ETV Bharat / city

शहर की सड़कों पर जिंदगियां छीन रहे कृषि के नाम पर लिये जाने वाले ट्रैक्टर, जानिये क्या हैं नियम - कमर्शियल यूज

यूपी के हर हिस्से में कृषि के नाम पर ट्रैक्टर लेने वाले उससे ईंट, मौरंग व सरिया ढो रहे हैं. लगभग सभी ट्रैक्टर ओवरलोड होते हैं. ऐसे में रोजाना हादसे हो रहे हैं.

बेलगाम ट्रैक्टर
बेलगाम ट्रैक्टर
author img

By

Published : Jul 8, 2022, 4:22 PM IST

लखनऊ : शहर की सड़कों पर बेलगाम दौड़ रहे ट्रैक्टर जानलेवा बनते जा रहे हैं. गुरुवार को जालौन में ईंट से लदे ट्रैक्टर ने एक महिला को टक्कर मार दी. मौके पर ही महिला की मौत हो गयी. इसी दिन लखनऊ के मड़ियांव इलाके में स्कूटी से जा रहे युवक को मिट्टी लदे ट्रैक्टर ने टक्कर मार दी. जिसके बाद घायल ने अस्पताल में दम तोड़ दिया. एक साल पहले सैरपुर इंस्पेक्टर की मौत भी ट्रैक्टर की टक्कर से हो गयी थी. आये दिन हो रही ऐसी दुर्घटनाओं के बावजूद पुलिस व परिवहन खेतों में चलने वाले ट्रैक्टरों को शहरों में चलने से नहीं रोक पा रहे हैं.


यूपी के हर हिस्से में कृषि के नाम पर ट्रैक्टर लेने वाले उससे ईंट, मौरंग व सरिया ढो रहे हैं. लगभग सभी ट्रैक्टर ओवरलोड होते हैं. ऐसे में रोजाना हादसे हो रहे हैं. पुलिस, प्रशासन, परिवहन विभाग के अफसर इस ओर देख ही नहीं रहे हैं. इससे ट्रैक्टर मालिक सरकार को दो तरफ से चपत लगा रहे हैं. कृषि यंत्र होने के चलते ये सरकार से सब्सिडी पाते हैं और फिर उसे व्यवसायिक कार्य कर कमाई करते हैं. लखनऊ की बात करें तो यहां महज 10 प्रतिशत ट्रैक्टर ट्राॅली ही आरटीओ में व्यवसायिक कार्य करने के लिए रजिस्टर्ड हैं, वो भी अधिकतर क्रेन यूज के लिए होते हैं.


पुलिस के सामने से गुजरते हैं अवैध ट्रैक्टर-ट्राॅली : लखनऊ के आरटीओ कार्यालय में करीब एक हजार ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन है. जिसमें 90 प्रतिशत कृषि कार्य के लिए रजिस्टर्ड हैं, लेकिन कृषि कार्य के लिए वे बहुत कम ही चलते नजर आते हैं. व्यवसायिक काम में लगे ट्रैक्टर ट्राॅलियों का न ही बीमा है न ही पॉल्युशन और न फिटनेस. यहां तक इनमें नम्बर भी नहीं लिखा होता है. इसके बावजूद ट्रैफिक पुलिस, स्थानीय पुलिस और आरटीओ कोई भी जिम्मेदार इन पर सवाल नहीं उठाता है, जबकि रोजाना ये ट्रैक्टर पुलिस थानों व चौकियों के सामने से ही गुजरते हैं. अधिकतर ट्रैक्टरों को चलाने वाले या तो नाबालिग होते हैं या फिर उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं होता है.

पुलिस ने कहा, आरटीओ की जिम्मेदारी : लखनऊ के कार्यवाहक डीसीपी ट्रैफिक रईस अख्तर का कहना है कि "ट्रैक्टर किस यूज के लिए चल रहे हैं यह देखना आरटीओ का काम है. उनका कहना है कि वो सिर्फ यह देखते हैं कि यातायात नियमों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है. वो कहते हैं कि अगर ऐसी चीजें उन्हें दिखती हैं तो कार्रवाई जरूर की जाती है."

आरटीओ मानता है चल रहे अवैध ट्रैक्टर : वहीं एआरटीओ अखिलेश कुमार द्विवेदी कहते हैं कि "कृषि कार्य के लिए ट्रैक्टर का रजिट्रेशन कराया जाता है, लेकिन उन्हें व्यवसायिक कार्यों में लगाया जाता है. इसके लिए ट्रैक्टर ट्राॅली का रजिट्रेशन होता है और उसका नंबर भी दिया जाता है. उन्होंने बताया कि लखनऊ में महज 10 फीसदी ट्रैक्टर ट्राॅली का रजिट्रेशन है बाकी सब अवैध हैं. उनके खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई भी की जाती है."


मोटर एक्ट के तहत क्या हैं नियम

ट्रैक्टर ट्राॅली को चलाने के लिए ड्राइवर के पास भारी वाहन चलाने का परमिट होना जरूरी है. ऐसा न होने कि स्थिति में भारी जुर्माना या जेल हो सकती है.

इसको चलाते हुए किसी की दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है तो जमानत नहीं मिलेगी. इस स्थिति में जुर्माना या जेल या दोनों की सजा हो सकती है.

नए मोटर एक्ट के तहत ट्रैक्टर या ट्राॅली के लिए बीमा और फिटनेस सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है. गाड़ी सही कंडीशन में ना होने या जुगाड़ गाड़ी की तरह गैर कानूनी तौर पर इस्तेमाल करने पर भारी जुर्माना हो सकता है.

निजी ट्रैक्टर को कमर्शियल यूज करना अपराध है. नए मोटर एक्ट में इसकी मनाही है. ट्रैक्टर-ट्राॅली पर सवारी लेकर जाना भी मना है. ऐसा करने की स्थिति में भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है.

ये भी पढ़ें : लखनऊः डीएम ने अवैध कब्जा करके बनाया गया प्राइवेट स्कूल कराया बंद, सेंटीनियल के छात्रों को परिसर में मिला प्रवेश

ट्रैक्टर का किसी भी हाल में मॉडिफिकेशन नहीं किया जा सकता है. ऐसा करने पर भारी जुर्माना लग सकता है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ : शहर की सड़कों पर बेलगाम दौड़ रहे ट्रैक्टर जानलेवा बनते जा रहे हैं. गुरुवार को जालौन में ईंट से लदे ट्रैक्टर ने एक महिला को टक्कर मार दी. मौके पर ही महिला की मौत हो गयी. इसी दिन लखनऊ के मड़ियांव इलाके में स्कूटी से जा रहे युवक को मिट्टी लदे ट्रैक्टर ने टक्कर मार दी. जिसके बाद घायल ने अस्पताल में दम तोड़ दिया. एक साल पहले सैरपुर इंस्पेक्टर की मौत भी ट्रैक्टर की टक्कर से हो गयी थी. आये दिन हो रही ऐसी दुर्घटनाओं के बावजूद पुलिस व परिवहन खेतों में चलने वाले ट्रैक्टरों को शहरों में चलने से नहीं रोक पा रहे हैं.


यूपी के हर हिस्से में कृषि के नाम पर ट्रैक्टर लेने वाले उससे ईंट, मौरंग व सरिया ढो रहे हैं. लगभग सभी ट्रैक्टर ओवरलोड होते हैं. ऐसे में रोजाना हादसे हो रहे हैं. पुलिस, प्रशासन, परिवहन विभाग के अफसर इस ओर देख ही नहीं रहे हैं. इससे ट्रैक्टर मालिक सरकार को दो तरफ से चपत लगा रहे हैं. कृषि यंत्र होने के चलते ये सरकार से सब्सिडी पाते हैं और फिर उसे व्यवसायिक कार्य कर कमाई करते हैं. लखनऊ की बात करें तो यहां महज 10 प्रतिशत ट्रैक्टर ट्राॅली ही आरटीओ में व्यवसायिक कार्य करने के लिए रजिस्टर्ड हैं, वो भी अधिकतर क्रेन यूज के लिए होते हैं.


पुलिस के सामने से गुजरते हैं अवैध ट्रैक्टर-ट्राॅली : लखनऊ के आरटीओ कार्यालय में करीब एक हजार ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन है. जिसमें 90 प्रतिशत कृषि कार्य के लिए रजिस्टर्ड हैं, लेकिन कृषि कार्य के लिए वे बहुत कम ही चलते नजर आते हैं. व्यवसायिक काम में लगे ट्रैक्टर ट्राॅलियों का न ही बीमा है न ही पॉल्युशन और न फिटनेस. यहां तक इनमें नम्बर भी नहीं लिखा होता है. इसके बावजूद ट्रैफिक पुलिस, स्थानीय पुलिस और आरटीओ कोई भी जिम्मेदार इन पर सवाल नहीं उठाता है, जबकि रोजाना ये ट्रैक्टर पुलिस थानों व चौकियों के सामने से ही गुजरते हैं. अधिकतर ट्रैक्टरों को चलाने वाले या तो नाबालिग होते हैं या फिर उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं होता है.

पुलिस ने कहा, आरटीओ की जिम्मेदारी : लखनऊ के कार्यवाहक डीसीपी ट्रैफिक रईस अख्तर का कहना है कि "ट्रैक्टर किस यूज के लिए चल रहे हैं यह देखना आरटीओ का काम है. उनका कहना है कि वो सिर्फ यह देखते हैं कि यातायात नियमों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है. वो कहते हैं कि अगर ऐसी चीजें उन्हें दिखती हैं तो कार्रवाई जरूर की जाती है."

आरटीओ मानता है चल रहे अवैध ट्रैक्टर : वहीं एआरटीओ अखिलेश कुमार द्विवेदी कहते हैं कि "कृषि कार्य के लिए ट्रैक्टर का रजिट्रेशन कराया जाता है, लेकिन उन्हें व्यवसायिक कार्यों में लगाया जाता है. इसके लिए ट्रैक्टर ट्राॅली का रजिट्रेशन होता है और उसका नंबर भी दिया जाता है. उन्होंने बताया कि लखनऊ में महज 10 फीसदी ट्रैक्टर ट्राॅली का रजिट्रेशन है बाकी सब अवैध हैं. उनके खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई भी की जाती है."


मोटर एक्ट के तहत क्या हैं नियम

ट्रैक्टर ट्राॅली को चलाने के लिए ड्राइवर के पास भारी वाहन चलाने का परमिट होना जरूरी है. ऐसा न होने कि स्थिति में भारी जुर्माना या जेल हो सकती है.

इसको चलाते हुए किसी की दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है तो जमानत नहीं मिलेगी. इस स्थिति में जुर्माना या जेल या दोनों की सजा हो सकती है.

नए मोटर एक्ट के तहत ट्रैक्टर या ट्राॅली के लिए बीमा और फिटनेस सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है. गाड़ी सही कंडीशन में ना होने या जुगाड़ गाड़ी की तरह गैर कानूनी तौर पर इस्तेमाल करने पर भारी जुर्माना हो सकता है.

निजी ट्रैक्टर को कमर्शियल यूज करना अपराध है. नए मोटर एक्ट में इसकी मनाही है. ट्रैक्टर-ट्राॅली पर सवारी लेकर जाना भी मना है. ऐसा करने की स्थिति में भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है.

ये भी पढ़ें : लखनऊः डीएम ने अवैध कब्जा करके बनाया गया प्राइवेट स्कूल कराया बंद, सेंटीनियल के छात्रों को परिसर में मिला प्रवेश

ट्रैक्टर का किसी भी हाल में मॉडिफिकेशन नहीं किया जा सकता है. ऐसा करने पर भारी जुर्माना लग सकता है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.