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इस गांव के ग्रामीणों ने चुनाव का किया बहिष्कार, गांव में राजनेताओं को प्रवेश न करने चेतावनी

सहारनपुर के एक गांव में ग्रामीणों ने बैनर लगाकर राजनेताओं को गांव में प्रवेश न करने की चेतावनी दी है. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय राजनेता आते हैं और चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं. जिसेक कारण उन्होंने इस बार लोक सभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.

विरोध करते ग्रामीण
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Published : Mar 30, 2019, 12:59 PM IST

सहारनपुर: विधानसभा क्षेत्र बेहट इलाके के डुडुपुर गांव के ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का एलान किया है. इसके लिए ग्रामीणों ने बाकायदा गांव के बाहर लोकतंत्र का बहिष्कार का बैनर लगाकर नेताओं और अधिकारियों को गांव में प्रवेश नहीं करने पर प्रतिबंध लगाया है.

बैनर लगाकर राजनेताओं को दी चेतावनी.


एक ओर लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने को लेकर जिला प्रशासन मतदाता जागरूक अभियान चला रहा है. वहीं दूसरी ओर डुडुपुर गांव के ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर जिला प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी है. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में विकास कार्य तो दूर श्मशान घाट का भी निर्माण नहीं हुआ है, जिसके चलते गांवों में मृतकों के शव कई दिनों तक घरों में ही पड़े रहते है.


ग्रामीणों के अनुसार उनके गांव के चारों ओर बरसाती नदी है. जिसके कारण पूरा गांव मुलभूत सुविधाओं से वंचित है. चुनाव से समय सभी पार्टियों के नेता वोट मांगने तो आते है लेकिन चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं. एक या दो बरस से नहीं बल्कि बरसों से सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों की बाट जोह रहा है.


ग्रामीणों का कहना है कि गांव का संपर्क मार्ग इतना खराब है कि न तो यहां के बच्चे स्कूल जा पाते हैं और न ही समय पर चिकित्सा सुविधाएं मिल पाती हैं. जिसे लेकर ग्रामीणों में राजनेताओं के प्रति इतना रोष है कि उन्होंने मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. अपनी बदहाली दुर्दुशा पर रो रहे इस गावं का दर्द अब कुछ इस तरह छलका की इस गावं के लोगों ने चुनाव बहिष्कार करने का निर्णय ही नहीं लिया बल्कि इस गावं में कोई नेता ना आए है ये भी लिख डाला.

सहारनपुर: विधानसभा क्षेत्र बेहट इलाके के डुडुपुर गांव के ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का एलान किया है. इसके लिए ग्रामीणों ने बाकायदा गांव के बाहर लोकतंत्र का बहिष्कार का बैनर लगाकर नेताओं और अधिकारियों को गांव में प्रवेश नहीं करने पर प्रतिबंध लगाया है.

बैनर लगाकर राजनेताओं को दी चेतावनी.


एक ओर लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने को लेकर जिला प्रशासन मतदाता जागरूक अभियान चला रहा है. वहीं दूसरी ओर डुडुपुर गांव के ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर जिला प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी है. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में विकास कार्य तो दूर श्मशान घाट का भी निर्माण नहीं हुआ है, जिसके चलते गांवों में मृतकों के शव कई दिनों तक घरों में ही पड़े रहते है.


ग्रामीणों के अनुसार उनके गांव के चारों ओर बरसाती नदी है. जिसके कारण पूरा गांव मुलभूत सुविधाओं से वंचित है. चुनाव से समय सभी पार्टियों के नेता वोट मांगने तो आते है लेकिन चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं. एक या दो बरस से नहीं बल्कि बरसों से सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों की बाट जोह रहा है.


ग्रामीणों का कहना है कि गांव का संपर्क मार्ग इतना खराब है कि न तो यहां के बच्चे स्कूल जा पाते हैं और न ही समय पर चिकित्सा सुविधाएं मिल पाती हैं. जिसे लेकर ग्रामीणों में राजनेताओं के प्रति इतना रोष है कि उन्होंने मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. अपनी बदहाली दुर्दुशा पर रो रहे इस गावं का दर्द अब कुछ इस तरह छलका की इस गावं के लोगों ने चुनाव बहिष्कार करने का निर्णय ही नहीं लिया बल्कि इस गावं में कोई नेता ना आए है ये भी लिख डाला.

Intro:सहारनपुर : एक ओर जहां लोकतंत्र का महापर्व यानि लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने को लेकर जिला प्रशासन मतदाता जागरूक अभियान चलाए हुए है जिससे मतदान प्रतिशत में इस बार भी जिले को नंबर 1 पर लाया जा सके। वहीं सहारनपुर का एक गांव ऐसा भी है जहां के लोगों ने न सिर्फ लोकसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार कियाया है बल्कि जिला प्रशासन की भी मुश्किले बढ़ा दी है। ग्रामीणों ने पंचायत कर चुनाव बहिष्कार करने के एलान किया है। इसके लिए ग्रामीणों ने बाकायदा गांव के बाहर लोकतंत्र का बहिष्कार का बैनर लगाकर नेताओं और अधिकारियों के ग़ांव में नही प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाया है। ग्रामीणों का कहना है उनके ग़ांव में विकास कार्यो तो दूर श्मशान घाट का भी निर्माण नही हुआ है जिसके चलते गांवो में मृतकों के शव कई कई दिन तक घरो में ही पड़े रहते है।


Body:VO 1 - आपको बता दें कि जनपद सहारनपुर की विधानसभा क्षेत्र बेहट इलाके के ग़ांव डुडुपुर के ग्रामीणों ने पंचायत कर लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किया है। ग्रामीणों का आरोप उनके गावं के चारो और बरसाती नदी है। पूरा ग़ांव मुलभुत सुख सुविधाओं से वंचित है। सभी पार्टियों के नेता चुनाव के दौरान वोट मांगने तो आते है लेकिन चुनाव जीतने के बाद भूल जाते है। एक या दो बरस से नहीं बल्कि बरसो से सरकारी योजनाओ और विकास कार्यो की बाट जोह रहा है। ग़ांव में बढ़ती समस्याओ और शासन प्रशासन की अनदेखी के चलते ग्रामीणों ने इस बार चुनाव के बहिष्कार का एलान किया गया है। इसके लिए ग़ांव के बाहर बैनर लगाकर नेताओ और अधिकारियों का प्रवेश वर्जित बताया है। ऐसा नहीं है इस ग्रामीणों ने अपना दुखड़ा नेताओ के आगे न रोया या अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर ना काटे हो। लेकिन इन सबके बावजूद हालात ये है की मरने के बाद शवो का अंतिम संस्कार के लिए भी 36-36 घंटे के इंतजार करना पड़ता है।क्योंकि ग़ांव में गली सड़के और अस्पताल तो दूर श्मशान घाट भी नही बनाया गया। यही वजह है कई बार शवो के अंतिम संस्कार को लेकर ग़ांव में खूनी संघर्ष हो चुके है। आरोप है कि खनन माफियाओ ने शमशान के भूमि ही खोद डाली है। बीमार पड़ने पर टूटी सडको से कोई एम्बुलेंस यहाँ नहीं पहुंच पाती है। बच्चे स्कूल नहीं जा पते है। गर्भवती महिलाओ  की डिलीवरी जान पर खेल कर होती है। मिर्ज़ापुर के गांव डुडु माजरा गांव घाड़ क्षेत्र में है। इस गांव के चारों तरफ बरसाती नदी है। शिक्षा, चिकित्सा जैसी सुविधाएं इस गांव के लिए सपने जैसी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव का संपर्क मार्ग इतना खराब है कि न तो यहां के बच्चे स्कूल जा पाते हैं और न ही समय पर चिकित्सा सुविधाएं मिल पाती हैं। ग्रामीणों में राजनेताओं के प्रति इतना रोष है कि उन्होंने मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। अपनी बदहाली दुर्दुशा पर रो रहे इस गावं का दर्द अब कुछ इस तरह छलका की इस गावं के लोगो ने चुनाव बहिष्कार करने का निर्णय ही नहीं लिया बल्कि इस गावं में कोई नेता ना आए है ये भी लिख डाला।

बाईट - रामनिवास सैनी ( ग्रामीण )
बाईट - शेरसिंह ( ग्रामीण )




Conclusion:रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
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