.

जिला जेल के बंदियों का रेडियो स्टेशन

इस रेडियो स्टेशन की खासियत यह है कि इसमें बंदी ही आरजे हैं. रेडियो स्टेशन से बंदी अपनी फरमाइश के गीत भी सुन सकेंगे. जेल में स्टूडियो तैयार किया गया है. जहां पर बंदी प्रोग्राम के लिए अपनी कविता, कहानी, भजन सहित अन्य की रिकॉर्डिंग कर सकेंगे. कार्यक्रम को दोपहर 3 से 4 बजे के बीच प्रसारित किया जाएगा. रेडियो के संचालन की जिम्मेदारी महिला बंदी तुहिना और बंदी उदय को दी गई है. सन् 2017 से जेल में पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम लगाया गया. इसके माध्यम से बंधी बैंरकों में भजन सुनते हैं. इन हाउस रेडियो को अपनी आवाज देने के अलावा बंदियों को रेडियो के प्रोग्राम में भी मदद मिलेगी.

बंदियों के लिए हुआ रेडियो स्टेशन का शुभारंभ

एसएसपी बबलू कुमार और तिनका तिनका की फाउंडर डॉक्टर वर्तिका नंदा ने विधिवत रूप से फीता काटकर रेडियो स्टेशन का उद्घाटन किया. जेल में महिला और पुरुष के साथ शुरू होने वाला ये रेडियो बंदियों की आवाज बनेगा.

जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा के साथ मिलकर के 5 महीने पहले इस दिशा में काम शुरू किया था. इसका मकसद जेल में एक नए बदलाव को लाना था. जिसे कैदियों में आत्मविश्वास और शिक्षा की अलख जगे. मैं जेलों पर काम कर रही हूँ. यह देश की जेलों का पहला ऐसा रेडियो स्टेशन है. जिसकी आवाज भी बच्चे बनेंगे.

- डॉ. वर्तिका नंदा, तिनका तिनका मुहिम की फाउंडर

एक अच्छी पहल है. यह सुधारात्मक कार्यों में बहुत प्रभावी रहेगा. इससे जेल का माहौल बदलेगा. रेडियो के माध्यम से बंधी अपनी प्रतिभा को भी सामने ला सकेंगे. इसके साथ ही समाचार का संक्षिप्त विवरण उनके एवं प्रेरक प्रसंग भी इस कार्यक्रम में जोड़े जा सकते हैं.

- बबलू कुमार, एसएसपी

Intro:आगरा.
देश की सबसे पुरानी मुगलों के जमाने की आगरा जिला जेल के साथ बुधवार को एक और अध्याय जुड़ गया. जेल में कैदियों के 'अपने' रेडियो का प्रसारण शुरू हो गया. आगरा जिला जेल प्रदेश की तीसरी ऐसी जेल है, जिसमें रेडियो स्टेशन शुरू किया गया है.
इस रेडियो स्टेशन की खासियत यह है कि इसमें बंदी ही आरजे हैं. रेडियो स्टेशन से बंदी अपनी फरमाइश के गीत भी सुन सकेंगे. जेल में स्टूडियो तैयार किया गया है. जहां पर बंदी प्रोग्राम के लिए अपनी कविता, कहानी, भजन सहित अन्य की रिकॉर्डिंग करेंगे. जिसे दोपहर तीन बजे से चार बजे के बीच प्रसारित किया जाएगा. रेडियो के संचालन की जिम्मेदारी महिला बंदी तुहिना और बंदी उदय को दी गई है.




Body:आगरा जिला जेल 1741 की है. गुरुवार को जेल के मुख्य द्वार से लगा कमरा नए अध्याय का गवाह बना. मुगलों के जमाने में जिला जेल में बंदियों के लिए उनके अपने रेडियो की शुरुआत कर दी गई है. सन् 2017 से जेल में पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम लगाया गया. इसके माध्यम से बंधी बैंरकों में भजन सुनते हैं. इन हाउस रेडियो को अपनी आवाज देने के अलावा बंदियों को रेडियो की प्रोग्राम में भी मदद मिलेगी.
एसएसपी बबलू कुमार और तिनका तिनका की फाउंडर डॉक्टर वर्तिका नंदा ने विधिवत रूप से फीता फीता काटकर के रेडियो स्टेशन का उद्घाटन किया. जेल में महिला और पुरुष के साथ शुरू होने वाले रेडियो बंदियों की आवाज बनेगा. जेल में प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से 4 बजे तक रेडियो का प्रसारण होगा.
तिनका तिनका की फाउंडर वर्तिका नंदा का कहना है कि, जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा के साथ मिलकर के 5 महीने पहले इस दिशा में काम शुरू किया था. इसका मकसद जेल में एक नए बदलाव को लाना था. जिसे कैदियों में आत्मविश्वास और शिक्षा की अलख जगे. मैं जेलों पर काम कर रही हूँ. यह देश की जेलों का पहला ऐसा रेडियो स्टेशन है. जिसकी आवाज भी बच्चे बनेंगे. मैं यूपी की जेलों का अध्ययन कर रही हूं. और इसी कड़ी में आगरा बेहतर व्यवस्थाओं के लिए और बंदियों की मनोरंजन के लिए रेडियो स्टेशन शुरू किया गया है.
एसएसपी बबलू कुमार का कहना है कि एक अच्छी पहल है. यह सुधारात्मक कार्यों में बहुत प्रभावी रहेगा. इससे जेल का माहौल बदलेगा. रेडियो के माध्यम से बंधी अपनी प्रतिभा को भी सामने ला सकेंगे. इसके साथ ही समाचार का संक्षिप्त विवरण उनके एवं प्रेरक प्रसंग भी इस कार्यक्रम में जोड़े जा सकते हैं.



Conclusion: जेल में रेडियो स्टेशन के माध्यम से नए बदलाव बंदियों में होंगे. उनमें आत्मविश्वास जगेगा तो शिक्षा की अलख भी लगेगी. यह रेडियो बंदियों की आवाज बनेगा.

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wrap से विजुअल और वर्तिका नंदा की बाइट भेजी है. स्लग यही है.
up_agr_01_inauguration_of_radio_station_district_jail_pkg_7203925
मोजो से बाइट एसएसपी बबलू कुमार की.

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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
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