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गुजरात के इस गांव की मशहूर है परंपरा, जानिए क्या है 750 साल पुराने घुड़दौड़ के पीछे की कहानी - 750 year old horse race in Gujarat village

गुजरात के पेपुल गांव में हर साल अश्वदौड़ का आयोजन किया जाता है इस साल भी भैयादूज पर इसका आयोजन किया गया. इस दौड़ को देखने के लिए हर साल हजारों लोग इकट्ठे होते हैं. जानिए इस दौड़ के बारे में...

horse races
घोड़ा दौड़
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 16, 2023, 8:12 PM IST

बनासकांठा : हमारे देश में परंपराओं का हमेशा से सम्मान किया जाता है. बूढ़े बुजुर्ग लोग अपने बड़ो से सीखी परंपराएं, त्योहार और संस्कृति को अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए लगातार जिंदा रखते हैं और उनको सौंपकर जाते हैं. फिर उनकी पीढ़ियां उस परंपरा को जिंदा रखती हैं और यह चक्र सालो-साल चलता रहता है. एक ऐसा ही किस्सा है गुजरात के पेपुल जिले का है.

अपनी परंपरा के अनुसार राठौर परिवार के लोग नये साल के अवसर पर चुनरी ले कर चौथबा को औढाने के लिए मुठेडा गांव जाते हैं.और भैया दूज को वापस आकर आनंद और उत्साह मे पट्टा खेल कर हडीला (पारंपरिक गाना) गाते है, और उसके बाद इस गांव में अश्व दौड का आयोजन किया जाता है. 400 से ज्यादा प्रतिस्पर्धी इस प्रतियोगिता में भाग लेते हैं.

घोड़ा दौड़ आयोजन
घोड़ा दौड़ आयोजन

बता दें कि मुडेठा गांव मे पिछले 750 साल से यह दौड़ हो रही है. इस घोड़ा दौड़ आयोजन की विशेषता यह है कि इस दौड़ के देखने के लिए जनसैलाब उमड़ता है. और इसको व्यवस्थित करने के लिए पुलिस को इंतजाम करने की जरुरत नहीं पड़ती है. इस पूरे आयोजन की सुरक्षा की जिम्मेदारी मुडेठा गांव के चंद राठौड़ परिवार के ही लोग ही उठाते हैं.

सदियों से इस परंपरा को मानने वाले और देखने वाले बदल गए हैं, लेकिन यह परंपरा आज भी कायम है. कई पीढ़ियों से चली आ रही इस परंपरा में राठौड़ वंश के लोग तलवारबाजी के साथ बेल्ट से खेलते हैं. जैसे-जैसे समय बदलता जा रहा है, आज के युवाओं में भी इस परंपरा को बरकरार रखने का जज्बा उतना ही देखने को मिलता है, जितना पिछली पीढ़ियों में देखने को मिलता था.

अश्व दौड
अश्व दौड

मुडेठा गाव में हर साल भैया दूज के दिन अश्व दौड के देखने लिए आस-पास के गांव ही नहीं, बल्कि अहमदाबाद जैसे बडे शहरो से भी बडी संख्या मे लोग आते है, छोटे सा मुडेठा गांव तब जनसैलाब से भर जाता है. घोड़ों की दौड देखने आए एक दर्शक ने इस अश्व दौड के बारे में बताया कि

हम यहां घोड़ों की दौड देखने के लिए आये है, यह देख कर खूब मजा आता है, ऐसा कहा जाता है की 700 साल से यहां घौड़ा दौड का आयोजन किया जाता है. जिसमे बहुत सारे घोड़े होते हैं, और बहुत लोग यहां आते है, हमें यह देखने का मौका मिला तो यह बहुत खुशी की बात है

हर साल की तरह इस साल भी भैयादूज के मौके पर घौड़ा दौड का आयोजन किया गया. यहां हजारों लोग इकट्ठा हुए. और 750 साल पुरानी इस परंपरा को देखने के लिए आए. और खुद को गौरान्वित महसूस किया.

यह भी पढ़ें : साउथ अफ्रीका महामुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के सामने फिर साबित हुई चौकर्स, मात्र 24 रन पर गंवाए 4 विकेट

बनासकांठा : हमारे देश में परंपराओं का हमेशा से सम्मान किया जाता है. बूढ़े बुजुर्ग लोग अपने बड़ो से सीखी परंपराएं, त्योहार और संस्कृति को अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए लगातार जिंदा रखते हैं और उनको सौंपकर जाते हैं. फिर उनकी पीढ़ियां उस परंपरा को जिंदा रखती हैं और यह चक्र सालो-साल चलता रहता है. एक ऐसा ही किस्सा है गुजरात के पेपुल जिले का है.

अपनी परंपरा के अनुसार राठौर परिवार के लोग नये साल के अवसर पर चुनरी ले कर चौथबा को औढाने के लिए मुठेडा गांव जाते हैं.और भैया दूज को वापस आकर आनंद और उत्साह मे पट्टा खेल कर हडीला (पारंपरिक गाना) गाते है, और उसके बाद इस गांव में अश्व दौड का आयोजन किया जाता है. 400 से ज्यादा प्रतिस्पर्धी इस प्रतियोगिता में भाग लेते हैं.

घोड़ा दौड़ आयोजन
घोड़ा दौड़ आयोजन

बता दें कि मुडेठा गांव मे पिछले 750 साल से यह दौड़ हो रही है. इस घोड़ा दौड़ आयोजन की विशेषता यह है कि इस दौड़ के देखने के लिए जनसैलाब उमड़ता है. और इसको व्यवस्थित करने के लिए पुलिस को इंतजाम करने की जरुरत नहीं पड़ती है. इस पूरे आयोजन की सुरक्षा की जिम्मेदारी मुडेठा गांव के चंद राठौड़ परिवार के ही लोग ही उठाते हैं.

सदियों से इस परंपरा को मानने वाले और देखने वाले बदल गए हैं, लेकिन यह परंपरा आज भी कायम है. कई पीढ़ियों से चली आ रही इस परंपरा में राठौड़ वंश के लोग तलवारबाजी के साथ बेल्ट से खेलते हैं. जैसे-जैसे समय बदलता जा रहा है, आज के युवाओं में भी इस परंपरा को बरकरार रखने का जज्बा उतना ही देखने को मिलता है, जितना पिछली पीढ़ियों में देखने को मिलता था.

अश्व दौड
अश्व दौड

मुडेठा गाव में हर साल भैया दूज के दिन अश्व दौड के देखने लिए आस-पास के गांव ही नहीं, बल्कि अहमदाबाद जैसे बडे शहरो से भी बडी संख्या मे लोग आते है, छोटे सा मुडेठा गांव तब जनसैलाब से भर जाता है. घोड़ों की दौड देखने आए एक दर्शक ने इस अश्व दौड के बारे में बताया कि

हम यहां घोड़ों की दौड देखने के लिए आये है, यह देख कर खूब मजा आता है, ऐसा कहा जाता है की 700 साल से यहां घौड़ा दौड का आयोजन किया जाता है. जिसमे बहुत सारे घोड़े होते हैं, और बहुत लोग यहां आते है, हमें यह देखने का मौका मिला तो यह बहुत खुशी की बात है

हर साल की तरह इस साल भी भैयादूज के मौके पर घौड़ा दौड का आयोजन किया गया. यहां हजारों लोग इकट्ठा हुए. और 750 साल पुरानी इस परंपरा को देखने के लिए आए. और खुद को गौरान्वित महसूस किया.

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