गोरखपुर: प्रदेश में गैंगस्टर एक्ट के नये प्रावधान अपराधियों के लिए परेशानी खड़ी करने वाले हैं. इस एक्ट में यह प्रावधान किया गया है कि सिर्फ एक मुकदमे के आधार पर भी अपराधी को गैंगस्टर की नियमावली के तहत दोषी मानते हुए निर्णय किया जा सकेगा. यही नहीं उसके द्वारा अर्जित की गई चल और अचल संपत्तियां भी जब तक कर ली जाएंगी. योगी सरकार में हाई कोर्ट के निर्देश पर गैंगस्टर नियमावली-2021 में इसका प्रावधान किया गया है.
पहले गैंगस्टर एक्ट के तहत संपत्ति जब्त करना वैकल्पिक था और अलग-अलग मामलों के अनुसार निर्णय लिया जा सकता था. प्रदेश में 27 दिसंबर 2021 को नियमावली लागू हुई. नए प्रावधान के अनुसार सामूहिक दुष्कर्म, हत्या जैसे अपराध में गैंगस्टर तुरंत लगाया जा सकेगा. यूपी में गैंगस्टर एक्ट वर्ष 1986 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के कार्यकाल में तैयार किया गया था.
गैंगस्टर नियमावली 2021 को लेकर गोरखपुर के वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी बीडी मिश्रा ने कहा कि इससे अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण होने की उम्मीद है. जिला, मंडल स्तर पर इसकी समीक्षा की जा सकेगी. राज्य स्तर पर अपर मुख्य सचिव गृह की अध्यक्षता में गैंगस्टर के मामलों की समीक्षा होगी. उन्होंने कहा कि धारा 376 (सामूहिक दुष्कर्म), धारा 302 यानी हत्या, धारा 395- लूट, धारा 396- डकैती और धारा 397- हत्या कर लूट जैसे अपराधों में तुरंत गैंगस्टर लगाया जा सकेगा.
बीडी मिश्रा ने कहा कि पुरानी व्यवस्था में गंभीर धारा होने पर ही गैंगस्टर की कार्रवाई में एक से अधिक मुकदमों का होना जरूरी था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. गंभीर धाराओं में किसी नाबालिक की संलिप्तता होने पर जिला अधिकारी की अनुमति लेकर ही गैंगस्टर की कार्रवाई की जा सकेगी. पुरानी व्यवस्था में नाबालिग इस कार्रवाई से बच सकता था, लेकिन इस नियमावली में अब वह भी छूट के दायरे से बाहर है.
उन्होंने कहा कि गैंगस्टर के मामले में विवेचक को विवेचना के दौरान या आरोप पत्र दाखिल करते समय संपत्ति जब्ती की रिपोर्ट देनी होगी. ऐसा न होने पर जिलाधिकारी अनिवार्य रूप से एसएसपी से इसका कारण पूछ सकेंगे. संपत्ति के वैध या अवैध होने की जांच राजपत्रित अधिकारी से भी कराई जा सकती है. नई नियमावली अपराधियों के लिए बड़ी चेतावनी है.
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उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के सदस्य व वरिष्ठ अधिवक्ता मधुसूदन त्रिपाठी ने इस नई नियमावली पर सवाल खड़ा किया. उन्होंने कहा है कि सिर्फ एक मुकदमे के आधार पर गैंगस्टर जैसी कार्रवाई तय कर देना और संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई को आगे बढ़ाना अधिकारों के दुरुपयोग को बढ़ावा भी दे सकता है, जो उचित नहीं है.
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