गोरखपुर: नवनिर्मित गोरखपुर एम्स में देहदान की प्रक्रिया की शुरू हो गई है. यहां एमबीबीएस प्रथम वर्ष के 50 विद्यार्थियों की पढ़ाई भी शुरू हो गई है. विद्यार्थियों को शोध की प्रक्रिया में आगे बढ़ने के लिए मृत शरीर की आवश्यकता होती है जिसको उपलब्ध कराने के लिए एम्स प्रशासन ने देहदान की प्रक्रिया को शुरू किया तो पूरे उत्तर प्रदेश में इस अभियान पर काम कर रही कानपुर की दधीचि नामक संस्था ने अपना कदम आगे बढ़ाया.
3 हजार लोग करा चुके हैं पंजीकरण
कई लोग दधीचि संस्था के नेतृत्व में देहदान करने एम्स परिसर पहुंचे थे. संस्था की अगुवाई में प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों को अब तक 212 डेड बॉडी दान की जा चुकी है. करीब 3 हजार लोग इसके माध्यम से अभी पंजीकृत भी हैं. यह संस्था पूर्व राज्यपाल आचार्य विष्णुकांत शास्त्री के स्नेह से आज अपना कार्य कर रही है. जिस पर एम्स जैसी संस्थाएं भी भरोसा करती हैं. यही वजह है कि लोग बिना हिचक एम्स के इस पहले आयोजन में ही शरीर दान करने के लिए प्रेरित हो गए.
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दधीचि संस्था के अध्यक्ष मनोज सेंगर ने कहा कि उनकी कोशिश होगी कि यह अभियान गोरखपुर क्षेत्र में तेजी के साथ फैले और लोग मृत शरीर को दान करने के लिए आगे आये. दूसरे शहरों से मृत शरीर को दान कराना कभी-कभी कठिन हो जाता है. एम्स के डिप्टी डायरेक्टर अश्वनी माहौर ने इसे मेडिकल साइंस की जरूरतों को पूरा करने के लिए बेहद ही जरूरी बताया. शरीर दान करने वाले बृजेश मणि मिश्र ने कबीर की पंक्तियों से अपनी इस खुशी का इजहार किया.
कौन कर सकता है देहदान
18 वर्ष से ऊपर की आयु का कोई भी व्यक्ति देह दान कर सकता है. इसे कानूनी मान्यता भी प्राप्त है और राज्य एवं केंद्र सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त मेडिकल के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाएं चिकित्सा एवं शिक्षा अनुसंधान के लिए इसे प्राप्त कर सकती है. लावारिस मृत शरीर ऐसी संस्थाएं स्वीकार करती हैं इसके लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है.
मृत्यु उपरांत देहदान करने वाले के परिजन उक्त संस्थान से संपर्क करते हैं. देह को ले जाने की व्यवस्था संस्थान स्वयं करता है. गोरखपुर एम्स में देहदान करने की इच्छुक लोग मोबाइल नंबर 8923244223 और 8958285555 पर संपर्क कर सकते हैं.