आगरा: देश की सबसे पुरानी मुगलों के जमाने की जिला जेल के साथ बुधवार को एक और अध्याय जुड़ गया. जेल में कैदियों के 'अपने' रेडियो का शुभारंभ हो गया. आगरा जिला जेल प्रदेश की तीसरी ऐसी जेल है, जिसमें रेडियो स्टेशन शुरू किया गया है.
जिला जेल के बंदियों का रेडियो स्टेशन
इस रेडियो स्टेशन की खासियत यह है कि इसमें बंदी ही आरजे हैं. रेडियो स्टेशन से बंदी अपनी फरमाइश के गीत भी सुन सकेंगे. जेल में स्टूडियो तैयार किया गया है. जहां पर बंदी प्रोग्राम के लिए अपनी कविता, कहानी, भजन सहित अन्य की रिकॉर्डिंग कर सकेंगे. कार्यक्रम को दोपहर 3 से 4 बजे के बीच प्रसारित किया जाएगा. रेडियो के संचालन की जिम्मेदारी महिला बंदी तुहिना और बंदी उदय को दी गई है. सन् 2017 से जेल में पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम लगाया गया. इसके माध्यम से बंधी बैंरकों में भजन सुनते हैं. इन हाउस रेडियो को अपनी आवाज देने के अलावा बंदियों को रेडियो के प्रोग्राम में भी मदद मिलेगी.
बंदियों के लिए हुआ रेडियो स्टेशन का शुभारंभ
एसएसपी बबलू कुमार और तिनका तिनका की फाउंडर डॉक्टर वर्तिका नंदा ने विधिवत रूप से फीता काटकर रेडियो स्टेशन का उद्घाटन किया. जेल में महिला और पुरुष के साथ शुरू होने वाला ये रेडियो बंदियों की आवाज बनेगा.
जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा के साथ मिलकर के 5 महीने पहले इस दिशा में काम शुरू किया था. इसका मकसद जेल में एक नए बदलाव को लाना था. जिसे कैदियों में आत्मविश्वास और शिक्षा की अलख जगे. मैं जेलों पर काम कर रही हूँ. यह देश की जेलों का पहला ऐसा रेडियो स्टेशन है. जिसकी आवाज भी बच्चे बनेंगे.
- डॉ. वर्तिका नंदा, तिनका तिनका मुहिम की फाउंडर
एक अच्छी पहल है. यह सुधारात्मक कार्यों में बहुत प्रभावी रहेगा. इससे जेल का माहौल बदलेगा. रेडियो के माध्यम से बंधी अपनी प्रतिभा को भी सामने ला सकेंगे. इसके साथ ही समाचार का संक्षिप्त विवरण उनके एवं प्रेरक प्रसंग भी इस कार्यक्रम में जोड़े जा सकते हैं.
- बबलू कुमार, एसएसपी