मेरठ : देवनदी गंगा के पास बसे गांवों में रहने वालों के लिए खुशखबरी है. यूपी सरकार का उद्यान विभाग नमामि गंगे योजना (Namami Gange Scheme ) के तहत अपनी जमीन पर पेड़ लगानेवालों किसानों को हर महीने एक फिक्स रकम देगा. शर्त यह है कि स्कीम का लाभ लेने वालों को लगाए गए पौधों की देखभाल कम से कम तीन साल तक करनी होगी. मेरठ मंडल के उद्यान विभाग के उप निदेशक विनीत कुमार के अनुसार, अगर कोई किसान एक हेक्टेयर जमीन पर नर्सरी विकसित करता है तो उसे साढ़े सात लाख रुपये की सब्सिडी भी दी जाएगी.
मेरठ मंडल के उद्यान विभाग के उप निदेशक विनीत कुमार ने बताया कि स्कीम को लागू करने के लिए मेरठ मंडल के मेरठ, हापुड़ और बुलंदशहर जिले के अलग-अलग ब्लॉक में गांवों की लिस्ट बनाई गई है. उप निदेशक विनीत कुमार ने बताया कि गंगा नदी के तटीय इलाकों में जमीन ऊंची नीची होती है, जहां किसान खेती करने से परहेज करते हैं. नमामि गंगे योजना के तहत उद्यान विभाग ने ऐसी जमीन वाले किसानों के लिए स्कीम तैयार की है. इसका मकसद पर्यावरण और गंगा को बचाना है.
उद्यान विभाग की तरफ से नमामि गंगे योजना मेरठ के दो विकासखंड में लागू की गई है, जिनमें हस्तिनापुर और परीक्षितगढ़ ब्लॉक शामिल हैं. मेरठ के 9 ग्राम पंचायतों के किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं. हापुड़ जनपद की कुल 15 ग्राम पंचायतों और बुलंदशहर की 15 पंचायतों में भी यह योजना लागू की गई है. बुलंदशहर के ऊंचागांव, स्याना, अनूपशहर और डिबाई ब्लॉक के किसानों को इसका फायदा मिलेगा.
उद्यान विभाग के उप निदेशक विनीत कुमार ने बताया कि योजना के तहत एक हेक्टेयर में नए पेड़ पौधे लगाने पर किसान को 3 हजार रुपये प्रतिमाह देने का प्रावधान किया गया है. अगर किसान तीन वर्ष तक उन पौधों को जीवित रख पाएंगे तो कुल एक लाख 8 हजार रुपये की धनराशि दी जाएगी. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही कोई भी भूस्वामी नर्सरी बनाता है तो उसे 50 फीसदी अनुदान दिया जाएगा. एक हेक्टेयर की नर्सरी की लागत 15 लाख मानी गयी है, इस हिसाब उसे साढ़े सात लाख रुपये का अनुदान मिलेगा.
विनीत कुमार ने बताया कि गंगा किनारे अगर किसी की ऊंची नीची जमीन है, तो सबसे अच्छा विकल्प यही है कि वहां बाग़ लगाएं. इसके अलावा जमीन के मालिक प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत ड्रीप सिस्टम भी लगा सकते हैं. इसके लिए उद्यान विभाग के एक्सपर्ट किसानों को ट्रेनिंग भी देते हैं. ड्रिपिंग सिस्टम लगाने वाले किसान जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं. उद्यान विभाग की वेबसाइट में भी तमाम जानकारी आसानी से उपलब्ध है. इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कराया जा सकता है.
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