लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने वाले 1 लाख 48 हजार शिक्षामित्रों ने सोमवार को काली पट्टी बांधकर शिक्षण कार्य किया और काला दिवस मनाया. प्रदेश के शिक्षामित्रों ने समायोजन रद्द होने की 5वीं बरसी के मौके पर अपनी नाराजगी दर्ज कराई. इस दौरान बेसिक शिक्षामंत्री व प्रधानमंत्री से सोशल मीडिया के जरिए शिक्षामित्रों का भविष्य सुरक्षित करने की मांग की गई.
उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि प्रदेश के एक लाख 48 हजार शिक्षामित्र आज अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. 25 जुलाई 2017 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समायोजन रद्द किये जाने के बाद से 25 जुलाई 2022 तक पूरे 5 साल बीत चुके हैं. संकल्प पत्र में 3 माह में शिक्षामित्रों की समस्याओं का निस्तारण करने की बात कही गई थी. पिछले 5 वर्ष से इस महंगाई के दौर में अल्प मानदेय पर काम करना शिक्षामित्रों के लिए नामुमकिन होता जा रहा है. वहीं दिनेश शर्मा पूर्व उप मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट को आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.
प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि शिक्षामित्रों को 10,000 रुपये प्रतिमाह देकर उनका शोषण किया जा रहा है. पूरे भारत देश में उप्र के शिक्षामित्रों को सबसे कम मानदेय दिया जा रहा है. जिससे इस भीषण मंहगाई के दौर में परिवारों का खर्च उठाना बहुत मुश्किल हो रहा है. अब तक लगभग 2 हजार से भी अधिक शिक्षामित्रों को अवसादग्रस्त होने से अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है.
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प्रदेश कोषाध्यक्ष संदीप दत्त ने कहा कि प्रदेश के सभी जनपद में सभी शिक्षामित्रों ने काली पट्टी बांध कर विरोध दर्ज कराया है. उन्होनें कहा कि मात्र 10 हजार में शिक्षामित्रों से 100 से 120 किलोमीटर दूर कार्य कराया जा रहा है जो अनैतिक है.
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