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विराट के 'धमाके' पर गांगुली ने कुछ भी बोलने से इनकार किया

भारतीय क्रिकेट में इन दिनों बवाल मचा हुआ है. बुधवार को भारतीय कप्तान विराट कोहली ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीसीसीआई अध्यक्ष सौरभ गांगुली के बयान को 'गलत' बताया था. गुरुवार को गांगुली ने पहली बार इस मुद्दे पर अपनी राय रखी. गांगुली ने कहा, बोर्ड इस मुद्दे से निपट लेगा.

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Sourav Ganguly vs Virat Kohli
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Published : Dec 16, 2021, 6:30 PM IST

कोलकाता: टेस्ट कप्तान विराट कोहली के सार्वजनिक रूप से विरोधाभासी बयान देकर भारतीय क्रिकेट में तूफान लाने के एक दिन बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि बोर्ड इससे निपटेगा.

दक्षिण अफ्रीका दौरे पर रवाना होने से पहले प्रेस कांफ्रेंस में कोहली ने कहा था कि जब उन्होंने टी-20 टीम की कप्तानी छोड़ने के अपने इरादे के बारे में बताया तो उन्हें कभी कप्तान बने रहने के लिए नहीं कहा गया. यह गांगुली के कुछ दिन पहले दिए गए बयान के बिलकुल विपरीत था, जिन्होंने कहा था कि कोहली को आग्रह किया गया था कि वह पद नहीं छोड़ें.

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गांगुली ने गुरुवार को स्थानीय मीडियाकर्मियों से कहा, कोई बयान, प्रेस कांफ्रेंस नहीं. हम इससे निपटेंगे, यह बीसीसीआई पर छोड़ दीजिए. इस तरह की चर्चा थी कि बीसीसीआई ने कोहली की विस्फोटक प्रेस कांफ्रेंस के बाद चयन समिति के अध्यक्ष चेतन शर्मा को मीडिया को संबोधित करने को कहा गया था. लेकिन बोर्ड ने अंतत: कोई बयानबाजी नहीं की.

बुधवार को कोहली के बयान से प्रशासकों के साथ उनका तनाव उभरकर सामने आया था. कोहली ने गांगुली के बयान के संदर्भ में कहा था, जो फैसला किया गया. उसे लेकर जो भी संवाद हुआ, उसके बारे में जो भी कहा गया वह गलत है. कोहली ने कहा, जब मैंने टी-20 कप्तानी छोड़ी तो मैंने पहले बीसीसीआई से संपर्क किया और उन्हें अपने फैसले के बारे में बताया और उनके (पदाधिकारियों) सामने अपना नजरिया रखा.

यह भी पढ़ें: कप्तानी विवाद के बीच भारतीय टेस्ट टीम दक्षिण अफ्रीका रवाना

भारतीय कप्तान ने गांगुली के कुछ दिन पहले के बयान से बिलकुल विपरीत जानकारी देते हुए कहा, मैंने कारण बताए कि आखिर क्यों मैं टी-20 कप्तानी छोड़ना चाहता हूं और मेरे नजरिए को अच्छी तरह समझा गया. कुछ गलत नहीं था, कोई हिचक नहीं थी और एक बार भी नहीं कहा गया कि आपको टी-20 कप्तानी नहीं छोड़नी चाहिए.

इससे पहले गांगुली ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा था कि कोहली के टी-20 कप्तानी छोड़ने पर पुनर्विचार नहीं करने के कारण चयनकर्ताओं को सीमित ओवरों के प्रारूप में रोहित को एकमात्र कप्तान बनाना पड़ा. क्योंकि दो प्रारूपों में दो अलग कप्तान होने से नेतृत्वक्षमता का टकराव हो सकता था.

कोलकाता: टेस्ट कप्तान विराट कोहली के सार्वजनिक रूप से विरोधाभासी बयान देकर भारतीय क्रिकेट में तूफान लाने के एक दिन बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि बोर्ड इससे निपटेगा.

दक्षिण अफ्रीका दौरे पर रवाना होने से पहले प्रेस कांफ्रेंस में कोहली ने कहा था कि जब उन्होंने टी-20 टीम की कप्तानी छोड़ने के अपने इरादे के बारे में बताया तो उन्हें कभी कप्तान बने रहने के लिए नहीं कहा गया. यह गांगुली के कुछ दिन पहले दिए गए बयान के बिलकुल विपरीत था, जिन्होंने कहा था कि कोहली को आग्रह किया गया था कि वह पद नहीं छोड़ें.

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गांगुली ने गुरुवार को स्थानीय मीडियाकर्मियों से कहा, कोई बयान, प्रेस कांफ्रेंस नहीं. हम इससे निपटेंगे, यह बीसीसीआई पर छोड़ दीजिए. इस तरह की चर्चा थी कि बीसीसीआई ने कोहली की विस्फोटक प्रेस कांफ्रेंस के बाद चयन समिति के अध्यक्ष चेतन शर्मा को मीडिया को संबोधित करने को कहा गया था. लेकिन बोर्ड ने अंतत: कोई बयानबाजी नहीं की.

बुधवार को कोहली के बयान से प्रशासकों के साथ उनका तनाव उभरकर सामने आया था. कोहली ने गांगुली के बयान के संदर्भ में कहा था, जो फैसला किया गया. उसे लेकर जो भी संवाद हुआ, उसके बारे में जो भी कहा गया वह गलत है. कोहली ने कहा, जब मैंने टी-20 कप्तानी छोड़ी तो मैंने पहले बीसीसीआई से संपर्क किया और उन्हें अपने फैसले के बारे में बताया और उनके (पदाधिकारियों) सामने अपना नजरिया रखा.

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भारतीय कप्तान ने गांगुली के कुछ दिन पहले के बयान से बिलकुल विपरीत जानकारी देते हुए कहा, मैंने कारण बताए कि आखिर क्यों मैं टी-20 कप्तानी छोड़ना चाहता हूं और मेरे नजरिए को अच्छी तरह समझा गया. कुछ गलत नहीं था, कोई हिचक नहीं थी और एक बार भी नहीं कहा गया कि आपको टी-20 कप्तानी नहीं छोड़नी चाहिए.

इससे पहले गांगुली ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा था कि कोहली के टी-20 कप्तानी छोड़ने पर पुनर्विचार नहीं करने के कारण चयनकर्ताओं को सीमित ओवरों के प्रारूप में रोहित को एकमात्र कप्तान बनाना पड़ा. क्योंकि दो प्रारूपों में दो अलग कप्तान होने से नेतृत्वक्षमता का टकराव हो सकता था.

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