नई दिल्ली/नोएडा : दिल्ली-एनसीआर में साइबर अपराध की वारदातें लगातार बढ़ रही हैं. साइबर अपराधी दूर बैठकर आपकी लापरवाही या अंजानेपन का फायदा उठाते हुए आपको आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं. जानकारी के अभाव की वजह से शुरुआत में ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं चल पाता है कि उनके साथ साइबर अपराधियों ने ठगी की है, लेकिन जब उन्हें ठगी होने का अहसास होता है. तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. ऐसे में जरूरी है कि आप साइबर अपराधियों के हर दांव-पेंच से वाकिफ रहें. साइबर अपराध के तरीके और साइबर अपराधियों के दांव-पेंच के बारे में नोएडा साइबर थाने की प्रभारी रीता दायव ने विस्तार से बात की.
नोएडा साइबर थाने की प्रभारी रीता दायव ने बताया कि ज़्यादातडर साइबर अपराधी आपको लाभ पहुंचाने के तरीके का झांसा देकर ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं. आज कल लोन एप के जरिए ज्यादातर ठगी की वारदात को अंजाम दिया जा रहा है. इसके अलावा मैट्रिमोनियल साइट्स के जरिए भी लोगों को साइबर अपराधी अपना शिकार बनाते हैं.
आज कल चलन में रहने वाले तमाम सोशल साइट्स और मोबाइल एप की ही तरह फर्जी एप और मिलती-जुलती साइट्स बनाकर साइबर ठग लोगों को अपना शिकार बनाते हैं. अक्सर मोबाइल फोन पर मैसेज और वॉट्सएप लिंक भेजकर शानदार ऑफर या सस्ती दर पर आसान लोन देने का झांसा दिया जाता है. आप जैसे ही इस लिंक को क्लिक करते हैं. या जैसे ही वह एप डाउनलोड करते हैं. इसके जरिए आपका फोन या सिस्टम हैक कर लिया जाता है. कई बार KYC अपडेट करने का झांसा देकर भी लोगों के खाते से पैसे उड़ा लिए जाते हैं.
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साइबर अपराधी लोन एप के जरिए आसान लोन देने का झांसा देकर आपके फोन डायरेक्ट्री से लेकर फोटो गैलरी और अन्य एक्सेस अपने कंट्रोल में ले लेते हैं. इसके बाद आपकी फोटो और कंटैक्ट्स का ग़लत तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. ज़्यादातर मामले ब्लैकमेलिंग के सामने आए हैं. इसलिए जरूरी है कि आप इन तमाम हथकंडों से अच्छी तरह वाकिफ हों. क्योंकि ये जानकारी ही आपको साइबर अपराधियों का शिकार बनने से बचा सकती है. खास तौर से अंजान नंबरों से आई कॉल, मैसेज या लिंक को सावधानी से देखें. अपनी कोई भी गोपनीय जानकारी शेयर न करें.
साइबर अपराध से बचने के लिए लोगों को किसी भी ऑनलाइन प्रक्रिया को अमल में लाने से पहले जांचना और परखना जरूरी है. अगर बिना जांचे-परखे किसी भी ऑनलाइन प्रक्रिया को किया तो आप ठगी के शिकार हो सकते हैं. साइबर अपराध करने वाले कभी भी किसी सही ऐप का प्रयोग नहीं करते हैं. वे हमेशा मिलते-जुलते एप का प्रयोग करते हैं. आप जब भी किसी एप को डाउनलोड करें या उसका प्रयोग करें तो एप की स्पेलिंग जरूर जांच लें. क्योंकि एक शब्द का हेरफेर भी आपको ठगी का शिकार बना सकता है.
अब तक भारत सरकार 137 एप पर प्रतिबंध लगा चुकी है, जो ठगी के लिए गूगल पर देखे जा रहे थे. इसके साथ ही सरकारी तंत्र विशेष रूप से निगरानी ऐसे एप की कर रहा है जो फर्जी तरीके से बनाए गए हैं. और उस एप के जरिए लोगों को ठगने का काम किया जा रहा है. साइबर अपराध का शिकार होने के बाद तत्काल संबंधित थाना या साइबर हेल्पलाइन से संपर्क जरूर करना चाहिए. ताकि साइबर अपराधियों को पकड़ने का काम जल्द से जल्द शुरू किया जा सके.