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अखबार के एक लेख ने किस तरह बदली मुक्केबाज सागर अहलावत की जिंदगी

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Published : Jul 23, 2022, 5:57 PM IST

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के लिए भारतीय दल में शामिल किए गए पुरुष मुक्केबाज सागर अहलावत ने अपनी कहानी साझा की है. उनका कहना है, मैं पढ़ाई में अच्छा नहीं था. मेरे से पढ़ाई नहीं होती थी. इस लिए मैंने 12वीं के बाद कुछ करने के लिए देखना शुरू कर दिया था.

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मुक्केबाज सागर अहलावत

नई दिल्ली: बर्मिंघम में खेले जाने वाले 22वें कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए भारतीय मुक्केबाजी दल में 14 बॉक्सर्स को भेजा जा रहा है, जिनसे देश को पदक की काफी उम्मीद है. बर्मिंघम गेम्स से पहले ये सभी खिलाड़ियों तैयारियों में जुटे हुए हैं. जहां इन खेलों में हिस्सा लेने वाले इन खिलाड़ियों में कई प्लेयर अपना नाम पहले भी विश्व पटल पर लिखवा चुके हैं. वहीं पर कुछ खिलाड़ी पहली बार खेलते हुए नजर आने वाले हैं.

सागर अहलावत का कहना है कि साल 2015 में फ्लॉएड मेवेदर जूनियर और मैनी पैकियाओ के बीच फाइट ऑफ द सेंचुरी पर अखबार में छपा लेख पढ़ने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई. यह लेख पढ़ने के सात साल बाद 20 साल का मुक्केबाज बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की +92 किग्रा सुपर हैवीवेट स्पर्धा में चुनौती पेश करने के लिए तैयार है, जिसमें वह पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. सागर ने पीटीआई से कहा, मैं पढ़ाई में अच्छा नहीं था. मेरे से पढ़ाई नहीं होती थी. इसलिए मैंने 12वीं के बाद कुछ करने के लिए देखना शुरू किया.

यह भी पढ़ें: Commonwealth Games: राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के दिलचस्प तथ्य...

किसान परिवार में जन्में सागर का खेलों से कोई लेना-देना नहीं था. लेकिन एक दिन उन्होंने मेवेदर और पैकियाओ के बीच मशहूर भिड़ंत के बारे में अखबार में पूरे पन्ने का लेख पढ़ा. जैसे-जैसे वह दोनों महान मुक्केबाजों के बारे में और उनकी उपलब्धियों के बारे में पढ़ते गए, वह पूरी तरह स्पष्ट हो चुके थे कि उन्हें क्या करना है. सागर ने कहा, मेरे परिवार में कोई भी खेलों में नहीं है. मुझे थोड़ा बहुत मुक्केबाजी के बारे में पता था, लेकिन मुझे मेवेदर और पैकियाओ के बारे में अखबार में पढ़कर प्रेरणा मिली.

उन्होंने कहा, मैंने साल 2017 में मुक्केबाजी शुरू की और जवाहर बाग स्टेडियम में ट्रेनिंग करना शुरू किया. लेकिन अपने किसान परिवार के लिए मदद के कारण उन्हें अपनी ट्रेनिंग कई बार छोड़नी पड़ती थी. दो साल बाद उन्होंने अखिल भारतीय विश्वविद्यालय खेलों में स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद उन्होंने खेलो इंडिया विश्वविद्यालय खेलों में लगातार खिताब जीत लिए.

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मुक्केबाज सागर अहलावत

इस सुपर हैवीवेट मुक्केबाज ने कहा, मैंने साल 2019 में अपने पहले विश्वविद्यालय खेलों में हिस्सा लिया, जिसमें मुझे स्वर्ण पदक मिला. फिर मैंने 2020 में और अगले साल भी खेलो इंडिया विश्वविद्यालय खेलों में स्वर्ण पदक जीता.

यह भी पढ़ें: कॉमनवेल्थ गेम्स 2022: मुश्किल डगर पर भारत की महिला और पुरुष हॉकी टीम

सीनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता 2021 में पदार्पण में रजत पदक के बाद उन्हें पटियाला में राष्ट्रीय शिविर में शामिल कर लिया गया. उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों के चयन ट्रायल में भी प्रभावित करना जारी रखा. सागर ने टोक्यो ओलंपिक के क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचे सतीष कुमार को हराने के बाद मौजूदा राष्ट्रीय चैम्पियन नरेंदर को हराकर बर्मिंघम का टिकट कटाया, जो उनका पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट होगा. सागर ने कहा, मैं नर्वस बिलकुल नहीं हूं कि यह मेरा पहला टूर्नामेंट है. क्योंकि मैंने बहुत अच्छी ट्रेनिंग की है. मैं अच्छी बाउट लड़ना चाहता हूं.

नई दिल्ली: बर्मिंघम में खेले जाने वाले 22वें कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए भारतीय मुक्केबाजी दल में 14 बॉक्सर्स को भेजा जा रहा है, जिनसे देश को पदक की काफी उम्मीद है. बर्मिंघम गेम्स से पहले ये सभी खिलाड़ियों तैयारियों में जुटे हुए हैं. जहां इन खेलों में हिस्सा लेने वाले इन खिलाड़ियों में कई प्लेयर अपना नाम पहले भी विश्व पटल पर लिखवा चुके हैं. वहीं पर कुछ खिलाड़ी पहली बार खेलते हुए नजर आने वाले हैं.

सागर अहलावत का कहना है कि साल 2015 में फ्लॉएड मेवेदर जूनियर और मैनी पैकियाओ के बीच फाइट ऑफ द सेंचुरी पर अखबार में छपा लेख पढ़ने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई. यह लेख पढ़ने के सात साल बाद 20 साल का मुक्केबाज बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की +92 किग्रा सुपर हैवीवेट स्पर्धा में चुनौती पेश करने के लिए तैयार है, जिसमें वह पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. सागर ने पीटीआई से कहा, मैं पढ़ाई में अच्छा नहीं था. मेरे से पढ़ाई नहीं होती थी. इसलिए मैंने 12वीं के बाद कुछ करने के लिए देखना शुरू किया.

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किसान परिवार में जन्में सागर का खेलों से कोई लेना-देना नहीं था. लेकिन एक दिन उन्होंने मेवेदर और पैकियाओ के बीच मशहूर भिड़ंत के बारे में अखबार में पूरे पन्ने का लेख पढ़ा. जैसे-जैसे वह दोनों महान मुक्केबाजों के बारे में और उनकी उपलब्धियों के बारे में पढ़ते गए, वह पूरी तरह स्पष्ट हो चुके थे कि उन्हें क्या करना है. सागर ने कहा, मेरे परिवार में कोई भी खेलों में नहीं है. मुझे थोड़ा बहुत मुक्केबाजी के बारे में पता था, लेकिन मुझे मेवेदर और पैकियाओ के बारे में अखबार में पढ़कर प्रेरणा मिली.

उन्होंने कहा, मैंने साल 2017 में मुक्केबाजी शुरू की और जवाहर बाग स्टेडियम में ट्रेनिंग करना शुरू किया. लेकिन अपने किसान परिवार के लिए मदद के कारण उन्हें अपनी ट्रेनिंग कई बार छोड़नी पड़ती थी. दो साल बाद उन्होंने अखिल भारतीय विश्वविद्यालय खेलों में स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद उन्होंने खेलो इंडिया विश्वविद्यालय खेलों में लगातार खिताब जीत लिए.

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मुक्केबाज सागर अहलावत

इस सुपर हैवीवेट मुक्केबाज ने कहा, मैंने साल 2019 में अपने पहले विश्वविद्यालय खेलों में हिस्सा लिया, जिसमें मुझे स्वर्ण पदक मिला. फिर मैंने 2020 में और अगले साल भी खेलो इंडिया विश्वविद्यालय खेलों में स्वर्ण पदक जीता.

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सीनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता 2021 में पदार्पण में रजत पदक के बाद उन्हें पटियाला में राष्ट्रीय शिविर में शामिल कर लिया गया. उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों के चयन ट्रायल में भी प्रभावित करना जारी रखा. सागर ने टोक्यो ओलंपिक के क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचे सतीष कुमार को हराने के बाद मौजूदा राष्ट्रीय चैम्पियन नरेंदर को हराकर बर्मिंघम का टिकट कटाया, जो उनका पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट होगा. सागर ने कहा, मैं नर्वस बिलकुल नहीं हूं कि यह मेरा पहला टूर्नामेंट है. क्योंकि मैंने बहुत अच्छी ट्रेनिंग की है. मैं अच्छी बाउट लड़ना चाहता हूं.

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