वाराणसी: 7 मार्च को होने वाले अंतिम चरण के मतदान के लिए सोमवार को नामांकन की प्रक्रिया का तीसरा दिन था. 10 फरवरी से शुरु हुए नामांकन के क्रम में पहले और दूसरे दिन सिर्फ दो निर्दल प्रत्याशियों ने पर्चा दाखिल किया था. 12 और 13 फरवरी को अवकाश की वजह से नामांकन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी थी, लेकिन आज एक बार फिर से नामांकन के लिए जब कार्यालय खुला तो अचानक से नामांकन करने वालों की जैसे बाढ़ सी आ गई. सुबह 11:00 बजे से लेकर दोपहर 3:00 बजे तक वाराणसी में अलग-अलग विधानसभा से कुल 23 प्रत्याशियों ने आज नामांकन दाखिल किया है, यानी अब तक वाराणसी में कुल 25 नामांकन दाखिल हुए हैं, जिनमें से 23 सोमवार को दाखिल किए गए हैं.
वाराणसी में आज नामांकन की प्रक्रिया के तहत वाराणसी शहर दक्षिणी से नीलकंठ तिवारी, शहर उत्तरी से रविंद्र जायसवाल, शिवपुर विधानसभा से अनिल राजभर, कैंट विधानसभा से सौरभ श्रीवास्तव ने भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नामांकन दाखिल किया है. जबकि आम आदमी पार्टी से शहर दक्षिणी विधानसभा से अजीत सिंह और उत्तरी विधानसभा से डॉ आशीष जायसवाल ने नामांकन दाखिल किया है. समाजवादी पार्टी की तरफ से दक्षिणी विधानसभा से किशन दिक्षित शिवपुर विधानसभा से सपा गठबंधन के प्रत्याशी ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर शहीद बहुजन समाज पार्टी के रवि मौर्या ने भी नामांकन दाखिल किया है.
जिला निर्वाचन कार्यालय की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक वाराणसी में दाखिल किए गए नामांकन के क्रम में पिंडरा विधानसभा से 6, अजगरा विधानसभा से 1, शिवपुर विधानसभा से 3, रोहनिया विधानसभा से 3, उत्तरी विधानसभा से 3, दक्षिणी विधानसभा से 4, कैंट विधानसभा से 1 और सेवापुरी विधानसभा से 2 नामांकन के साथ कुल 23 नामांकन पत्र दाखिल किए गए हैं.
अलग-अलग विधानसभाओं में दाखिल किए गए नामांकन के क्रम में भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की तरफ से भले ही सभी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गई हो, लेकिन 2 दिन बचे होने के बाद भी अब तक सपा में कैंट और उत्तरी विधानसभा से सपा ने किसी भी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है. भारतीय जनता पार्टी ने भी रोहनिया और सेवापुरी विधानसभा से अब तक कोई प्रत्याशी कन्फर्म नहीं किया है. यह दोनों सीटें बीजेपी अपना दल के पाले में दे चुकी है. शायद यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी की तरफ से वाराणसी की दक्षिणी उत्तरी कैंट शिवपुर अजगरा पिंडरा विधानसभा से प्रत्याशियों की घोषणा तो हो चुकी है लेकिन 2 सीटें अब तक प्रत्याशियों का इंतजार कर रही हैं. अब नामांकन को सिर्फ 16 और 17 अब सिर्फ 2 दिन ही बचे हैं. कल छुट्टी होने की वजह से नामांकन प्रक्रिया नहीं होगी.
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दूसरी ओर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली भारतीय जनता पार्टी शायद इन चुनावों में महिलाओं को टिकट देने के मामले में अपने विपक्षी पार्टियों से पीछे हो लेकिन बीजेपी के गढ़ यानी यह मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में एक महिला बीजेपी समेत अन्य राजनीतिक दलों को सीधी टक्कर देने के लिए मैदान में उतरी. मौका था पिंडरा विधानसभा सीट से नामांकन का वाराणसी के पिंडरा इलाके की रहने वाली खुशबू विकास पांडेय जब कचहरी में नामांकन के लिए पहुंची तो, उसने अपनी 10 साल की बेटी इच्छा पांडे का हाथ पकड़ रखा था. बच्ची को साथ लेकर माला पहने आगे बढ़ रही खुशबू को देखकर हर किसी के मन में यह सवाल जरुर आ रहा था कि आखिर में महिला अपनी बेटी को साथ लेकर चल रही है, लेकिन जब हमने उनके पति से बातचीत की तो उन्होंने खुलकर कहा बेटियां सुरक्षित नहीं है, इसलिए घर पर छोड़ा नहीं जा सकता यही वजह है कि खुशबू अपनी बेटी को अपने साथ लेकर आई है.
नामांकन के तीसरे दिन में बड़ी संख्या में अलग-अलग दलों के लोग नामांकन के लिए पहुंच रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के 5 विधानसभा के प्रत्याशियों के अलावा आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रत्याशी भी नामांकन के लिए पहुंचे. इन सबके बीच समाजवादी पार्टी के शहर दक्षिणी विधानसभा का प्रत्याशी कामेश्वर दीक्षित उर्फ किशन नामांकन के तरीके को लेकर चर्चा में बना हुआ है.
इसकी बड़ी वजह यह है कि पेशे से वकील किशन बनारस के प्रसिद्ध महामृत्युंजय मंदिर का महंत भी है. किशन का सीधा मुकाबला वाराणसी के शहर दक्षिणी विधानसभा के वर्तमान विधायक और योगी सरकार में पर्यटन और धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी से माना जा रहा है. दो बड़े ब्राह्मण चेहरों की इस विधानसभा में सीधी टक्कर की वजह से ही किशन दिक्षित ने अपने नामांकन में पूरी तरह से ब्राम्हण या महंत गेटअप में दिखाई दिए.
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर का शिवपुर विधानसभा सीट से नामांकन करवाने के लिए वाराणसी पहुंचे थे. नामांकन दाखिल करने के लिए जब ओमप्रकाश राजभर अंदर जा रहे थे तब गेट पर ही नियमों का हवाला देते हुए पुलिस पर भारी भीड़ अंदर ना जाने देने की बात कही. जिसके बाद ओपी राजभर अपने बेटे और एक अन्य प्रस्तावकों के साथ अंदर दाखिल हुए. इस दौरान कैंपस में पहले से ही सुभासपा के कई कार्यकर्ता मौजूद थे और राजभर के अंदर जाते ही सबने नारेबाजी भी शुरू की, लेकिन इसके बाद वकीलों के एक गुट ने ओमप्रकाश राजभर का विरोध शुरू कर दिया. वकीलों का कहना था कि ओपी राजभर ऊंची जाति के लोगों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हो गाली गलौज करते हैं. इसलिए ऐसे लोगों को तो कचहरी में आने ही नहीं देना चाहिए.
अंतिम चरण के चुनाव के लिए हर राजनीतिक दल जातिगत और राजनैतिक समीकरण को साधते हुए प्रत्याशियों को मैदान में उतार रहा है. शायद यही वजह है कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने इन्हीं जातिगत समीकरणों को देखते हुए वाराणसी की अजगरा विधानसभा सीट पर अपने सिटिंग एमएलए कैलाशनाथ सोनकर का टिकट काटकर समाजवादी पार्टी के उपाध्यक्ष सुनील सोनकर को मैदान में उतार दिया है.
अपने बेटे का नामांकन करने पहुंचे राजभर ने सुनील सोनकर को टिकट दिए जाने की घोषणा करते हुए 16 फरवरी को उनके नामांकन दाखिल करने की बात भी कही है. दरअसल, वाराणसी द्वारा विधानसभा सीट अपने आप में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. एससी के लिए रिजर्व रहने वाली सीट पर बहुजन समाज पार्टी के बाद मोदी लहर में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का कब्जा हुआ था. पिछले चुनाव में कैलाशनाथ सोनकर ने सुभासपा से जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार बीजेपी ने बहुजन समाज पार्टी के बड़े चेहरे रह चुके टी राम को अपनी पार्टी में शामिल करते हुए उन को उम्मीदवार बना दिया, जिसके बाद राजभर ने इस सीट पर बड़ा दांव खेलते हुए अपने सेटिंग एमएलए कैलाशनाथ सोनकर का टिकट काट कर दूसरे सोनकर चेहरे पर दांव खेल दिया.
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