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यूक्रेन में परमाणु संयंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने को भारत ने रूस पर दबाव बनाया था: जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर न्यूजीलैंड के (S jaishankar New Zealand visit) दौरे पर हैं. अपने इस दौरे पर जयशंकर ने ऑकलैंड बिजनेस चेंबर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सिमोन ब्रिजेस से बातचीत में कहा कि यूक्रेन संकट पर भारत हर प्रकार की मदद के लिए तैयार है. साथ ही उन्होंने खुलासा किया कि यूक्रेन के परमाणु संयंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत ने रूस पर दबाव बनाया था.

S jaishankar on ukraine crisis
जयशंकर का यूक्रेन पर बयान
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Published : Oct 6, 2022, 7:51 PM IST

Updated : Oct 6, 2022, 9:28 PM IST

ऑकलैंडः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन संकट (S jaishankar on ukraine crisis) के समाधान के लिए भारत यथासंभव हर प्रकार की सहूलियत देने का इच्छुक है. उन्होंने कहा कि जब यूक्रेन और रूस के बीच संवेदनशील जपोरिज्जिया में लड़ाई बढ़ गई थी तब भारत ने मॉस्को पर वहां मौजूद परमाणु संयंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाया था. विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर पहली बार न्यूजीलैंड की यात्रा पर हैं और उन्होंने ऑकलैंड बिजनेस चेंबर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सिमोन ब्रिजेस से लंबी बातचीत की.

उन्होंने कहा कि जब यूक्रेन का मुद्दा आता है तो स्वभाविक है कि अलग-अलग देश और क्षेत्र थोड़ी अलग तरीके से प्रतिक्रिया करेंगे. विदेश मंत्री ने कहा कि लोग उसे अपने नजरिये, तात्कालिक हित, ऐतिहासिक अनुभव और अपनी असुरक्षा के संदर्भ में देखते हैं. उन्होंने कहा, 'विश्व में विविधता है और स्वभाविक है कि अलग-अलग प्रतिक्रिया भी आएंगी. मैं अन्य देशों का अनादर नहीं करूंगा क्योंकि उनमें से कई की प्रतिक्रिया खतरे का भाव, उनकी चिंता और यूक्रेन से तुलना के आधार पर हैं.

जयशंकर ने कहा कि इस स्थिति में वह देख रहे हैं कि भारत क्या कर सकता है, 'जो निश्चित तौर पर भारत के हित में होगा, लेकिन साथ ही विश्व के हित में भी होगा' उन्होंने कहा, 'जब मैं संयुक्त राष्ट्र में था तो सबसे बड़ी चिंता जपोरिज्जिया परामणु संयंत्र को लेकर थी क्योंकि उसके बहुत करीब लड़ाई चल रही थी. हमसे रूस पर इस मुद्दे पर दबाव बनाने का अनुरोध किया गया, जो हमने किया. अलग-अलग समय पर अलग-अलग चिंताएं भी हैं जिन्हें हमारे समक्ष विभिन्न देशों या संयुक्त राष्ट्र ने उठाया.

जपोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र दक्षिण पूर्वी यूक्रेन में स्थित है और यह यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है. जयशंकर ने 16 सितंबर को अस्ताना में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narender Modi) और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात का संदर्भ देते हुए कहा, 'अगर हम अपना रुख तय करते हैं और अपने विचारों को रखते हैं, तो मैं नहीं मानता कि देश उनका अनादर करेंगे. यह हमारे प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक में भी दिखा.

उन्होंने भारत की संयुक्त सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की आकांक्षा पर भी बात की. जयशंकर ने कहा कि बड़ी समस्याओं का समाधान केवल एक, दो या यहां तक पांच देश भी नहीं कर सकते हैं. जब हम सुधारों को देखते हैं, तो हमारी रुचि सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने में है. यह इच्छा इसलिए भी है क्योंकि हम अलग तरह से सोचते हैं और हम कई देशों के हितों और महत्वकांक्षा को आवाज देते हैं.

उन्होंने भेदभावपूर्ण वाली नीतियों पर बात करते हुए जलवायु परिवर्तन और कोविड महामारी का उल्लेख किया. जयशंकर ने कहा, 'अगर आज आप विशेष तौर पर दक्षिण अफ्रीका की यात्रा करेंगे, तो वहां पर महामारी के दौरान किए गए व्यवहार को लेकर आक्रोश का भाव है. आज वहां हताशा का भाव है कि उनकी बात दुनिया में सुनी नहीं जा रही है. मैं इस मुद्दे को खाद्य और ईंधन के संदर्भ में देखता हूं.

जयशंकर ने कहा कि वहां पर लोगों में भावना है कि उनकी जिंदगी की दैनिक जरूरतों को पूरा करने की अक्षमता को दुनिया के स्थापित और शक्तिशाली राष्ट्रों द्वारा भुला दिया गया है. उन्होंने कहा, 'हम स्वाभाविक तौर पर यूक्रेन संकट को काफी हद तक पूरब-पश्चिम के मुद्दे की तरह देखते हैं. लेकिन मेरा मनना है कि यक्रेन संकट के असर का उत्तर-दक्षिण (उत्तरी गोलार्ध के विकसित और दक्षिण गोलार्ध के विकासशील देश) पहलु भी हैं.

इसे भी पढ़ें- फ्रेंच लेखिका Annie Ernaux को मिला साहित्य का नोबेल पुरस्कार

उन्होंने कहा, 'जब हम वैश्विक व्यवस्था में बदलाव को देखते हैं तो हम स्पष्ट है कि भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी होना चाहिए, लेकिन हम मजबूती से यह भी मुद्दा उठाते हैं कि पूरे अफ्रीका महाद्वीप और लातिन अमेरिका का प्रतिनिधित्व नहीं है. उन्होंने न्यूजीलैंड से संबंध के बारे में कहा, 'एकसाथ काम करने के अवसर कहीं अधिक वास्तविक और व्यावहारिक हैं.

(पीटीआई-भाषा)

ऑकलैंडः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन संकट (S jaishankar on ukraine crisis) के समाधान के लिए भारत यथासंभव हर प्रकार की सहूलियत देने का इच्छुक है. उन्होंने कहा कि जब यूक्रेन और रूस के बीच संवेदनशील जपोरिज्जिया में लड़ाई बढ़ गई थी तब भारत ने मॉस्को पर वहां मौजूद परमाणु संयंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाया था. विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर पहली बार न्यूजीलैंड की यात्रा पर हैं और उन्होंने ऑकलैंड बिजनेस चेंबर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सिमोन ब्रिजेस से लंबी बातचीत की.

उन्होंने कहा कि जब यूक्रेन का मुद्दा आता है तो स्वभाविक है कि अलग-अलग देश और क्षेत्र थोड़ी अलग तरीके से प्रतिक्रिया करेंगे. विदेश मंत्री ने कहा कि लोग उसे अपने नजरिये, तात्कालिक हित, ऐतिहासिक अनुभव और अपनी असुरक्षा के संदर्भ में देखते हैं. उन्होंने कहा, 'विश्व में विविधता है और स्वभाविक है कि अलग-अलग प्रतिक्रिया भी आएंगी. मैं अन्य देशों का अनादर नहीं करूंगा क्योंकि उनमें से कई की प्रतिक्रिया खतरे का भाव, उनकी चिंता और यूक्रेन से तुलना के आधार पर हैं.

जयशंकर ने कहा कि इस स्थिति में वह देख रहे हैं कि भारत क्या कर सकता है, 'जो निश्चित तौर पर भारत के हित में होगा, लेकिन साथ ही विश्व के हित में भी होगा' उन्होंने कहा, 'जब मैं संयुक्त राष्ट्र में था तो सबसे बड़ी चिंता जपोरिज्जिया परामणु संयंत्र को लेकर थी क्योंकि उसके बहुत करीब लड़ाई चल रही थी. हमसे रूस पर इस मुद्दे पर दबाव बनाने का अनुरोध किया गया, जो हमने किया. अलग-अलग समय पर अलग-अलग चिंताएं भी हैं जिन्हें हमारे समक्ष विभिन्न देशों या संयुक्त राष्ट्र ने उठाया.

जपोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र दक्षिण पूर्वी यूक्रेन में स्थित है और यह यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है. जयशंकर ने 16 सितंबर को अस्ताना में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narender Modi) और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात का संदर्भ देते हुए कहा, 'अगर हम अपना रुख तय करते हैं और अपने विचारों को रखते हैं, तो मैं नहीं मानता कि देश उनका अनादर करेंगे. यह हमारे प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक में भी दिखा.

उन्होंने भारत की संयुक्त सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की आकांक्षा पर भी बात की. जयशंकर ने कहा कि बड़ी समस्याओं का समाधान केवल एक, दो या यहां तक पांच देश भी नहीं कर सकते हैं. जब हम सुधारों को देखते हैं, तो हमारी रुचि सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने में है. यह इच्छा इसलिए भी है क्योंकि हम अलग तरह से सोचते हैं और हम कई देशों के हितों और महत्वकांक्षा को आवाज देते हैं.

उन्होंने भेदभावपूर्ण वाली नीतियों पर बात करते हुए जलवायु परिवर्तन और कोविड महामारी का उल्लेख किया. जयशंकर ने कहा, 'अगर आज आप विशेष तौर पर दक्षिण अफ्रीका की यात्रा करेंगे, तो वहां पर महामारी के दौरान किए गए व्यवहार को लेकर आक्रोश का भाव है. आज वहां हताशा का भाव है कि उनकी बात दुनिया में सुनी नहीं जा रही है. मैं इस मुद्दे को खाद्य और ईंधन के संदर्भ में देखता हूं.

जयशंकर ने कहा कि वहां पर लोगों में भावना है कि उनकी जिंदगी की दैनिक जरूरतों को पूरा करने की अक्षमता को दुनिया के स्थापित और शक्तिशाली राष्ट्रों द्वारा भुला दिया गया है. उन्होंने कहा, 'हम स्वाभाविक तौर पर यूक्रेन संकट को काफी हद तक पूरब-पश्चिम के मुद्दे की तरह देखते हैं. लेकिन मेरा मनना है कि यक्रेन संकट के असर का उत्तर-दक्षिण (उत्तरी गोलार्ध के विकसित और दक्षिण गोलार्ध के विकासशील देश) पहलु भी हैं.

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उन्होंने कहा, 'जब हम वैश्विक व्यवस्था में बदलाव को देखते हैं तो हम स्पष्ट है कि भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी होना चाहिए, लेकिन हम मजबूती से यह भी मुद्दा उठाते हैं कि पूरे अफ्रीका महाद्वीप और लातिन अमेरिका का प्रतिनिधित्व नहीं है. उन्होंने न्यूजीलैंड से संबंध के बारे में कहा, 'एकसाथ काम करने के अवसर कहीं अधिक वास्तविक और व्यावहारिक हैं.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Oct 6, 2022, 9:28 PM IST
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