प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वामी सच्चिदानंद हर साक्षी और अन्य आरोपियों को बड़ी राहत दी. अदालत ने महिला का अपहरण कर 9 दिन साथियों सहित दुराचार के आरोप से मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. साथ ही आरोप मुक्त करने के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी.
यह आदेश न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने दिया. याचिका पर राज्य सरकार की तरफ से अपर शासकीय अधिवक्ता अभिषेक शुक्ल व विपक्षी साक्षी महाराज व अन्य की तरफ से अधिवक्ता विपिन कुमार ने बहस की. कोतवाली नगर, एटा में FIR दर्ज कराई गई थी. एक महिला ने साक्षी महाराज और साथियों पर गार्ड सहित क्लीनिक से उसका अपहरण कर गैंगरेप का आरोप लगाया. महिला ने कहा कि उदयपुर आश्रम में उस पर हमला किया गया.
लगातार 9 दिन रेप के बाद इकरार नामे पर हस्ताक्षर कराए गए. पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की. साक्षी महाराज और अन्य ने आरोप मुक्त करने की कोर्ट में अर्जी दी. कहा कि झूठा फंसाया गया है. पीड़ित ने भी हलफनामा दाखिल कर अपने कोर्ट में दिए गए बयान को सही नहीं माना. फिरोजाबाद और टुंडला के क्षेत्राधिकारी ने विवेचना की और आरोप सही नहीं पाए गए.
एटा की विशेष अदालत ने सभी को आरोप मुक्त घोषित कर दिया. 26 नवंबर, 2001 को पारित इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. सरकारी वकील का कहना था कि पीड़ित का हलफनामा, उसके बयान का विरोधाभासी है. संभव है दबाव में हलफनामा दिया गया हो. अधीनस्थ अदालत ने साक्ष्यों पर सही ढंग से विचार नहीं किया. हलफनामे पर भरोसा कर आरोप मुक्त कर दिया है.
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कोर्ट ने कहा कि दुराचार के आरोप पर मेडिकल जांच का साक्ष्य नहीं है. इनकी क्लिनिक से अपहरण किया गया बताया गया. उस डाक्टर नत्थू सिंह बघेल ने ऐसी वारदात से इंकार किया है. किसी चश्मदीद गवाह ने साक्षी महाराज का नाम नहीं लिया, जबकि आरोप साक्षी पर अपने साथियों के साथ अपहरण और सामूहिक दुराचार करने का है. सीओ की जांच में आरोप सही नहीं पाये गये. कोर्ट ने हस्तक्षेप से इंकार करते हुए पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी.
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