लखनऊ: लोहिया संस्थान (Dr. Ram Manohar Lohia Institute of Medical Sciences ) में एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंट) टीबी के मरीजों को इलाज मिलेगा. इनको ओपीडी और आईपीडी की सुविधा मिलेगी. अभी तक सिर्फ केजीएमयू में एमडीआर टीबी का इलाज मुमकिन था.
लोहिया संस्थान प्रशासन और उप्र स्टेट टास्क फोर्स के अफसरों की बैठक हुई. ऐसे में लोहिया संस्थान में एमडीआर टीबी का सेंटर खोलने का फैसला किया. अभी प्रदेश में एमडीआर टीबी के इलाज के 22 सेंटर संचालित हो रहे हैं. 23 वां सेंटर लोहिया संस्थान में स्थापित किया जाएगा. लखनऊ प्रदेश का पहला जिला होगा, जिसमें दो एमडीआर टीबी इलाज के सेंटर होंगे.
उप्र स्टेट टास्क फोर्स क्षय नियंत्रण के चैयरमेन डॉ. सूर्यकांत के मुताबिक सेंटर के संचालन के लिए संस्थान प्रशासन को 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. एमडीआर मरीजों के लिए भर्ती के लिए 20 बेड की व्यवस्था होगी. अधूरे टीबी का इलाज से मरीज एमडीआर की चपेट में आ जाता है. बीच में दवाएं छोड़ने से मरीज में टीबी की दवाएं बेअसर हो जाती हैं. जांच के बाद मरीज को एमडीआर टीबी का इलाज दिया जाता है. प्रदेश में हर साल तकरीबन 30 हजार एमडीआर टीबी के मरीज बढ़ रहे हैं.
टीबी बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है, जो हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे में फैलती है. यह आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होती है. सबसे आम फेफड़ों की टीबी ही है लेकिन यह ब्रेन, यूटरस, मुंह, लीवर, किडनी, गला, हड्डी आदि शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है. टीबी का बैक्टीरिया हवा में फैलता है. खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वाली बारीक बूंदों से भी यह इंफेक्शन फैलता है.