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डिप्टी सीएम ने कहा, टीबी मरीजों का ब्यौरा निक्षय पोर्टल पर अपलोड करें - Deputy CM Brijesh Pathak

डिप्टी सीएम बृजेश पाठक (Deputy CM Brijesh Pathak) ने प्रदेश के सभी सीएमओ, सीएमएस को निर्देश दिए हैं कि टीबी मरीजों का शत-प्रतिशत डाटा निक्षय पोर्टल पर दर्ज किया जाए. सीएमओ प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों संग बैठक करें. उन्हें भी प्रेरित करें.

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Published : Sep 15, 2022, 6:35 PM IST

लखनऊ : टीबी को मिटाने के लिए सबकी सहभागिता जरूरी है. सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच व इलाज मुफ्त है. प्राइवेट में भी बड़ी संख्या में डॉक्टर टीबी मरीजों का इलाज कर रहे हैं. सरकारी व प्राइवेट अस्पताल टीबी मरीजों का ब्यौरा निक्षय पोर्टल पर जरूर दर्ज करें. बृहस्पतिवार को यह निर्देश डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने दिए.


डिप्टी सीएम बृजेश पाठक (Deputy CM Brijesh Pathak) ने प्रदेश के सभी सीएमओ, सीएमएस को निर्देश दिए कि टीबी मरीजों का शत-प्रतिशत डाटा निक्षय पोर्टल पर दर्ज किया जाए. सीएमओ प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों संग बैठक करें. उन्हें भी प्रेरित करें. उन्होंने कहा कि जब सही आंकड़े होंगे तो टीबी से मुकाबले के लिए पुख्ता रणनीति बनानी आसान होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक देश से टीबी को खत्म करने का संकल्प ले रखा है. इस संकल्प को पूरा करने के लिए सभी स्तर से प्रयास जरूरी हैं. उन्होंने कहा कि टीबी के इलाज में भी बदलाव किया गया है. बीडाकुलीन व डेलामैनिड आधारित रेजीमिन इलाज मुहैया कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि टीबी को हराने के लिए कदम आगे बढ़ाएं.

टीबी मरीज से घृणा न करें : टीबी एक से दूसरे में फैलने वाली संक्रामक बीमारी है. बीमारी से लड़े और बचें. मरीज से घृणा न करें. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि टीबी का पुख्ता इलाज उपलब्ध है. समय पर डॉक्टर की सलाह पर टीबी का पूरा इलाज करें.

एक नजर

  • पहली जनवरी 2021 से दिसंबर 2021 तक 456319 मरीज निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत किए गए. इसमें सरकारी क्षेत्र के अस्पतालों में 315523 व प्राइवेट में 140796 मरीज शामिल हैं. पहली जनवरी 2022 से मार्च 2022 तक 115469 मरीज निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत किए गए. इसमें सरकारी अस्पतालों में 85333 व प्राइवेट में 30136 मरीज इलाज करा रहे हैं.
  • निक्षय पोर्टल योजना के तहत 2021 में 290646 मरीजों के खाते में 60 करोड़ रुपये की धनराशि भेजी गई, जबकि पहली जनवरी 2022 से 31 मार्च 2022 तक 6803 मरीजों को कुल 68.97 लाख रुपये का भुगतान किया गया. प्रत्येक टीबी मरीज को हर महीने 500 रुपये दिए जाते हैं.
  • 18 साल से कम उम्र के 111668 टीबी मरीजों को अधिकारी व स्वंय सेवी संस्थाओं ने गोद लिया. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल आह्वान पर यह अभियान लगातार आगे बढ़ रहा है.
  • प्रदेश में टीबी की पुख्ता जांच के लिए 166 सीबी नॉट मशीनें हैं.
  • 22 नोडल डीआरटीबी सेंटर हैं. इसमें ड्रग रजिस्टेंट टीबी एमडीआर व एक्सडीआर के मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा रहा है.
  • 486 ट्रूनेट मशीनें टीबी की जांच में इस्तेमाल हो रही हैं.

    यह भी पढ़ें : पार्ट्स के अभाव में डिपो में खराब खड़ी एसी बसें, परिवहन निगम को करोड़ों का नुकसान

टीबी के लक्षण
बुखार रहना
थकावट
खांसी के साथ खून आना
लगातार वजन में गिरावट
सांस लेने में तकलीफ
छाती में दर्द
गर्दन में गांठ
रात में पसीना आना

यह भी पढ़ें : सितंबर माह में खास होगा '15 अगस्त आम', जानिये खूबी

लखनऊ : टीबी को मिटाने के लिए सबकी सहभागिता जरूरी है. सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच व इलाज मुफ्त है. प्राइवेट में भी बड़ी संख्या में डॉक्टर टीबी मरीजों का इलाज कर रहे हैं. सरकारी व प्राइवेट अस्पताल टीबी मरीजों का ब्यौरा निक्षय पोर्टल पर जरूर दर्ज करें. बृहस्पतिवार को यह निर्देश डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने दिए.


डिप्टी सीएम बृजेश पाठक (Deputy CM Brijesh Pathak) ने प्रदेश के सभी सीएमओ, सीएमएस को निर्देश दिए कि टीबी मरीजों का शत-प्रतिशत डाटा निक्षय पोर्टल पर दर्ज किया जाए. सीएमओ प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों संग बैठक करें. उन्हें भी प्रेरित करें. उन्होंने कहा कि जब सही आंकड़े होंगे तो टीबी से मुकाबले के लिए पुख्ता रणनीति बनानी आसान होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक देश से टीबी को खत्म करने का संकल्प ले रखा है. इस संकल्प को पूरा करने के लिए सभी स्तर से प्रयास जरूरी हैं. उन्होंने कहा कि टीबी के इलाज में भी बदलाव किया गया है. बीडाकुलीन व डेलामैनिड आधारित रेजीमिन इलाज मुहैया कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि टीबी को हराने के लिए कदम आगे बढ़ाएं.

टीबी मरीज से घृणा न करें : टीबी एक से दूसरे में फैलने वाली संक्रामक बीमारी है. बीमारी से लड़े और बचें. मरीज से घृणा न करें. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि टीबी का पुख्ता इलाज उपलब्ध है. समय पर डॉक्टर की सलाह पर टीबी का पूरा इलाज करें.

एक नजर

  • पहली जनवरी 2021 से दिसंबर 2021 तक 456319 मरीज निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत किए गए. इसमें सरकारी क्षेत्र के अस्पतालों में 315523 व प्राइवेट में 140796 मरीज शामिल हैं. पहली जनवरी 2022 से मार्च 2022 तक 115469 मरीज निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत किए गए. इसमें सरकारी अस्पतालों में 85333 व प्राइवेट में 30136 मरीज इलाज करा रहे हैं.
  • निक्षय पोर्टल योजना के तहत 2021 में 290646 मरीजों के खाते में 60 करोड़ रुपये की धनराशि भेजी गई, जबकि पहली जनवरी 2022 से 31 मार्च 2022 तक 6803 मरीजों को कुल 68.97 लाख रुपये का भुगतान किया गया. प्रत्येक टीबी मरीज को हर महीने 500 रुपये दिए जाते हैं.
  • 18 साल से कम उम्र के 111668 टीबी मरीजों को अधिकारी व स्वंय सेवी संस्थाओं ने गोद लिया. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल आह्वान पर यह अभियान लगातार आगे बढ़ रहा है.
  • प्रदेश में टीबी की पुख्ता जांच के लिए 166 सीबी नॉट मशीनें हैं.
  • 22 नोडल डीआरटीबी सेंटर हैं. इसमें ड्रग रजिस्टेंट टीबी एमडीआर व एक्सडीआर के मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा रहा है.
  • 486 ट्रूनेट मशीनें टीबी की जांच में इस्तेमाल हो रही हैं.

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टीबी के लक्षण
बुखार रहना
थकावट
खांसी के साथ खून आना
लगातार वजन में गिरावट
सांस लेने में तकलीफ
छाती में दर्द
गर्दन में गांठ
रात में पसीना आना

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