मथुरा. भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई और ब्रज के राजा बलदाऊ महाराज की नगरी बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा हर्षोल्लास के साथ खेला गया. देवर और भाभी होली खेलते हुए नजर आए. दूरदराज से आए श्रद्धालुओं ने हुरंगा का अद्भुत आनंद लिया.
दाऊजी में हुरंगा को कोड़ा मार होली भी कहते हैं, क्योंकि महिलाएं पुरुषों के कपड़े फाड़ कर कोड़ा बनाकर पुरुषों को मारती है. उसके बदले में पुरुष महिला के ऊपर बाल्टी भर कर रंग डालती हैं. कहा जाता है कि इस नजारे को देखने के लिए धरती लोक पर स्वयं भगवान श्री कृष्णा और उनके बड़े भाई बलदाऊ किसी न किसी रूप में पधारते हैं और हुरंगे का आनंद लेते हैं.
बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा
कृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ जी महाराज की नगरी बलदेव में होली के दूसरे दिन विश्व प्रसिद्ध हुरंगा का भव्य आयोजन किया गया. हुरंगा देखने के लिए दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. हुरंगा को लेकर जिला प्रशासन ने किए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम.
बलदेव में पंडा समाज जिसमें देवर और भाभी हुरंगा कार्यक्रम में भाग लेती है, मंदिर प्रांगण के अंदर समाज गायन उसके बाद हुरंगा का आयोजन किया जाता है. इसे कोड़ा मार होली भी कहते हैं. होली खेलने के लिए टेसू के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है.
कोड़ा मार होली
बलदेव में महिलाएं अपने देवर के साथ होली खेलती हैं. पुरुषों के कपड़े फाड़ कर कोड़ा बनाया जाता है और पुरुषों पर महिलाएं कोड़े से मारती है उसके बदले में पुरुष महिलाओं के ऊपर टेसू से तैयार किए गए रंग बाल्टी भर कर महिलाओं के ऊपर डालते हैं. ढोल नगाड़े की धुन पर नाचते हैं.
इसे भी पढ़ेंः मेरठ के इस गांव में मुंह को नुकीले औजारों से बांधकर इस तरह मनाते हैं होली, जानकर दंग रह जाएंगे आप
हुरंगा देखने के लिए पहुंचे हजारों श्रद्धालु
हुरंगा देखने के लिए बलदेव में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां होली का आनंद लेने के लिए पहुंचते हैं. दाऊजी कस्बे में प्राचीन बलदाऊ जी महाराज का मंदिर बना हुआ है जो कि प्राचीन काल का है. होली के दूसरे दिन बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा का भव्य आयोजन किया जाता है. हुरंगा को लेकर देवर भाभी को होली का बेसब्री से इंतजार रहते हैं.
सब जग होरी ब्रज होरा कहा जाता है. ब्रज में होली का अद्भुत आनंद लेने के लिए स्वर्ग लोक से देवी देवता और भगवान कृष्ण राधा जी और बड़े भाई बलदाऊ जी महाराज किसी न किसी रूप में धरती लोक पर पधारते हैं. होली का आनंद लेते हैं. ब्रज में होली का एक अलग ही आनंद मिलता है. इसीलिए तो सात समुंदर पार से भी विदेशी भक्तगण होली देखने खेलने के लिए मथुरा चले आते हैं. ब्रज में होली 40 दिनों तक खेली जाती है और बसंत पंचमी के दिन से प्रारंभ हो जाती हैं.