लखनऊ: जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए नामांकन के दिन उत्तर प्रदेश की राजनीति अपने पूरे चरम पर दिखाई दी. साम, दाम, दंड, भेद के तरीकों को अपनाकर राजनीतिक पार्टियां जीत के गोटे सेट कर रही थीं. इसी बीच समाजवादी पार्टी के साथ 'खेला' हो गया. प्रदेश की 17 सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी नामांकन तक नहीं करा सके. लिहाजा भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध चुनाव जीत गए. जिसके बाद से बौखलाई सपा ने बीजेपी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अनुराग भदौरिया का कहना है कि यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर उससे तांडव कराया ये लोकतंत्र की हत्या है. जनता 2022 के चुनाव में इसका मुंह तोड़ जवाब देगी.
भाजपा का पलटवार
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपनी हार स्वीकार कर ली है. पंचायत चुनाव में जिस प्रकार से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को प्रस्तावक नहीं मिले और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पद के दावेदारों ने नामांकन नहीं किया. उससे अखिलेश यादव बौखला गए हैं और अपने जिला अध्यक्षों को पद से हटा दिया है. यह समाजवादी पार्टी में मची भगदड़ को दर्शाता है. यह उसी तरह की भगदड़ है, जिस प्रकार से 2017 में हुई थी. समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं ने अखिलेश यादव को अपना नेता मानने से इंकार कर दिया है और समाजवादी पार्टी पूरी तरह बिखर रही है.
भाजपा के निर्विरोध जीते प्रत्याशी
- आगरा - मंजू भदौरिया
- ग़ाज़ियाबाद - ममता त्यागी
- मुरादाबाद - डॉ. शेफाली
- बुलंदशहर - डॉ. अंतुल तेवतिया
- ललितपुर - कैलाश निरंजन
- मऊ - मनोज राय
- चित्रकूट - अशोक जाटव
- गौतमबुद्ध नगर - अमित चौधरी
- श्रावस्ती - दद्दन मिश्र
- गोरखपुर - साधना सिंह
- बलरामपुर - आरती तिवारी
- झांसी - पवन कुमार गौतम
- गोंडा - घनश्याम मिश्र
- मेरठ- गौरव चौधरी
- अमरोहा- ललित तंवर
- बांदा- सुनील सिंह पटेल
- वाराणसी- पूनम मौर्या
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57 जिलों में होंगे चुनाव
18 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर प्रत्याशियों का चुना जाना तय हो गया है. बाकी 57 जिलों में चुनाव के जरिए ही जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाएंगे. जहां चुनाव होने हैं, 57 सीटों में 41 ऐसी हैं, जिनमें दो प्रत्याशियों के ही बीच मुकाबला होना है, जबकि 11 सीटें ऐसी हैं, जहां पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा. भदोही में सबसे ज्यादा पांच उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं तो चार सीटों में चार-चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं.
कांग्रेस ने सिर्फ रायबरेली में उतारा प्रत्याशी
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर कांग्रेस कितना गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के 75 जनपदों में होने वाले जिला पंचायत चुनाव के लिए कांग्रेस ने सिर्फ रायबरेली जनपद में नामांकन किया है. रायबरेली से मनीष कुमार ने अपना नामांकन दाखिल किया, जबकि बसपा जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से कोसों दूर हैं.
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अखिलेश यादव ने 11 जिला अध्यक्षों को किया बर्खास्त
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी कितना गंभीर है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के 12 जनपदों में समाजवादी पार्टी को जिला पंचायत सदस्य अपना नामांकन नहीं कर पाए, जिससे नाराज होकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 11 जनपदों के जिला अध्यक्षों को तत्काल पद से हटा दिया.
अखिलेश यादव ने लगाया था सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को गोरखपुर जनपद में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को नामांकन किए जाने से रोके जाने पर ट्वीट करते हुए कहा कि यह हारी हुई भाजपा का चुनाव जीतने का नया हथकंडा है. भाजपा जितने पंचायत अध्यक्ष बनाएगी जनता विधानसभा में उन्हें उतनी भी सीट नहीं देगी.
समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकाल में प्रदेश में 33 जिला पंचायत अध्यक्षों को निर्विरोध कराया था. इस बार जबकि वह सत्ता से बाहर है तो भाजपा पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग करने का आरोप लगा रही है.