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नीलगिरि इंफ्रासिटी का पूर्व सीएमडी संजय प्रजापति गिरफ्तार, 17 मुकदमों में था वांछित - सहायक पुलिस आयुक्त आदित्य लाँग्हे

वाराणसी में नीलगिरि इंफ्रासिटी कंपनी के पूर्व सीएमडी संजय प्रजापति को चेतगंज पुलिस ने चौकाघाट लकड़ीमंडी के पास से गिरफ्तार कर लिया. उसके खिलाफ चेतगंज थाने में 17 मुकदमे पंजीकृत थे.

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Published : Jan 24, 2022, 7:10 PM IST

वाराणसी: जिले के चेतगंज थाना में नीलगिरि इंफ्रासिटी धोखाधड़ी मामले में पुलिस ने पूर्व सीएमडी संजय प्रजापति को गिरफ्तार कर लिया. उसके खिलाफ चेतगंज थाने में 17 मुकदमे दर्ज थे. संजय प्रजापति वर्तमान समय में कंपनी की ग्रीवांस सेल देख रहा था. नीलगिरी इंफ्रासिटी धोखाधड़ी मामले में 14 लोग वांछित थे. इनमें 6 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. पुलिस को 8 अन्य आरोपियों की अब भी तलाश है.

जानकारी देते सहायक पुलिस आयुक्त आदित्य लाँग्हे
जमीन, सोना और टूर पैकेज के नाम पर धोखाधड़ी और धमकाने के मामले में नीलगिरि इंफ्रासिटी कंपनी के पूर्व सीएमडी संजय प्रजापति को चेतगंज पुलिस ने चौकाघाट लकड़ीमंडी के पास से सोमवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया. पुलिस को उसकी बड़े दिनों से तलाश थी. पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि वह कंपनी में सीएमडी के पद पर रह कर कंपनी की देखरेख का काम करता था. गिरफ्तार करने वाली टीम में प्रभारी निरीक्षक परमहंस गुप्ता व उपनिरीक्षक सूरज कुमार तिवारी आदि शामिल थे.

वर्ष 2021 के दिसंबर महीने में 14 नए मुकदमे दर्ज हुए थे. जिला जेल में इस कंपनी के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर विकास सिंह, उसकी पत्नी ऋतु सिंह और मैनेजर प्रदीप यादव बंद हैं. संजय प्रजापति 2014 में नीलगिरी इंफ्रासिटी में डायरेक्टर के पद पर तैनात था, उसके बाद विकास की पत्नी रितु डायरेक्टर बनीं.


नीलगिरी इंफ्रासिटी के सीएमडी विकास सिंह एवं पत्नी रितु सिंह पर आरोप है कि बाबतपुर क्षेत्र में फर्जी तरीके से किसानों से जमीन लेकर लोगों से ठगी की गयी. पांच बीघे जमीन पर करीब 300 प्लाट बेचने की तैयारी की गई थी.


वरुणा जोन के सहायक पुलिस आयुक्त आदित्य लाँग्हे ने बताया कि नीलगिरि इंफ्रासिटी कंपनी टाउनशिप डेवलपमेंट करने के लिए कार्य कर रही थी. कंपनी के खिलाफ 2018 से 2021 के बीच में 80 मुकदमे पंजीकृत हुए हैं. इनमें 14 लोगों पर संगीन आरोप लगे हैं.

ये भी पढ़ें- युवती ने 2 युवकों पर लगाया बंधक बनाकर दुष्कर्म करने का आरोप...


कंपनी के पूर्व डायरेक्टर संजय प्रजापति को मिलाकर अब तक छह अभियुक्त गिरफ्तार किए जा चुके हैं. बाकी की तलाश अब भी जारी है. ये गरीबों किसानों से कम्पनी के नाम से एग्रीमेंट करवाते थे. लोगों को ग्राहकों के फर्जी वीडियो दिखाकर प्रलोभन भी देते थे. बड़ी संख्या में लोगों के साथ धोखाधड़ी की गयी थी.


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वाराणसी: जिले के चेतगंज थाना में नीलगिरि इंफ्रासिटी धोखाधड़ी मामले में पुलिस ने पूर्व सीएमडी संजय प्रजापति को गिरफ्तार कर लिया. उसके खिलाफ चेतगंज थाने में 17 मुकदमे दर्ज थे. संजय प्रजापति वर्तमान समय में कंपनी की ग्रीवांस सेल देख रहा था. नीलगिरी इंफ्रासिटी धोखाधड़ी मामले में 14 लोग वांछित थे. इनमें 6 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. पुलिस को 8 अन्य आरोपियों की अब भी तलाश है.

जानकारी देते सहायक पुलिस आयुक्त आदित्य लाँग्हे
जमीन, सोना और टूर पैकेज के नाम पर धोखाधड़ी और धमकाने के मामले में नीलगिरि इंफ्रासिटी कंपनी के पूर्व सीएमडी संजय प्रजापति को चेतगंज पुलिस ने चौकाघाट लकड़ीमंडी के पास से सोमवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया. पुलिस को उसकी बड़े दिनों से तलाश थी. पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि वह कंपनी में सीएमडी के पद पर रह कर कंपनी की देखरेख का काम करता था. गिरफ्तार करने वाली टीम में प्रभारी निरीक्षक परमहंस गुप्ता व उपनिरीक्षक सूरज कुमार तिवारी आदि शामिल थे.

वर्ष 2021 के दिसंबर महीने में 14 नए मुकदमे दर्ज हुए थे. जिला जेल में इस कंपनी के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर विकास सिंह, उसकी पत्नी ऋतु सिंह और मैनेजर प्रदीप यादव बंद हैं. संजय प्रजापति 2014 में नीलगिरी इंफ्रासिटी में डायरेक्टर के पद पर तैनात था, उसके बाद विकास की पत्नी रितु डायरेक्टर बनीं.


नीलगिरी इंफ्रासिटी के सीएमडी विकास सिंह एवं पत्नी रितु सिंह पर आरोप है कि बाबतपुर क्षेत्र में फर्जी तरीके से किसानों से जमीन लेकर लोगों से ठगी की गयी. पांच बीघे जमीन पर करीब 300 प्लाट बेचने की तैयारी की गई थी.


वरुणा जोन के सहायक पुलिस आयुक्त आदित्य लाँग्हे ने बताया कि नीलगिरि इंफ्रासिटी कंपनी टाउनशिप डेवलपमेंट करने के लिए कार्य कर रही थी. कंपनी के खिलाफ 2018 से 2021 के बीच में 80 मुकदमे पंजीकृत हुए हैं. इनमें 14 लोगों पर संगीन आरोप लगे हैं.

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कंपनी के पूर्व डायरेक्टर संजय प्रजापति को मिलाकर अब तक छह अभियुक्त गिरफ्तार किए जा चुके हैं. बाकी की तलाश अब भी जारी है. ये गरीबों किसानों से कम्पनी के नाम से एग्रीमेंट करवाते थे. लोगों को ग्राहकों के फर्जी वीडियो दिखाकर प्रलोभन भी देते थे. बड़ी संख्या में लोगों के साथ धोखाधड़ी की गयी थी.


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