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नई विधि अपना कर बढ़ाई जाएगी गन्ना किसानों की आय

प्रदेश में गन्ने की खेती की लागत को कम करना और समय से गन्ना मूल्य भुगतान कराना सरकार की प्राथमिकता में है. सरकार गन्ने का प्रति क्विंटल मूल्य बढ़ाकर और गन्ने का रिकॉर्ड भुगतान कर यह काम करना चाहती है.

गन्ने की खेती
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Published : Aug 11, 2022, 5:19 PM IST

लखनऊ : प्रदेश में गन्ने की खेती की लागत को कम करना और समय से गन्ना मूल्य भुगतान कराना सरकार की प्राथमिकता में है. सरकार गन्ने का प्रति क्विंटल मूल्य बढ़ाकर और गन्ने का रिकॉर्ड भुगतान कर यह काम करना चाहती है. सरकार का जोर न्यूनतम लागत में अधिक पैदावार के लिए खेती की नई तकनीक के साथ गन्ने के साथ सहफसली खेती को प्रोत्साहन देना है. इसके लिए सरकार गन्ना बोआई की आधुनिक विधा ट्रेंच, पेड़ी प्रबंधन, ड्रिप इरीगेशन, मल्चिंग और सहफसल को अपनाने पर जोर दे रही है. इसमें हर चीज का अपना लाभ है. ड्रिप इरीगेशन से पानी की खपत 50 से 60 फीसद कम हो जाती है. जरूरत के अनुसार, नमीं बरकरार रहने से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है. कालांतर में पत्तियां सड़कर खाद के रूप में खेत को प्राकृतिक रूप से उर्वर बनाती हैं.


शरदकालीन गन्ने की खेती के लिए 15 सितंबर से लेकर 30 नवंबर तक का समय उपयुक्त होता है. इस सीजन के गन्ने की फसल की उपज भी बसंतकालीन गन्ने की खेती की तुलना में अधिक होती है. इस सीजन में बोए जाने वाले गन्ने के साथ किसान गन्ने की दो लाइनों के बीच आलू, गोभी, धनिया, मटर, लहसुन, टमाटर और गेहूं की सहफसली खेती कर सकते हैं. शर्त यह है कि इन फसलों के लिए अतिरिक्त पोषक तत्व अलग से दें. इससे गन्ने की खेती की लागत निकल जाएगी. गन्ने की खेती से होने वाली आय अतरिक्त होगी. इस तरह किसानों की आय बढ़ जाएगी. पंचामृत विधा से जिन प्लाटों पर खेती की जाएगी उन्हें ही 'आदर्श मॉडल' के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा.

आदर्श मॉडल प्लाटों की स्थापना के लिए शरदकालीन बोआई का समय महत्वपूर्ण होता है. इस बोआई के अंतर्गत प्रारंभिक तौर पर प्रदेश में कुल 2028 कृषकों का चयन कर गन्ना खेती के आदर्श माडल प्लाट का लक्ष्य निर्धारित किया जा रहा है. इस प्लाट का रकबा 0.5 हेक्टेयर होगा. इसका मकसद होता है कि क्षेत्र के बाकी किसान भी इसे देखें और और अपनाएं. इसीलिए इस तरह के डिमांस्ट्रेशन प्रदेश के हर क्षेत्र में होंगे. पंचामृत योजना के अंतर्गत समन्वित पद्धतियों एवं विधियों के लिए जिलेवार अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं.
यह भी पढ़ें : अब प्रदेश के पेट्रोल पंपों पर भी मिलेंगे ODOP उत्पाद, राजधानी से होगी शुरुआत
गन्ना किसानों को गन्ने की सहफसली और ट्रेंच विधि से की जाने वाली खेती को बढ़ावा देने वाली पंचामृत योजना अपनाने को प्रेरित किया जा रहा है. किसान इस योजना को अपना भी रहे हैं. शरद कालीन गन्ने की बोआई करने वाले किसानों को जागरूक करने के लिए जिला गन्ना अधिकारी से लेकर गन्ना विभाग के अन्य अधिकारी गांव गांव किसानों के बीच जाकर उनको इस विधा के प्रति जागरूक कर रहे हैं. यह भी बता रहे हैं कि इस विधा से बेहतर उत्पादन लेने वाले कुछ किसानों को विभाग सम्मानित भी करेगा.

लखनऊ : प्रदेश में गन्ने की खेती की लागत को कम करना और समय से गन्ना मूल्य भुगतान कराना सरकार की प्राथमिकता में है. सरकार गन्ने का प्रति क्विंटल मूल्य बढ़ाकर और गन्ने का रिकॉर्ड भुगतान कर यह काम करना चाहती है. सरकार का जोर न्यूनतम लागत में अधिक पैदावार के लिए खेती की नई तकनीक के साथ गन्ने के साथ सहफसली खेती को प्रोत्साहन देना है. इसके लिए सरकार गन्ना बोआई की आधुनिक विधा ट्रेंच, पेड़ी प्रबंधन, ड्रिप इरीगेशन, मल्चिंग और सहफसल को अपनाने पर जोर दे रही है. इसमें हर चीज का अपना लाभ है. ड्रिप इरीगेशन से पानी की खपत 50 से 60 फीसद कम हो जाती है. जरूरत के अनुसार, नमीं बरकरार रहने से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है. कालांतर में पत्तियां सड़कर खाद के रूप में खेत को प्राकृतिक रूप से उर्वर बनाती हैं.


शरदकालीन गन्ने की खेती के लिए 15 सितंबर से लेकर 30 नवंबर तक का समय उपयुक्त होता है. इस सीजन के गन्ने की फसल की उपज भी बसंतकालीन गन्ने की खेती की तुलना में अधिक होती है. इस सीजन में बोए जाने वाले गन्ने के साथ किसान गन्ने की दो लाइनों के बीच आलू, गोभी, धनिया, मटर, लहसुन, टमाटर और गेहूं की सहफसली खेती कर सकते हैं. शर्त यह है कि इन फसलों के लिए अतिरिक्त पोषक तत्व अलग से दें. इससे गन्ने की खेती की लागत निकल जाएगी. गन्ने की खेती से होने वाली आय अतरिक्त होगी. इस तरह किसानों की आय बढ़ जाएगी. पंचामृत विधा से जिन प्लाटों पर खेती की जाएगी उन्हें ही 'आदर्श मॉडल' के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा.

आदर्श मॉडल प्लाटों की स्थापना के लिए शरदकालीन बोआई का समय महत्वपूर्ण होता है. इस बोआई के अंतर्गत प्रारंभिक तौर पर प्रदेश में कुल 2028 कृषकों का चयन कर गन्ना खेती के आदर्श माडल प्लाट का लक्ष्य निर्धारित किया जा रहा है. इस प्लाट का रकबा 0.5 हेक्टेयर होगा. इसका मकसद होता है कि क्षेत्र के बाकी किसान भी इसे देखें और और अपनाएं. इसीलिए इस तरह के डिमांस्ट्रेशन प्रदेश के हर क्षेत्र में होंगे. पंचामृत योजना के अंतर्गत समन्वित पद्धतियों एवं विधियों के लिए जिलेवार अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं.
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गन्ना किसानों को गन्ने की सहफसली और ट्रेंच विधि से की जाने वाली खेती को बढ़ावा देने वाली पंचामृत योजना अपनाने को प्रेरित किया जा रहा है. किसान इस योजना को अपना भी रहे हैं. शरद कालीन गन्ने की बोआई करने वाले किसानों को जागरूक करने के लिए जिला गन्ना अधिकारी से लेकर गन्ना विभाग के अन्य अधिकारी गांव गांव किसानों के बीच जाकर उनको इस विधा के प्रति जागरूक कर रहे हैं. यह भी बता रहे हैं कि इस विधा से बेहतर उत्पादन लेने वाले कुछ किसानों को विभाग सम्मानित भी करेगा.

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