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ईपीसी मोड में सुधार के लिए कार्यकारी समिति का गठन किया जाये, सीएम ने दिये ये निर्देश

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Published : Aug 29, 2022, 9:08 PM IST

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने कालीदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर सोमवार को ईपीसी व्यवस्था में परिवर्तन, सुधार, सरलीकरण की एक उच्च स्तरीय बैठक की समीक्षा की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि ईपीसी मोड में सुधार करने की आवश्यकता है.

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लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने कालीदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर सोमवार को ईपीसी व्यवस्था में परिवर्तन, सुधार, सरलीकरण की एक उच्च स्तरीय बैठक की समीक्षा की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि ईपीसी मोड में सुधार करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि प्रमुख सचिव नियोजन की अध्यक्षता में एक कार्यकारी समिति का गठन किया जाए. इसमें वित्त विभाग, लोक निर्माण विभाग, गृह विभाग और प्रशासनिक विभाग के एसीएस, पीएस सदस्य होंगे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि ईपीसी मोड पर प्रदेश में अक्टूबर 2020 से अगस्त 2022 तक 45 परियोजनाएं प्रारम्भ हो चुकी हैं. 74 परियोजनाओं के डीपीआर बन गए हैं. 63 का ईएफसी हो चुका है और 53 पर प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति मिलनी है. उन्होंने परियोजनाओं की लेट लतीफी पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि बची हुई विकास परियोजनाओं में आ रही समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द निकाल कर तीव्र गति से कार्य को आगे बढ़ाएं. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जनहित की 48 परियोजनाएं प्रगति पर हैं. इनमें से 32 परियोजनाएं समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ रही हैं, जबकि 13 परियोजनाएं अपनी निर्धारित समयावधि से कुछ माह पीछे चल रही हैं. उन्होंने कहा कि जनहित की विकास परियोजनाएं समय से पूर्ण होंगी तो जनता के पैसे की बर्बादी नहीं होगी. साथ ही मुख्यमंत्री ने परियोजनाओं की सतत निगरानी करने का भी निर्देश दिया. मुख्यमंत्री ने बैठक में प्रदेश के विभिन्न जनपदों में चल रहीं अटल आवासीय विद्यालय, सैनिक स्कूल, राजकीय विश्वविद्यालय और मेडीकल कॉलेज जैसी परियोजनाओं को लेकर भी अधिकारियों को निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं प्रदेश के बच्चों और युवाओं को एक बेहतर भविष्य देने वाली हैं. इसलिए प्रदेश में जो भी नये विश्वविद्यालय या मेडिकल कॉलेज बनें उनकी वास्तुकला आकर्षक हो और उनमें भारतीय संस्कृति की झलक दिखे.


उन्होंने कहा कि पारदर्शी तरीके से डीपीआर बनाया जाए और उनकी समय सीमा भी निर्धारित की जाए. साथ ही जो भी संस्था डीपीआर तैयार कर रही हो वो टेंडर प्रक्रिया में भाग न ले इस पर विशेष ध्यान दें. मुख्यमंत्री ने कहा कि जनहित की परियोजनाओं के लिए सरकार के पास धन की कोई कमी नहीं है, लेकिन इस पर यह भी ध्यान दिया जाए कि कार्य समय पर प्रारम्भ होने के साथ ही निर्धारित समय पर पूरा हो. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी प्रोजेक्ट के लिए गलत कॉन्ट्रेक्टर का चुनाव नहीं होना चाहिए. मुख्यमंत्री ने प्रदेश में चल रही जनहित की विभिन्न परियोजनाओं में देरी करने वाले कम्पनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश देते हुए कहा कि ऐसी कंपनियों को हर हाल में ब्लैक लिस्ट कर देना चाहिए.

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अमेठी मेडिकल कॉलेज और पुलिस लाइन का कार्य प्रारम्भ न होने पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इन परियोजनाओं को शीघ्र अतिशीघ्र शुरू किया जाए. इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश में ईपीसी मोड की परियोजनाओं से जुड़े शेयर होल्डर्स की फॉरेंसिक ऑडिट कराने का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़े प्रोजेक्ट के डीपीआर के लिए छ माह का समय निर्धारित करें और प्रोजेक्ट पूरी होने की अवधि 18-24 माह रखें. उन्होंने कहा कि ऐसी ही व्यवस्था छोटे प्रोजेक्ट के लिए बनाएं और उनके कार्य पूर्ण होने की समय सीमा भी निर्धारित करें.

यह भी पढ़ें : बसपा सुप्रीमो मायावती ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से की मुलाकात

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने कालीदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर सोमवार को ईपीसी व्यवस्था में परिवर्तन, सुधार, सरलीकरण की एक उच्च स्तरीय बैठक की समीक्षा की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि ईपीसी मोड में सुधार करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि प्रमुख सचिव नियोजन की अध्यक्षता में एक कार्यकारी समिति का गठन किया जाए. इसमें वित्त विभाग, लोक निर्माण विभाग, गृह विभाग और प्रशासनिक विभाग के एसीएस, पीएस सदस्य होंगे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि ईपीसी मोड पर प्रदेश में अक्टूबर 2020 से अगस्त 2022 तक 45 परियोजनाएं प्रारम्भ हो चुकी हैं. 74 परियोजनाओं के डीपीआर बन गए हैं. 63 का ईएफसी हो चुका है और 53 पर प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति मिलनी है. उन्होंने परियोजनाओं की लेट लतीफी पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि बची हुई विकास परियोजनाओं में आ रही समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द निकाल कर तीव्र गति से कार्य को आगे बढ़ाएं. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जनहित की 48 परियोजनाएं प्रगति पर हैं. इनमें से 32 परियोजनाएं समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ रही हैं, जबकि 13 परियोजनाएं अपनी निर्धारित समयावधि से कुछ माह पीछे चल रही हैं. उन्होंने कहा कि जनहित की विकास परियोजनाएं समय से पूर्ण होंगी तो जनता के पैसे की बर्बादी नहीं होगी. साथ ही मुख्यमंत्री ने परियोजनाओं की सतत निगरानी करने का भी निर्देश दिया. मुख्यमंत्री ने बैठक में प्रदेश के विभिन्न जनपदों में चल रहीं अटल आवासीय विद्यालय, सैनिक स्कूल, राजकीय विश्वविद्यालय और मेडीकल कॉलेज जैसी परियोजनाओं को लेकर भी अधिकारियों को निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं प्रदेश के बच्चों और युवाओं को एक बेहतर भविष्य देने वाली हैं. इसलिए प्रदेश में जो भी नये विश्वविद्यालय या मेडिकल कॉलेज बनें उनकी वास्तुकला आकर्षक हो और उनमें भारतीय संस्कृति की झलक दिखे.


उन्होंने कहा कि पारदर्शी तरीके से डीपीआर बनाया जाए और उनकी समय सीमा भी निर्धारित की जाए. साथ ही जो भी संस्था डीपीआर तैयार कर रही हो वो टेंडर प्रक्रिया में भाग न ले इस पर विशेष ध्यान दें. मुख्यमंत्री ने कहा कि जनहित की परियोजनाओं के लिए सरकार के पास धन की कोई कमी नहीं है, लेकिन इस पर यह भी ध्यान दिया जाए कि कार्य समय पर प्रारम्भ होने के साथ ही निर्धारित समय पर पूरा हो. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी प्रोजेक्ट के लिए गलत कॉन्ट्रेक्टर का चुनाव नहीं होना चाहिए. मुख्यमंत्री ने प्रदेश में चल रही जनहित की विभिन्न परियोजनाओं में देरी करने वाले कम्पनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश देते हुए कहा कि ऐसी कंपनियों को हर हाल में ब्लैक लिस्ट कर देना चाहिए.

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अमेठी मेडिकल कॉलेज और पुलिस लाइन का कार्य प्रारम्भ न होने पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इन परियोजनाओं को शीघ्र अतिशीघ्र शुरू किया जाए. इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश में ईपीसी मोड की परियोजनाओं से जुड़े शेयर होल्डर्स की फॉरेंसिक ऑडिट कराने का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़े प्रोजेक्ट के डीपीआर के लिए छ माह का समय निर्धारित करें और प्रोजेक्ट पूरी होने की अवधि 18-24 माह रखें. उन्होंने कहा कि ऐसी ही व्यवस्था छोटे प्रोजेक्ट के लिए बनाएं और उनके कार्य पूर्ण होने की समय सीमा भी निर्धारित करें.

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