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कानपुर: DM ऑफिस में फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवाने का खुला पिटारा, साल भर में बने 73 लाइसेंस

उत्तर प्रदेश के कानपुर में फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवाने का खुलासा हुआ है. जहां विभाग के क्लर्कों की मिलीभगत से एक साल में 73 फर्जी लाइसेंस बना दिए गए.

डीएम आफिस में फर्जी लाइसेंस बनवाने का खुला पिटारा
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Published : Aug 21, 2019, 9:25 PM IST

कानपुर: प्रदेश में हथियारों का लाइसेंस चाहने वालों को तमाम कोशिशों के बावजूद एड़ियां घिसते-घिसते भी लाइसेंस नहीं मिल पाता है. वहीं दूसरी तरफ कानपुर डीएम ऑफिस में फर्जी लाइसेंस बनाये जाने का खुलासा हुआ है. दरअसल शस्त्र विभाग के क्लर्कों की मिलीभगत से फर्जी असलहों के लाइसेंस जारी किए जा रहे थे.

डीएम ऑफिस में फर्जी लाइसेंस बनवाने का खुला पिटारा

कर्मचारियों की मिलीभगत से बने फर्जी लाइसेंस-

  • खुद जिला प्रशासन का दावा है की यहां साल भर के अंदर ही 73 फर्जी लाइसेंस बना दिए गए.
  • ये फर्जी लाइसेंस जिले के शस्त्र विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से बनाए गए हैं.
  • अभी तक मुख्य भूमिका शस्त्र विभाग के क्लर्क विनीत तिवारी की सामने आई है.
  • क्लर्क विनीत ने एक हफ्ते पहले जहर खाकर सुसाइड का प्रयास किया था, जिसका अभी तक इलाज चल रहा है.
  • डीएम का कहना है विनीत की अलमारी को सील किया गया है.
  • बयान के बाद इस मामले में जो भी अधिकारी दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी.
  • इसकी जांच कानपुर सीडीओ को सौंपी गई है.

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नवीनीकरण के नाम पर फर्जी ढंग से बना दिए गए फर्जी लाइसेंस....

  • लाइसेंस लेने वालो को सालों चक्कर लगाना पड़ता है. हजारों लोग तो ऐसे भी हैं, जिनकी फाइलें कई कई सालों से दबी पड़ी हैं.
  • शस्त्र विभाग में एक साल के अंदर-अंदर 73 ऐसे फर्जी लाइसेंस जारी कर दिए गए, जिनका कोई रिकार्ड ही नहीं बनाया गया.
  • ये लाइसेंस पुराने लाइसेंसों के नवीनीकरण के नाम पर फर्जी ढंग से बना दिए गए, जिसमें शस्त्र विभाग के कर्मचारियों की भूमिका रही है.

इसे भी पढ़े:-2 पक्षों में जमकर हुई मारपीट, 1 की मौत

कानपुर: प्रदेश में हथियारों का लाइसेंस चाहने वालों को तमाम कोशिशों के बावजूद एड़ियां घिसते-घिसते भी लाइसेंस नहीं मिल पाता है. वहीं दूसरी तरफ कानपुर डीएम ऑफिस में फर्जी लाइसेंस बनाये जाने का खुलासा हुआ है. दरअसल शस्त्र विभाग के क्लर्कों की मिलीभगत से फर्जी असलहों के लाइसेंस जारी किए जा रहे थे.

डीएम ऑफिस में फर्जी लाइसेंस बनवाने का खुला पिटारा

कर्मचारियों की मिलीभगत से बने फर्जी लाइसेंस-

  • खुद जिला प्रशासन का दावा है की यहां साल भर के अंदर ही 73 फर्जी लाइसेंस बना दिए गए.
  • ये फर्जी लाइसेंस जिले के शस्त्र विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से बनाए गए हैं.
  • अभी तक मुख्य भूमिका शस्त्र विभाग के क्लर्क विनीत तिवारी की सामने आई है.
  • क्लर्क विनीत ने एक हफ्ते पहले जहर खाकर सुसाइड का प्रयास किया था, जिसका अभी तक इलाज चल रहा है.
  • डीएम का कहना है विनीत की अलमारी को सील किया गया है.
  • बयान के बाद इस मामले में जो भी अधिकारी दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी.
  • इसकी जांच कानपुर सीडीओ को सौंपी गई है.

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नवीनीकरण के नाम पर फर्जी ढंग से बना दिए गए फर्जी लाइसेंस....

  • लाइसेंस लेने वालो को सालों चक्कर लगाना पड़ता है. हजारों लोग तो ऐसे भी हैं, जिनकी फाइलें कई कई सालों से दबी पड़ी हैं.
  • शस्त्र विभाग में एक साल के अंदर-अंदर 73 ऐसे फर्जी लाइसेंस जारी कर दिए गए, जिनका कोई रिकार्ड ही नहीं बनाया गया.
  • ये लाइसेंस पुराने लाइसेंसों के नवीनीकरण के नाम पर फर्जी ढंग से बना दिए गए, जिसमें शस्त्र विभाग के कर्मचारियों की भूमिका रही है.

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Intro:कानपुर डीएम आफिस में फर्जी लाइसेंस बनवाने का खुला पिटारा ,एक साल में बना दिए गए तिहत्तर फर्जी लाइसेंस ,डीएम ने बैठाई जांच ,शस्त्र विभाग के क्लर्को की मिलीभगत से बनाये गए असलहो के लाइसेंस 

उत्तर प्रदेश में जहा एक तरफ हथियारों का लाइसेंस चाहने वालो को सालो से एड़िया घिसते घिसते भी लाइसेंस नहीं मिल पाता है वही दूसरी तरफ कानपुर डीएम आफिस में फर्जी लाइसेंस बनाये जाने के बड़े मामले का खुलाशा  हुआ है | खुद जिला प्रशासन का दावा है की यहाँ एक साल के अंदर ही तिहत्तर फर्जी लाइसेंस बना दिए गए है | ये लाइसेंस जिले के शस्त्र विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत से बनाये गए है जिसमे अभी तक मुख्य भूमिका शस्त्र विभाग के क्लर्क विनीत तिवारी की सामने आई है |  क्लर्क विनीत ने एक हफ्ते पहले जहर खाकर सुसाइड का प्रयाश किया था उसका अभी तक इलाज चल रहा है | डीएम का कहना है विनीत की अलमारी को सील किया गया है उसके बयान के बाद इस मामले में जो भी अधिकारी दोषी पाया जाएगा उस पर कार्यवाही की जायेगी |  इसकी जांच कानपुर सीडीओ को सौपी गई है इससे यह आशंका भी है कही किसी बड़े अपराधी गैंग ने तो अपने लिए ये लाइसेंस जारी न करवाए हो | 





Body:कानपुर डीएम आफिस का ये असलहा विभाग है जिसमे वैसे तो लाइसेंस लेने वालो को सालो चक्कर लगाना पड़ता है हजारो लोग तो ऐसे भी है जिनकी फाइलें कई कई सालो से दबी पड़ी है लेकिन इसी शस्त्र विभाग में एक साल के अंदर अंदर तिहत्तर ऐसे फर्जी लाइसेंस जारी कर दिए गए जिनका कोई रिकार्ड ही नहीं बनाया गया | इस मामले की जांच करने वाले कानपुर सीडीओ अक्षय त्रिपाठी का कहना है की ११ जुलाई २०१८ से लेकर इस साल जुलाई तक कानपूर में ७३ ऐसे लाइसेंस जारी हुए है जिनका कोई मूल रिकार्ड नहीं  पाया गया है | ये लाइसेंस पुराने लाइसेंसों के नवीनी करण के नाम पर फर्जी ढंग से बना दिए गए जिसमे शस्त्र विभाग के कर्मचारीयो की भूमिका रही है | इसमें मुख्य आरोपी क्लर्क विनीत पाया जा रहा है जिसने मामला खुलने पर पूछताछ से पहले ही जहर खाकर आत्महत्या की कोशिस की थी जो अभी तक हॉस्पिटल में भर्ती है उनके बयानों के बाद ही पूरी सत्य सामने आएगा 
 

कानपुर में दो हजार अठ्ठारह से उन्नीस तक ४३१ लाइसेंस जारी किये थे इसमें १८० लाइसेंसों का नवीनीकरण कराया गया | लाइसेंसों का फर्जीवाड़ा करने वालो ने इसी प्रक्रिया का फायदा उठाया और शस्त्र विभाग के बाबुओ से सेटिंग करके तिहत्तर फर्जी लाइसेंस जारी करवा दिए | जाहिर इसके एवज में लाखो करोडो का भ्र्स्टाचार  किया गया  होगा | जिला प्रशासन का कहना है की अभी तक इसमें मुख्य भूमिका विनीत तिवारी की ही पाई जा रही है  डीएम विजय विशवास पंत का कहना है की जांच के बाद इसमें जो भी अधिकारी दोषी होगा उस पर निष्पक्षता से कार्यवाही की जायेगी उन लाइसेंसों को भी निरस्त कराया जाएगा और एफआईआर भी कराई जायेगी |   







Conclusion:कानपुर में फर्जी लाइसेंसों के इतने बड़े कारनामे से अधिकारिओ की नीद उड़ गई है लेकिन अधिकारियों का दावा भी अभी शक के घेरे में है की इसमें सिर्फ एक लिपिक ही शामिल पाया जा रहा है जबकि किसी में भी लाइसेंस को बनाने में पुलिस से लेकर कई विभागों कीजाच रिपोर्टे लगाई जाती है उनको चेक भी बड़े अधिकारी करते है तो क्या उन अधिकारिओ पर भी शिकंजा कस पायेगा जिन्होंने इस पर आखे बंद रक्खी | 

बाइट - अक्षय त्रिपाठी 

                  मुख्य विकास अधिकारी
बाइट - विजय विशवास पंत 

                  जिलाधिकारी_कानपुर नगर 

रजनीश दीक्षित
कानपुर ।
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