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कश्मीर पर पाकिस्तान का प्लान हुआ फेल, सऊदी ने मंसूबे पर फेरा पानी

कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान एक बार फिर मुंह की खाने वाला है. वह हमेशा से कश्मीर मुद्दे पर भारत को विश्व स्तर पर बदनाम करने का अवसर तलाशता रहता है. पाकिस्तान इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के बीच कश्मीर के मुद्दे पर तत्काल चर्चा कराना चाहता था, लेकिन सऊदी अरब ने इससे साफ इनकार कर दिया है.

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Published : Feb 6, 2020, 5:40 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 10:29 AM IST

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कश्मीर पर पाकिस्तान का प्लान हुआ फेल

इस्लामाबाद : सऊदी नीत इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) की कश्मीर पर तुंरत बैठक बुलाने की पाकिस्तान की कोशिश असफल होती दिख रही है. मीडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक सऊदी अरब ने ऐसा कोई भी कदम उठाने की अनिच्छा जताई है.

उल्लेखनीय है कि दिसंबर में सऊदी अरब द्वारा कश्मीर पर ओआईसी देशों के विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) की बैठक बुलाने की योजना थी, जिसे माना जा रहा था कि सऊदी अरब की पाकिस्तान को खुश करने की कोशिश थी क्योंकि पाकिस्तान ने 57 मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी के मुकाबले में नया संगठन खड़ा करने की कोशिश के लिए मलेशिया में होने वाले सम्मेलन में हिस्सा लेने से मना कर दिया था.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मलेशिया की मेजबानी में होने वाले सम्मेलन में शामिल होने की सहमति दे दी थी, लेकिन सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दबाव में आखिरी समय में सम्मेलन में शामिल नहीं हुए. बता दें कि सऊदी अरब और यूएई नकदी संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान के सबसे बड़े मददगार हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

स्थानीय अखबार में प्रकाशित खबर के मुताबिक संगठन के वरिष्ठ अधिकारी नौ फरवरी को सीएफएम बैठक की तैयारियों के लिए बैठक करेंगे. अखबार ने एक राजनयिक के हवाले से बताया कि सीएफएम बैठक में इस मुद्दे को शामिल कराने में अपनी नाकामी से पाकिस्तान की असहजता बढ़ती जा रही है क्योंकि रियाद ने इस्लामाबाद के अनुरोध पर कश्मीर पर बैठक बुलाने के प्रति अनिच्छा जताई है.

उल्लेखनीय है कि ओआईसी संयुक्त राष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा अंतर सरकारी संगठन है और इसका मुख्यालय जेद्दा है. ओआईसी का कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रति समर्थन का रुख रहा है और यहां तक कि कई बार उसने इस्लामाबाद का पक्ष भी लिया है.

हाल में अपने मलेशिया दौरे के दौरान में प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर को लेकर ओआईसी की चुप्पी पर नाराजगी जताई थी.

इमरान ने इस हफ्ते कहा, 'हमारी आवाज नहीं सुने जाने की वजह यह है कि हम बंटे हुए हैं. यहां तक कि कश्मीर पर ओआईसी की बैठक पर भी एक साथ नहीं आ पाए.'

पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा भारत द्वारा खत्म किए जाने के बाद से पाकिस्तान कश्मीर पर ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने के लिए दबाव बना रहा है.h

पढ़ें : पाक संसद में प्रस्ताव पारित- जम्मू-कश्मीर पर भारत अपना फैसला वापस ले

हालांकि, न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक बैठक के इतर समूह ने कश्मीर पर बात की और यहां तक कि ओआईसी के स्वतंत्र स्थाई मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में कश्मीर में लोगों के अधिकारों का कथित हनन करने का आरोप लगाया गया, लेकिन इससे सीएफएम की बैठक बुलाने के मुद्दे पर प्रगति नहीं हुई.

विदेशमंत्री शाह महमूद कुरेशी ने पाकिस्तान के लिए सीएफएम के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि कश्मीर मुद्दे पर उम्माह (समुदाय) की ओर से स्पष्ट संदेश देने की जरूरत है.

रियाद का समर्थन ओआईसी के किसी कदम के लिए अहम माना जाता है क्योंकि इसका खाड़ी के अन्य अरब देशों पर प्रभुत्व है.

पढे़ं : पाक में हिंदुओं को निशाना बनाए जाने पर अमेरिकी विदेश मंत्री ने की निंदा

सूत्रों के मुताबिक सऊदी अरब ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में कश्मीर मुद्दा शामिल करने से बचने के लिए कई प्रस्ताव दिए, जिनमें मुस्लिम देशों के संसदीय मंच या अध्यक्षों की बैठक या फलस्तीन एवं कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त बैठक शामिल है. हालांकि, पाकिस्तान अपनी मांग पर कायम है.

उन्होंने बताया कि मलेशिया सम्मेलन से पाकिस्तान की अनुपस्थिति के बाद दिसंबर में सऊदी अरब ने कश्मीर पर सीएफएम बुलाने के प्रस्ताव पर कुछ लचीला रुख अपनाया, पंरतु यह ज्यादा दिनों तक नहीं रहा और फिर वह पुराने रुख पर आ गया.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल मार्च महीने में अबू धाबी में हुई ओआईसी की बैठक को पहली बार संबोधित करना भारत के लिए बहुत बड़ा कूटनीतिक उपलब्धि थी क्योंकि पाकिस्तान के विरोध के बावजूद ओआईसी ने तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को दिए गए निमंत्रण पर कायम रहा, जिसकी वजह से पाकिस्तान विदेश मंत्री को सम्मेलन का बहिष्कार करना पड़ा.

इस्लामाबाद : सऊदी नीत इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) की कश्मीर पर तुंरत बैठक बुलाने की पाकिस्तान की कोशिश असफल होती दिख रही है. मीडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक सऊदी अरब ने ऐसा कोई भी कदम उठाने की अनिच्छा जताई है.

उल्लेखनीय है कि दिसंबर में सऊदी अरब द्वारा कश्मीर पर ओआईसी देशों के विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) की बैठक बुलाने की योजना थी, जिसे माना जा रहा था कि सऊदी अरब की पाकिस्तान को खुश करने की कोशिश थी क्योंकि पाकिस्तान ने 57 मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी के मुकाबले में नया संगठन खड़ा करने की कोशिश के लिए मलेशिया में होने वाले सम्मेलन में हिस्सा लेने से मना कर दिया था.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मलेशिया की मेजबानी में होने वाले सम्मेलन में शामिल होने की सहमति दे दी थी, लेकिन सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दबाव में आखिरी समय में सम्मेलन में शामिल नहीं हुए. बता दें कि सऊदी अरब और यूएई नकदी संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान के सबसे बड़े मददगार हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

स्थानीय अखबार में प्रकाशित खबर के मुताबिक संगठन के वरिष्ठ अधिकारी नौ फरवरी को सीएफएम बैठक की तैयारियों के लिए बैठक करेंगे. अखबार ने एक राजनयिक के हवाले से बताया कि सीएफएम बैठक में इस मुद्दे को शामिल कराने में अपनी नाकामी से पाकिस्तान की असहजता बढ़ती जा रही है क्योंकि रियाद ने इस्लामाबाद के अनुरोध पर कश्मीर पर बैठक बुलाने के प्रति अनिच्छा जताई है.

उल्लेखनीय है कि ओआईसी संयुक्त राष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा अंतर सरकारी संगठन है और इसका मुख्यालय जेद्दा है. ओआईसी का कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रति समर्थन का रुख रहा है और यहां तक कि कई बार उसने इस्लामाबाद का पक्ष भी लिया है.

हाल में अपने मलेशिया दौरे के दौरान में प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर को लेकर ओआईसी की चुप्पी पर नाराजगी जताई थी.

इमरान ने इस हफ्ते कहा, 'हमारी आवाज नहीं सुने जाने की वजह यह है कि हम बंटे हुए हैं. यहां तक कि कश्मीर पर ओआईसी की बैठक पर भी एक साथ नहीं आ पाए.'

पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा भारत द्वारा खत्म किए जाने के बाद से पाकिस्तान कश्मीर पर ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने के लिए दबाव बना रहा है.h

पढ़ें : पाक संसद में प्रस्ताव पारित- जम्मू-कश्मीर पर भारत अपना फैसला वापस ले

हालांकि, न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक बैठक के इतर समूह ने कश्मीर पर बात की और यहां तक कि ओआईसी के स्वतंत्र स्थाई मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में कश्मीर में लोगों के अधिकारों का कथित हनन करने का आरोप लगाया गया, लेकिन इससे सीएफएम की बैठक बुलाने के मुद्दे पर प्रगति नहीं हुई.

विदेशमंत्री शाह महमूद कुरेशी ने पाकिस्तान के लिए सीएफएम के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि कश्मीर मुद्दे पर उम्माह (समुदाय) की ओर से स्पष्ट संदेश देने की जरूरत है.

रियाद का समर्थन ओआईसी के किसी कदम के लिए अहम माना जाता है क्योंकि इसका खाड़ी के अन्य अरब देशों पर प्रभुत्व है.

पढे़ं : पाक में हिंदुओं को निशाना बनाए जाने पर अमेरिकी विदेश मंत्री ने की निंदा

सूत्रों के मुताबिक सऊदी अरब ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में कश्मीर मुद्दा शामिल करने से बचने के लिए कई प्रस्ताव दिए, जिनमें मुस्लिम देशों के संसदीय मंच या अध्यक्षों की बैठक या फलस्तीन एवं कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त बैठक शामिल है. हालांकि, पाकिस्तान अपनी मांग पर कायम है.

उन्होंने बताया कि मलेशिया सम्मेलन से पाकिस्तान की अनुपस्थिति के बाद दिसंबर में सऊदी अरब ने कश्मीर पर सीएफएम बुलाने के प्रस्ताव पर कुछ लचीला रुख अपनाया, पंरतु यह ज्यादा दिनों तक नहीं रहा और फिर वह पुराने रुख पर आ गया.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल मार्च महीने में अबू धाबी में हुई ओआईसी की बैठक को पहली बार संबोधित करना भारत के लिए बहुत बड़ा कूटनीतिक उपलब्धि थी क्योंकि पाकिस्तान के विरोध के बावजूद ओआईसी ने तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को दिए गए निमंत्रण पर कायम रहा, जिसकी वजह से पाकिस्तान विदेश मंत्री को सम्मेलन का बहिष्कार करना पड़ा.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 16:32 HRS IST




             
  • कश्मीर पर तुरंत ओआईसी की बैठक बुलाने के लिए अनिच्छुक है सऊदी अरब

  •          
  • कश्मीर पर पाकिस्तान का प्लान हुआ फेल, सऊदी ने मंसूबे पर फेरा पानी



इस्लामाबाद, छह फरवरी (भाषा) सऊदी नीत इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की कश्मीर पर तुंरत बैठक की बुलाने की पाकिस्तान की कोशिश असफल होती दिख रही है। मीडिया में गुरुवार को प्रकाशित खबर के मुताबिक सऊदी अरब ने ऐसा कोई भी कदम उठाने की अनिच्छा जताई है।



उल्लेखनीय है कि दिसंबर में सऊदी अरब द्वारा कश्मीर पर ओआईसी देशों के विदेशमंत्रियों की बैठक बुलाने की योजना थी, जिसे माना जा रहा था कि सऊदी अरब की पाकिस्तान को खुश करने की कोशिश थी क्योंकि पाकिस्तान ने 57 मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी के मुकाबले में नया संगठन खड़ा करने की कोशिश के लिए मलेशिया में होने वाले सम्मेलन में हिस्सा लेने से मना कर दिया था।



पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मलेशिया की मेजबानी में होने वाले सम्मेलन में शामिल होने की सहमति दे दी थी लेकिन सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दबाव में आखिरी समय में सम्मेलन में शामिल नहीं हुए। बता दें कि सऊदी अरब और यूएई नकदी संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान के सबसे बड़े मददगार हैं।



डॉन में प्रकाशित खबर के मुताबिक संगठन के वरिष्ठ अधिकारी नौ फरवरी को विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) की तैयारियों के लिए बैठक करेंगे।



अखबार ने एक राजनयिक के हवाले से बताया कि सीएफएम बैठक में इस मुद्दे को शामिल कराने में अपनी नाकामी से पाकिस्तान की असहजता बढ़ती जा रही है क्योंकि रियाद ने इस्लामाबाद के अनुरोध पर कश्मीर पर बैठक बुलाने के प्रति अनिच्छा जताई है।



उल्लेखनीय है कि ओआईसी संयुक्त राष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा अंतर सरकारी संगठन है और इसका मुख्यालय जेद्दा है। ओआईसी का कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रति समर्थन का रुख रहा है और यहां तक कि कई बार उसने इस्लामाबाद का पक्ष भी लिया है।



हाल में अपने मलेशिया दौरे के दौरान में प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर पर ओआईसी की चुप्पी पर नाराजगी जताई थी।



इमरान ने इस हफ्ते कहा, ‘‘ हमारी आवाज नहीं सुने जाने की वजह यह है कि हम बंटे हुए हैं। यहां तक की कश्मीर पर ओआईसी की बैठक पर भी एकसाथ नहीं आ पाए।’’



पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा भारत द्वारा खत्म किए जाने के बाद से पाकिस्तान कश्मीर पर ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने के लिए दबाव बना रहा है।



हालांकि, न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक बैठक के इतर समूह ने कश्मीर पर बात की और यहां तक की ओआईसी के स्वतंत्र स्थायी मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में कश्मीर में लोगों के अधिकारों का कथित हनन करने का आरोप लगाया गया लेकिन इससे सीएफएम की बैठक बुलाने के मुद्दे पर प्रगति नहीं हुई।



विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पाकिस्तान के लिए सीएफएम के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि कश्मीर मुद्दे पर उम्माह (समुदाय) की ओर से स्पष्ट संदेश देने की जरूरत है।



रियाद का समर्थन ओआईसी के किसी कदम के लिए अहम माना जाता है क्योंकि इसका खाड़ी के अन्य अरब देशों पर प्रभुत्व है।



सूत्रों के मुताबिक सऊदी अरब ने सीएफएम की बैठक में कश्मीर मुद्दा शामिल करने से बचने के लिए कई प्रस्ताव दिए जिनमें मुस्लिम देशों के संसदीय मंच या अध्यक्षों की बैठक या फलस्तीन एवं कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त बैठक शामिल है। हालांकि, पाकिस्तान अपनी मांग पर कायम है।



उन्होंने बताया कि मलेशिया सम्मेलन से पाकिस्तान की अनुपस्थिति के बाद दिसंबर में सऊदी अरब ने कश्मीर पर सीएफएम बुलाने के प्रस्ताव पर कुछ लचीला रुख अपनाया पंरतु यह ज्यादा दिनों तक नहीं रहा और फिर वह पुराने रुख पर आ गया।



उल्लेखनीय है कि पिछले साल मार्च महीने में अबू धाबी में हुई ओआईसी की बैठक को पहली बार संबोधित करना भारत के लिए बहुत बड़ा कूटनीतिक उपलब्धि थी क्योंकि पाकिस्तान के विरोध के बावजूद ओआईसी ने तत्कालीन विदेशमंत्री सुषमा स्वराज को दिए गए निमंत्रण पर कायम रहा जिसकी वजह से पाकिस्तान विदेश मंत्री को सम्मेलन का बहिष्कार करना पड़ा।


Conclusion:
Last Updated : Feb 29, 2020, 10:29 AM IST
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