ETV Bharat / sports

कोविड-19 लॉकडाउन से मुक्केबाजों की लय प्रभावित हुई: BFI अध्यक्ष

बीएफआई के अध्यक्ष अजय सिंह ने भारतीय मुक्केबाजों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, खिलाड़ियों को प्रतियोगिताओं के लिए मानसिक रूप से मजबूत करना होगा.

BFI President  Corona affected  boxers  lockdown  भारतीय मुक्केबाजी महासंघ  BFI  अजय सिंह  Tokyo Olympics  टोक्यो ओलंपिक 2020
बीएफआई अध्यक्ष अजय सिंह
author img

By

Published : Aug 1, 2021, 3:13 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के अध्यक्ष अजय सिंह ने टोक्यो खेलों में मुक्केबाजों के प्रदर्शन पर कहा, अब फोकस भारतीय मुक्केबाजों को ओलंपिक जैसी उच्च दबाव वाली प्रतियोगिताओं के लिए मानसिक रूप से मजबूत करने पर होगा.

पांच पुरुष और चार महिलाओं सहित नौ मुक्केबाजों ने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था. लेकिन केवल लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) ही सेमीफाइनल में पहुंचकर एकमात्र पदक हासिल कर सकीं हैं, जो नौ साल में भारत का पहला ओलंपिक पदक होगा.

पुरुष मुक्केबाजों में केवल पदार्पण कर रहे सुपर हेवीवेट सतीश कुमार ही एक जीत दर्ज कर सके. जबकि दुनिया के नंबर एक अमित पंघाल (52 किग्रा) सहित चार शुरुआती दौर में बाहर हो गए. सिंह ने टोक्यो से फोन पर कहा, निश्चित रूप से इसकी उम्मीद नहीं थी. मुझे विशेष रूप से विकास (चोटिल) और अमित की हार का बुरा लग रहा है.

यह भी पढ़ें: सिमोन बाइल्स ने फ्लोर एक्सरसाइज से भी नाम वापिस लिया

उन्होंने कहा, मैरीकॉम अपनी प्री-क्वार्टर फाइनल बाउट में करीबी अंतर से हारीं. इसलिए यह मिश्रित नतीजों वाला प्रदर्शन रहा, लेकिन अच्छी बात यह है कि हमें नौ साल बाद पदक मिला और इसका रंग बेहतर हो सकता है. भारत ने साल 2016 ओलंपिक में एक भी पदक नहीं जीता था, जिसमें देश की कोई भी महिला मुक्केबाज क्वालीफाई भी नहीं कर पाई थी. केवल तीन पुरुषों ने ही क्वालीफाई किया था.

यह भी पढ़ें: ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान जॉर्ज बेली राष्ट्रीय टीम के मुख्य चयनकर्ता बने

उस लिहाज से टोक्यो का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा, लेकिन कोई भी पुरुष मुक्केबाज जापान में पदक दौर में जगह नहीं बना सका तो इस पर उन्होंने पूछा, प्रदर्शन की आलोचना के लिए अभियान खत्म होने तक का इंतजार किया जा सकता है. लेकिन मैं बिना सोचे समझे प्रतिक्रिया देने के पक्ष में नहीं हूं. पिछले चार साल के प्रदर्शन को अनदेखा नहीं किया जा सकता. इन्हीं पुरुषों और कोचिंग स्टाफ ने हमें अभूतपूर्व उपलब्धियां दिलाई हैं, क्या हम एक खराब नतीजे के सामने इनकी अनदेखी कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें: Tokyo Olympics 2020, Day 10: भारतीय घुड़सवार फवाद मिर्जा क्रॉस कंट्री दौर के बाद 22वें स्थान पर

वह विश्व चैम्पियनशिप और एशियाई खेलों में मुक्केबाजों की उपलब्धियों का जिक्र कर रहे थे. उन्होंने कहा, मुझे पूरा भरोसा है कि अगर ये सभी पिछले साल ही ओलंपिक में खेले होते तो नतीजा इससे बेहतर हुआ होता. लॉकडाउन से लय टूट गई थी. उन्होंने कहा, आलोचनाओं का स्वागत है, लेकिन लोगों को सूली पर नहीं चढ़ाना चाहिए. मैं इन सभी मुक्केबाजों के साथ हूं. क्योंकि अगर वे जीतते हैं तो भी वे अपने चेहरों और शरीर पर मुक्के खाते हैं.

सिंह ने कहा, वे कोचिंग स्टाफ का भी पूरा समर्थन करेंगे, इसमें कोई सवाल ही नहीं है. उनका ध्यान अब मुक्केबाजों को बेहतर मानसिक सहयोग मुहैया कराना होगा. सिंह ने कहा, प्रतिभा काफी है, लेकिन हमें मानसिक रूप से मजबूत होना होगा. ओलंपिक बड़ा मंच है, हमारे पास एक पूर्णकालिक मनोचिकित्सक भी है. लेकिन हम देखेंगे कि और क्या किया जा सकता है.

नई दिल्ली: भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के अध्यक्ष अजय सिंह ने टोक्यो खेलों में मुक्केबाजों के प्रदर्शन पर कहा, अब फोकस भारतीय मुक्केबाजों को ओलंपिक जैसी उच्च दबाव वाली प्रतियोगिताओं के लिए मानसिक रूप से मजबूत करने पर होगा.

पांच पुरुष और चार महिलाओं सहित नौ मुक्केबाजों ने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था. लेकिन केवल लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) ही सेमीफाइनल में पहुंचकर एकमात्र पदक हासिल कर सकीं हैं, जो नौ साल में भारत का पहला ओलंपिक पदक होगा.

पुरुष मुक्केबाजों में केवल पदार्पण कर रहे सुपर हेवीवेट सतीश कुमार ही एक जीत दर्ज कर सके. जबकि दुनिया के नंबर एक अमित पंघाल (52 किग्रा) सहित चार शुरुआती दौर में बाहर हो गए. सिंह ने टोक्यो से फोन पर कहा, निश्चित रूप से इसकी उम्मीद नहीं थी. मुझे विशेष रूप से विकास (चोटिल) और अमित की हार का बुरा लग रहा है.

यह भी पढ़ें: सिमोन बाइल्स ने फ्लोर एक्सरसाइज से भी नाम वापिस लिया

उन्होंने कहा, मैरीकॉम अपनी प्री-क्वार्टर फाइनल बाउट में करीबी अंतर से हारीं. इसलिए यह मिश्रित नतीजों वाला प्रदर्शन रहा, लेकिन अच्छी बात यह है कि हमें नौ साल बाद पदक मिला और इसका रंग बेहतर हो सकता है. भारत ने साल 2016 ओलंपिक में एक भी पदक नहीं जीता था, जिसमें देश की कोई भी महिला मुक्केबाज क्वालीफाई भी नहीं कर पाई थी. केवल तीन पुरुषों ने ही क्वालीफाई किया था.

यह भी पढ़ें: ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान जॉर्ज बेली राष्ट्रीय टीम के मुख्य चयनकर्ता बने

उस लिहाज से टोक्यो का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा, लेकिन कोई भी पुरुष मुक्केबाज जापान में पदक दौर में जगह नहीं बना सका तो इस पर उन्होंने पूछा, प्रदर्शन की आलोचना के लिए अभियान खत्म होने तक का इंतजार किया जा सकता है. लेकिन मैं बिना सोचे समझे प्रतिक्रिया देने के पक्ष में नहीं हूं. पिछले चार साल के प्रदर्शन को अनदेखा नहीं किया जा सकता. इन्हीं पुरुषों और कोचिंग स्टाफ ने हमें अभूतपूर्व उपलब्धियां दिलाई हैं, क्या हम एक खराब नतीजे के सामने इनकी अनदेखी कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें: Tokyo Olympics 2020, Day 10: भारतीय घुड़सवार फवाद मिर्जा क्रॉस कंट्री दौर के बाद 22वें स्थान पर

वह विश्व चैम्पियनशिप और एशियाई खेलों में मुक्केबाजों की उपलब्धियों का जिक्र कर रहे थे. उन्होंने कहा, मुझे पूरा भरोसा है कि अगर ये सभी पिछले साल ही ओलंपिक में खेले होते तो नतीजा इससे बेहतर हुआ होता. लॉकडाउन से लय टूट गई थी. उन्होंने कहा, आलोचनाओं का स्वागत है, लेकिन लोगों को सूली पर नहीं चढ़ाना चाहिए. मैं इन सभी मुक्केबाजों के साथ हूं. क्योंकि अगर वे जीतते हैं तो भी वे अपने चेहरों और शरीर पर मुक्के खाते हैं.

सिंह ने कहा, वे कोचिंग स्टाफ का भी पूरा समर्थन करेंगे, इसमें कोई सवाल ही नहीं है. उनका ध्यान अब मुक्केबाजों को बेहतर मानसिक सहयोग मुहैया कराना होगा. सिंह ने कहा, प्रतिभा काफी है, लेकिन हमें मानसिक रूप से मजबूत होना होगा. ओलंपिक बड़ा मंच है, हमारे पास एक पूर्णकालिक मनोचिकित्सक भी है. लेकिन हम देखेंगे कि और क्या किया जा सकता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.