कानपुर: प्रदेश में हथियारों का लाइसेंस चाहने वालों को तमाम कोशिशों के बावजूद एड़ियां घिसते-घिसते भी लाइसेंस नहीं मिल पाता है. वहीं दूसरी तरफ कानपुर डीएम ऑफिस में फर्जी लाइसेंस बनाये जाने का खुलासा हुआ है. दरअसल शस्त्र विभाग के क्लर्कों की मिलीभगत से फर्जी असलहों के लाइसेंस जारी किए जा रहे थे.
कर्मचारियों की मिलीभगत से बने फर्जी लाइसेंस-
- खुद जिला प्रशासन का दावा है की यहां साल भर के अंदर ही 73 फर्जी लाइसेंस बना दिए गए.
- ये फर्जी लाइसेंस जिले के शस्त्र विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से बनाए गए हैं.
- अभी तक मुख्य भूमिका शस्त्र विभाग के क्लर्क विनीत तिवारी की सामने आई है.
- क्लर्क विनीत ने एक हफ्ते पहले जहर खाकर सुसाइड का प्रयास किया था, जिसका अभी तक इलाज चल रहा है.
- डीएम का कहना है विनीत की अलमारी को सील किया गया है.
- बयान के बाद इस मामले में जो भी अधिकारी दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी.
- इसकी जांच कानपुर सीडीओ को सौंपी गई है.
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नवीनीकरण के नाम पर फर्जी ढंग से बना दिए गए फर्जी लाइसेंस....
- लाइसेंस लेने वालो को सालों चक्कर लगाना पड़ता है. हजारों लोग तो ऐसे भी हैं, जिनकी फाइलें कई कई सालों से दबी पड़ी हैं.
- शस्त्र विभाग में एक साल के अंदर-अंदर 73 ऐसे फर्जी लाइसेंस जारी कर दिए गए, जिनका कोई रिकार्ड ही नहीं बनाया गया.
- ये लाइसेंस पुराने लाइसेंसों के नवीनीकरण के नाम पर फर्जी ढंग से बना दिए गए, जिसमें शस्त्र विभाग के कर्मचारियों की भूमिका रही है.
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