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सरकारी स्कूलों में जुलाई से बायोमेट्रिक उपस्थिति होगी अनिवार्य, शिक्षकों में नाराजगी

सरकारी स्कूलों में बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था जुलाई से लागू की जाएगी. माध्यमिक शिक्षा विभाग की तरफ से सभी सरकारी, माध्यमिक और वित्तविहीन विद्यालयों में इस व्यवस्था को लागू करने का फैसला लिया गया है.

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यूपी के सरकारी स्कूलों में जुलाई से बायोमेट्रिक उपस्थिति होगी अनिवार्य
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Published : May 24, 2022, 12:41 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था जुलाई से लागू की जाएगी. माध्यमिक शिक्षा विभाग की तरफ से सभी सरकारी, माध्यमिक और वित्तविहीन विद्यालयों में इस व्यवस्था को लागू करने का फैसला लिया गया है. सबसे पहले राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में इस व्यवस्था की शुरुआत होगी.

विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति की माॅनिटरिंग करने समेत इसे हाईटेक बनाने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग बायोमेट्रिक की व्यवस्था लागू करने जा रहा है. इसकी शुरुआत 2273 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में होगी. इसके बाद अशासकीय सहायता प्राप्त यानी एडेड और फिर अंत में वित्तविहीन माध्यमिक कालेजों में अमल कराया जाएगा. प्रदेश में अभी 33,734 माध्यमिक विद्यालय हैं जिनमें 1.27 करोड़ छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. इन्हें पढ़ाने के लिए 3.92 लाख शिक्षक कार्यरत हैं.

राज्य विश्वविद्यालयों में भी होगी तैयारी: उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में भी यह व्यवस्था लागू की जा रही है. इसके लिए विश्वविद्यालयों को 30 मई तक का समय दिया गया है. साथ ही शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन भुगतान इसी उपस्थिति के आधार पर करने के निर्देश हैं. इसी तर्ज पर माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भी कदम बढ़ाया है.

बायोमेट्रिक पर शिक्षकों को आपत्ति: सरकार भले ही प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में बायोमेट्रिक की बात कर रही हो, लेकिन शिक्षकों में इसको लेकर काफी नाराजगी है. माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि पढ़ाई के साथ साथ ही उन्हें कई राजकीय कार्यों के लिए लगाया जाता है. ऐसे में राजकीय कार्य करने के बावजूद भी उनके लिए विद्यालय में उपस्थिति दिखाना मुश्किल हो जाएगा.

शोध कार्य के दौरान कैसे दर्ज होगी उपस्थिति: राज्य विश्वविद्यालयों में भी अभी बायोमेट्रिक उपस्थिति को लेकर शिक्षकों के बीच काफी नाराजगी है. शिक्षकों की तरफ से लगातार इस को लेकर विरोध दर्ज कराया जा रहा है. विश्वविद्यालयों के शिक्षकों का कहना है कि शिक्षण कार्य के साथ-साथ व शोध कार्य भी करते हैं. ऐसे में बायोमेट्रिक उपस्थिति का कोई औचित्य नहीं रह जाता है.

इसे भी पढ़े-केजीएमयू में डॉक्टरों की लगेगी बायोमेट्रिक अटेंडेंस, मोतियाबिंद का नई तकनीक से होगा ऑपरेशन


स्कूलों में यह व्यवस्थाएं भी होंगी: प्रधानाचार्य वर्ष में कम से कम दो बार अभिभावकों के साथ वार्ता करेंगे. इसके अलावा राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में बायोमैट्रिक उपस्थिति के साथ वाई फाई की सुविधा तथा समस्त विद्यालयों की वेबसाइट व प्रत्येक विद्यार्थियों की ई-मेल आईडी बनाई जायेगी.


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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था जुलाई से लागू की जाएगी. माध्यमिक शिक्षा विभाग की तरफ से सभी सरकारी, माध्यमिक और वित्तविहीन विद्यालयों में इस व्यवस्था को लागू करने का फैसला लिया गया है. सबसे पहले राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में इस व्यवस्था की शुरुआत होगी.

विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति की माॅनिटरिंग करने समेत इसे हाईटेक बनाने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग बायोमेट्रिक की व्यवस्था लागू करने जा रहा है. इसकी शुरुआत 2273 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में होगी. इसके बाद अशासकीय सहायता प्राप्त यानी एडेड और फिर अंत में वित्तविहीन माध्यमिक कालेजों में अमल कराया जाएगा. प्रदेश में अभी 33,734 माध्यमिक विद्यालय हैं जिनमें 1.27 करोड़ छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. इन्हें पढ़ाने के लिए 3.92 लाख शिक्षक कार्यरत हैं.

राज्य विश्वविद्यालयों में भी होगी तैयारी: उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में भी यह व्यवस्था लागू की जा रही है. इसके लिए विश्वविद्यालयों को 30 मई तक का समय दिया गया है. साथ ही शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन भुगतान इसी उपस्थिति के आधार पर करने के निर्देश हैं. इसी तर्ज पर माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भी कदम बढ़ाया है.

बायोमेट्रिक पर शिक्षकों को आपत्ति: सरकार भले ही प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में बायोमेट्रिक की बात कर रही हो, लेकिन शिक्षकों में इसको लेकर काफी नाराजगी है. माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि पढ़ाई के साथ साथ ही उन्हें कई राजकीय कार्यों के लिए लगाया जाता है. ऐसे में राजकीय कार्य करने के बावजूद भी उनके लिए विद्यालय में उपस्थिति दिखाना मुश्किल हो जाएगा.

शोध कार्य के दौरान कैसे दर्ज होगी उपस्थिति: राज्य विश्वविद्यालयों में भी अभी बायोमेट्रिक उपस्थिति को लेकर शिक्षकों के बीच काफी नाराजगी है. शिक्षकों की तरफ से लगातार इस को लेकर विरोध दर्ज कराया जा रहा है. विश्वविद्यालयों के शिक्षकों का कहना है कि शिक्षण कार्य के साथ-साथ व शोध कार्य भी करते हैं. ऐसे में बायोमेट्रिक उपस्थिति का कोई औचित्य नहीं रह जाता है.

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स्कूलों में यह व्यवस्थाएं भी होंगी: प्रधानाचार्य वर्ष में कम से कम दो बार अभिभावकों के साथ वार्ता करेंगे. इसके अलावा राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में बायोमैट्रिक उपस्थिति के साथ वाई फाई की सुविधा तथा समस्त विद्यालयों की वेबसाइट व प्रत्येक विद्यार्थियों की ई-मेल आईडी बनाई जायेगी.


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