लखनऊ : 24 साल बाद मैनपुरी में एक मंच पर जब मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती सारे गिले शिकवे भुलाकर साथ नजर आए तो यह तस्वीर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई. कांग्रेस ने एक मंच पर आने पर मुलायम सिंह और मायावती को शुभकामनाएं दीं, लेकिन साथ ही तंज कसते हुए यह भी कहा कि जनता बहुत समझदार है.
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर पहले ही धुरविरोधी दलों को एक कर लिया और अब मायावती और मुलायम को एक मंच पर लाकर 24 साल पहले वाली दोस्ती फिर कायम करा दी. सारे गिले-शिकवे भूल बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती मैनपुरी से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव के लिए जनता से वोट की अपील करती हुई नजर आईं.
उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शुचि विश्वास ने इस पर कहा कि निजी तौर पर तमाम गिले-शिकवे भुलाकर वे एक मंच पर आए. अगर उन्हें लगता है कि वह अपने विचार और विचारधारा में समन्वय स्थापित करने में सक्षम है, तो उन्हें शुभकामनाएं. यह वही मुलायम सिंह हैं जिन्होंने संसद में कहा था कि वह पुनः केंद्र में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं, जिसका अखिलेश यादव खंडन करते हुए कहते हैं कि यह राजनीतिक शिष्टाचार था. लोग यह समझें कि इसके पीछे की मंशा क्या है.