मुंबई: बॉलीवुड के 'किंग खान' शाहरुख खान की विवादित फिल्म पठान के बवालिया सॉन्ग बेशर्म रंग को लेकर अपडेट आया है. सॉन्ग 'बेशर्म रंग' में दीपिका पादुकोण के भगवा रंग की बिकिनी पहनने पर जो बवाल हुआ था उस पर एक्शन ले लिया गया है और अब इस गाने में काट-छांट कर दी गई है. हाल ही में सेंसर बोर्ड ने पठान के मेकर्स को इस गाने में बदलाव के सुझाव दिए थे. आइए जानते हैं फिल्म 'पठान' के कौन-कौन से सीन पर मेकर्स ने काम किया है और उस पर कैंची चलाई है.
बेशर्म रंग से हटे ये सीन
'पठान' से बीते साल 12 दिसंबर को रिलीज हुआ फिल्म का पहला गान 'बेशर्म रंग' पर सेंसर बोर्ड के सुझाव के बाद कैंची चल गई है. इसमें इसमें दीपिका के भगवा रंग की बिकिनी पहनने पर बवाल मचा था और अब इस गाने से बटक्स के क्लोजअप शॉट्स, साइड पोज जिन्हे अश्लील की कैटेगरी में माना गया है, हटा दिया गया है. गाने की लाइन 'बहुत तंग किया' के वो सभी शॉट्स और विजुअल्स पर भी कैंची चला दी गई है, लेकिन जिस पर यह सारा बवाल (भगवा रंग की बिकिनी) हुआ था, पर कोई अपडेट नहीं है.
इन शब्दों पर भी चली कैंची
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिल्म को देखने के बाद सेंसर बोर्ड ने ना सिर्फ गाने बल्कि फिल्म के कुछ डायलॉग्स के शब्दों पर भी आपत्ति जताई. कहा जा रहा है कि फिल्म में RAW शब्द को बदलकर 'हमारे' और 'लंगड़े लूले' की जगह 'टूटे फूटे' और 'पीएम' की जगह 'राष्ट्रपति या मंत्री' किया गया है. इसके अलावा पीएमओ शब्द को 13 जगह से हटाया गया है.
'मिसेज भारतमाता' को किया गया 'हमारी भारतमाता'
इतना ही नहीं फिल्म में अशोक चक्र को 'वीर पुरस्कार', 'पूर्व केजीबी' की जगह इसे पूर्व एसबीयू और 'मिसेज भारतमाता' को 'हमारी भारतमाता' कर दिया गया है. रिपोर्ट यह भी है कि फिल्म में स्कॉच की जगह 'ड्रिंक' शब्द लाया गया है और टेक्स्ट 'ब्लैक प्रिजन, रूस' की जगह अब दर्शकों को केवल 'ब्लैक प्रिजन' नजर आएगा.
इसके अलावा फिल्म में अशोक चक्र को 'वीर पुरस्कार' और पूर्व केजीबी की जगह इसे पूर्व एसबीयू और मिसेज भारतमाता को हमारी भारतमाता किया गया है. साथ ही स्कॉच की जगह ड्रिंक शब्द को जगह दी है. टेक्स्ट 'ब्लैक प्रिजन, रूस' की जगह अब दर्शकों को केवल 'ब्लैक प्रिजन' दिखाई देगा. बता दें फिल्म 'पठान' को U/A सर्टिफिकेट दिया गया है.
क्या बोले CBFC के चेयरपर्सन प्रसून जोशी
सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष ने इस पूरे विवाद पर कहा है, 'मैं दोहराता हूं कि हमारी संस्कृति और आस्था गौरवशाली, जटिल और बारीक है, हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि यह जो कुछ चीजें है वो हमें वास्तविकता से दूर करती हैं और जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि क्रिएटर्स और ऑडिएंस के बीच भरोसा बहुत जरूरी है और क्रिएटर्स को इस दिशा में काम करते रहने की जरूरत है'.
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