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माता तरकुलहा देवी मंदिर में पुजारियों के लिए ड्रेस कोड लागू - गोरखपुर न्यूज़

तरकुलहा देवी मंदिर में बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए एसपी नार्थ मनोज अवस्थी ने आदेश दिया है कि मंदिर परिसर में पूजा कराने वाले पुजारियों के लिए ड्रेस कोड की व्यवस्था की जाए, ताकि सभी लोग उनको आसानी से पहचान सकें.

tarkulha devi temple gorakhpur
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Published : Jul 27, 2021, 9:10 AM IST

Updated : Jul 27, 2021, 9:22 AM IST

गोरखपुर: जिले के चौरीचौरा क्षेत्र में स्थित तरकुलहा देवी का मंदिर भक्तों के लिए आस्था का मुख्य केंद्र है. इस मंदिर की चर्चा जिले तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे पूर्वांचल में इसकी ख्याति फैली हुई है. एसपी नार्थ मनोज अवस्थी यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं. वो चाहते हैं कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालु बिना किसी व्यवधान के पूजा पाठ कर सकें.

जानकारी देते सीओ चौरीचौरा जगत राम कनौजिया

तरकुलहा में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखकर एसपी नार्थ मनोज अवस्थी ने मंदिर में पुजारियों के लिए ड्रेस कोड लागू करने का आदेश दिया. उनका मानना है कि इससे मंदिर में चीजें ज्यादा व्यवस्थित रहेंगी. आने वाले भक्तों को अपने आप पता चल जाएगा कि कौन पुजारी हैं. वैसे यहां सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं, जो 24 घंटे चलते हैं. उन्होंने आवश्यकता के अनुसार कैमरों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए. साथ ही सीसीटीवी का डिस्प्ले ठीक कराने के लिए कहा.

इसके अलावा उन्होंने गोरखपुर देवरिया मार्ग से तरकुलहा मंदिर परिसर जाने वाले लगभग दो किलोमीटर रास्ते के बीच खुली मीट बेचने की दुकानों को बंद करने के आदेश दिए. सीओ चौरी चौरा जगत राम कनौजिया ने बताया कि तरकुलहा में एक अहम बैठक की गई, ताकि श्रद्धालुओं को बेहतर सुरक्षा दी जा सके. इसके लिए मंदिर प्रबंधन व व्यापारियों से बातचीत की गयी. इसके बाद तरकुलहा जाने वाले मुख्य मार्ग में मीट बेचने पर पूर्ण पाबंदी लगा दी गई.

ये भी पढ़ें- Sawan 2021: भगवान शिव को प्रसन्न करना है तो जरूर चढ़ाएं बेलपत्र, इन बातों का रखें ध्यान


तरकुलहा देवी मंदिर का महत्व स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा हुआ है. ऐसी मान्यता है कि क्रांतिकारी बाबू बंधू सिंह को माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त था. ऐसा कहा जाता है कि वह यहां माता के समक्ष अंग्रेजों की बलि देकर उन्हें प्रसन्न किया करते थे. तरकुलहा देवी मंदिर का इतिहास चौरीचौरा तहसील क्षेत्र के विकास खंड सरदारनगर अंतर्गत स्थित डुमरी रियासत के बाबू शिव प्रसाद सिंह के बेटे और 1857 के अमर शहीद बाबू बंधू सिंह से जुड़ा है. कहा जाता कि बाबू बंधू सिंह तरकुलहा के पास स्थित घने जंगलों में रहकर मां की पूजा-अर्चना करते थे तथा देश को अंग्रेजों से छुटकारा दिलाने के लिए उनकी बलि मां के चरणों में देते थे.

गोरखपुर: जिले के चौरीचौरा क्षेत्र में स्थित तरकुलहा देवी का मंदिर भक्तों के लिए आस्था का मुख्य केंद्र है. इस मंदिर की चर्चा जिले तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे पूर्वांचल में इसकी ख्याति फैली हुई है. एसपी नार्थ मनोज अवस्थी यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं. वो चाहते हैं कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालु बिना किसी व्यवधान के पूजा पाठ कर सकें.

जानकारी देते सीओ चौरीचौरा जगत राम कनौजिया

तरकुलहा में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखकर एसपी नार्थ मनोज अवस्थी ने मंदिर में पुजारियों के लिए ड्रेस कोड लागू करने का आदेश दिया. उनका मानना है कि इससे मंदिर में चीजें ज्यादा व्यवस्थित रहेंगी. आने वाले भक्तों को अपने आप पता चल जाएगा कि कौन पुजारी हैं. वैसे यहां सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं, जो 24 घंटे चलते हैं. उन्होंने आवश्यकता के अनुसार कैमरों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए. साथ ही सीसीटीवी का डिस्प्ले ठीक कराने के लिए कहा.

इसके अलावा उन्होंने गोरखपुर देवरिया मार्ग से तरकुलहा मंदिर परिसर जाने वाले लगभग दो किलोमीटर रास्ते के बीच खुली मीट बेचने की दुकानों को बंद करने के आदेश दिए. सीओ चौरी चौरा जगत राम कनौजिया ने बताया कि तरकुलहा में एक अहम बैठक की गई, ताकि श्रद्धालुओं को बेहतर सुरक्षा दी जा सके. इसके लिए मंदिर प्रबंधन व व्यापारियों से बातचीत की गयी. इसके बाद तरकुलहा जाने वाले मुख्य मार्ग में मीट बेचने पर पूर्ण पाबंदी लगा दी गई.

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तरकुलहा देवी मंदिर का महत्व स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा हुआ है. ऐसी मान्यता है कि क्रांतिकारी बाबू बंधू सिंह को माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त था. ऐसा कहा जाता है कि वह यहां माता के समक्ष अंग्रेजों की बलि देकर उन्हें प्रसन्न किया करते थे. तरकुलहा देवी मंदिर का इतिहास चौरीचौरा तहसील क्षेत्र के विकास खंड सरदारनगर अंतर्गत स्थित डुमरी रियासत के बाबू शिव प्रसाद सिंह के बेटे और 1857 के अमर शहीद बाबू बंधू सिंह से जुड़ा है. कहा जाता कि बाबू बंधू सिंह तरकुलहा के पास स्थित घने जंगलों में रहकर मां की पूजा-अर्चना करते थे तथा देश को अंग्रेजों से छुटकारा दिलाने के लिए उनकी बलि मां के चरणों में देते थे.

Last Updated : Jul 27, 2021, 9:22 AM IST
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