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लखनऊ में पीपीपी मॉडल पर तीन में से एक भी नहीं बन पाया बस स्टेशन, चारबाग का कायाकल्प तक नहीं - 18 शहरों में बस स्टेशन

2016 में पीपीपी मॉडल पर बने पहले बस स्टेशन आलमबाग की तर्ज पर दूसरा एक भी बस स्टेशन तैयार नहीं हो पाया है. राजधानी के अलावा 18 अन्य शहरों में भी पीपीपी मॉडल पर ही बस अड्डे बनाए जाने हैं, लेकिन हर बार टेंडर ही जारी होता है.

राज्य सड़क परिवहन निगम
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Published : Jun 30, 2022, 4:37 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन ने कई बार प्रयास किए, लेकिन 2016 में पीपीपी मॉडल पर बने पहले बस स्टेशन आलमबाग की तर्ज पर दूसरा एक भी बस स्टेशन तैयार नहीं कर पाया. लखनऊ में ही अकेले तीन बस अड्डों का निर्माण होना है, जिनमें एक चारबाग बस स्टेशन संचालित हो रहा है. पीपीपी मॉडल पर बनना तो दूर इसका कायाकल्प तक नहीं कराया जा सका. इसके अलावा दूसरा बस स्टेशन अमौसी व तीसरा बस स्टेशन गोमती नगर के विभूति खंड इलाके में बनना है. इसके अलावा 18 अन्य शहरों में भी पीपीपी मॉडल पर ही बस अड्डे बनाए जाने हैं, लेकिन हर बार टेंडर जारी होता है. बैठक होती है. इन्वेस्टर्स समिट में प्रयास होते हैं, लेकिन परिवहन निगम के हाथ हर बार खाली ही रह जाते हैं. पीपीपी मॉडल के बस स्टेशनों पर मिल रही सुविधाओं से यात्री वंचित हैं, उनकी उम्मीद टूट रही है.

2016 में उत्तर प्रदेश की राजधानी में जब पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर आलमबाग बस स्टेशन बनकर तैयार हुआ तो इसकी खूबसूरती के चर्चे उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश के तमाम राज्यों में हुए. तमाम राज्यों के परिवहन निगम के अधिकारी आलमबाग बस स्टेशन का दीदार करने आए. आलमबाग बस स्टेशन की ही तर्ज पर परिवहन निगम ने प्रदेश के अन्य 21 स्थानों पर बस स्टेशन बनाने के लिए योजना तैयार की, लेकिन पिछली सरकार के कार्यकाल में एक भी पीपीपी मॉडल पर बस स्टेशन की नींव नहीं रखी जा सकी. वहीं इस कार्यकाल में भी अब तक पीपीपी मॉडल पर बनने वाले बस स्टेशनों की टेंडर प्रक्रिया तक पूरी नहीं हो पाई है.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय



यहां तैयार होने हैं बस स्टेशन : पीपीपी मॉडल पर कौशाम्बी (गाजियाबाद), कानपुर सेन्ट्रल, वाराणसी कैंट, सिविल लाइन्स (प्रयागराज), चारबाग बस स्टेशन (लखनऊ), अमौसी (लखनऊ), विभूतिखंड गोमती नगर (लखनऊ), मेरठ, ट्रांसपोर्ट नगर (आगरा), ईदगाह (आगरा), आगरा फोर्ट (आगरा), अलीगढ़, मथुरा (ओल्ड), गाजियाबाद, गोरखपुर, जीरो रोड (प्रयागराज), साहिबाबाद और अयोध्या समेत 18 बस अड्डों को पीपीपी मॉडल पर तैयार किया जाएगा.

यात्रियों को नहीं मिल रही सुविधा : परिवहन निगम यात्रियों से किराए में सुविधा शुल्क भी लेता है, लेकिन बस स्टेशनों की हालत ऐसी है जहां पर यात्रियों को असुविधा ही मिलती है. सुविधाओं से यात्री कोसों दूर हैं. लखनऊ के चारबाग बस स्टेशन की बात करें तो इस स्टेशन का कायाकल्प होना था, वह भी नहीं हुआ और पीपीपी मॉडल पर इस बस स्टेशन का पुनर्निर्माण होने की बात तो दूर ही है.

उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह का कहना है कि परिवहन निगम की तरफ से 18 बस अड्डों को पीपीपी माॅडल पर विकसित करने की कार्ययोजना पर कार्रवाई की जा रही है. यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा. बस स्टेशनों के निर्माण के लिए ई-टेंडर की प्रक्रिया भी शीघ्र शुरू की जाएगी.
ये भी पढ़ें : अवैध निर्माण हटाने के खिलाफ याचिका पर जवाब दाखिल, सुनवाई 7 जुलाई को
परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक आरपी सिंह ने बताया कि प्रस्ताव तैयार कर जल्द ही शासन की अनुमति के लिए भेजा जाएगा. शासन से अनुमति मिलते ही इसके लिए निविदायें आमंत्रित होंगी.
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन ने कई बार प्रयास किए, लेकिन 2016 में पीपीपी मॉडल पर बने पहले बस स्टेशन आलमबाग की तर्ज पर दूसरा एक भी बस स्टेशन तैयार नहीं कर पाया. लखनऊ में ही अकेले तीन बस अड्डों का निर्माण होना है, जिनमें एक चारबाग बस स्टेशन संचालित हो रहा है. पीपीपी मॉडल पर बनना तो दूर इसका कायाकल्प तक नहीं कराया जा सका. इसके अलावा दूसरा बस स्टेशन अमौसी व तीसरा बस स्टेशन गोमती नगर के विभूति खंड इलाके में बनना है. इसके अलावा 18 अन्य शहरों में भी पीपीपी मॉडल पर ही बस अड्डे बनाए जाने हैं, लेकिन हर बार टेंडर जारी होता है. बैठक होती है. इन्वेस्टर्स समिट में प्रयास होते हैं, लेकिन परिवहन निगम के हाथ हर बार खाली ही रह जाते हैं. पीपीपी मॉडल के बस स्टेशनों पर मिल रही सुविधाओं से यात्री वंचित हैं, उनकी उम्मीद टूट रही है.

2016 में उत्तर प्रदेश की राजधानी में जब पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर आलमबाग बस स्टेशन बनकर तैयार हुआ तो इसकी खूबसूरती के चर्चे उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश के तमाम राज्यों में हुए. तमाम राज्यों के परिवहन निगम के अधिकारी आलमबाग बस स्टेशन का दीदार करने आए. आलमबाग बस स्टेशन की ही तर्ज पर परिवहन निगम ने प्रदेश के अन्य 21 स्थानों पर बस स्टेशन बनाने के लिए योजना तैयार की, लेकिन पिछली सरकार के कार्यकाल में एक भी पीपीपी मॉडल पर बस स्टेशन की नींव नहीं रखी जा सकी. वहीं इस कार्यकाल में भी अब तक पीपीपी मॉडल पर बनने वाले बस स्टेशनों की टेंडर प्रक्रिया तक पूरी नहीं हो पाई है.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय



यहां तैयार होने हैं बस स्टेशन : पीपीपी मॉडल पर कौशाम्बी (गाजियाबाद), कानपुर सेन्ट्रल, वाराणसी कैंट, सिविल लाइन्स (प्रयागराज), चारबाग बस स्टेशन (लखनऊ), अमौसी (लखनऊ), विभूतिखंड गोमती नगर (लखनऊ), मेरठ, ट्रांसपोर्ट नगर (आगरा), ईदगाह (आगरा), आगरा फोर्ट (आगरा), अलीगढ़, मथुरा (ओल्ड), गाजियाबाद, गोरखपुर, जीरो रोड (प्रयागराज), साहिबाबाद और अयोध्या समेत 18 बस अड्डों को पीपीपी मॉडल पर तैयार किया जाएगा.

यात्रियों को नहीं मिल रही सुविधा : परिवहन निगम यात्रियों से किराए में सुविधा शुल्क भी लेता है, लेकिन बस स्टेशनों की हालत ऐसी है जहां पर यात्रियों को असुविधा ही मिलती है. सुविधाओं से यात्री कोसों दूर हैं. लखनऊ के चारबाग बस स्टेशन की बात करें तो इस स्टेशन का कायाकल्प होना था, वह भी नहीं हुआ और पीपीपी मॉडल पर इस बस स्टेशन का पुनर्निर्माण होने की बात तो दूर ही है.

उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह का कहना है कि परिवहन निगम की तरफ से 18 बस अड्डों को पीपीपी माॅडल पर विकसित करने की कार्ययोजना पर कार्रवाई की जा रही है. यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा. बस स्टेशनों के निर्माण के लिए ई-टेंडर की प्रक्रिया भी शीघ्र शुरू की जाएगी.
ये भी पढ़ें : अवैध निर्माण हटाने के खिलाफ याचिका पर जवाब दाखिल, सुनवाई 7 जुलाई को
परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक आरपी सिंह ने बताया कि प्रस्ताव तैयार कर जल्द ही शासन की अनुमति के लिए भेजा जाएगा. शासन से अनुमति मिलते ही इसके लिए निविदायें आमंत्रित होंगी.
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