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माया-मुलायम के मंच साझा करने पर कांग्रेस का बयान, कहा- जनता बहुत समझदार है

मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती मैनपुरी में एक साथ मंच पर नजर आए. इतना ही नहीं मायावती ने लोगों से मुलायम सिंह के समर्थन में वोट करने की अपील भी की. जिसके बाद कांग्रेस ने इसको लेकर बड़ा बयान दिया है.

ईटीवी भारत से बातचीत करतीं उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शुचि विश्वास.
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Published : Apr 19, 2019, 10:18 PM IST

लखनऊ : 24 साल बाद मैनपुरी में एक मंच पर जब मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती सारे गिले शिकवे भुलाकर साथ नजर आए तो यह तस्वीर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई. कांग्रेस ने एक मंच पर आने पर मुलायम सिंह और मायावती को शुभकामनाएं दीं, लेकिन साथ ही तंज कसते हुए यह भी कहा कि जनता बहुत समझदार है.

ईटीवी भारत से बातचीत करतीं उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शुचि विश्वास.

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर पहले ही धुरविरोधी दलों को एक कर लिया और अब मायावती और मुलायम को एक मंच पर लाकर 24 साल पहले वाली दोस्ती फिर कायम करा दी. सारे गिले-शिकवे भूल बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती मैनपुरी से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव के लिए जनता से वोट की अपील करती हुई नजर आईं.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शुचि विश्वास ने इस पर कहा कि निजी तौर पर तमाम गिले-शिकवे भुलाकर वे एक मंच पर आए. अगर उन्हें लगता है कि वह अपने विचार और विचारधारा में समन्वय स्थापित करने में सक्षम है, तो उन्हें शुभकामनाएं. यह वही मुलायम सिंह हैं जिन्होंने संसद में कहा था कि वह पुनः केंद्र में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं, जिसका अखिलेश यादव खंडन करते हुए कहते हैं कि यह राजनीतिक शिष्टाचार था. लोग यह समझें कि इसके पीछे की मंशा क्या है.

लखनऊ : 24 साल बाद मैनपुरी में एक मंच पर जब मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती सारे गिले शिकवे भुलाकर साथ नजर आए तो यह तस्वीर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई. कांग्रेस ने एक मंच पर आने पर मुलायम सिंह और मायावती को शुभकामनाएं दीं, लेकिन साथ ही तंज कसते हुए यह भी कहा कि जनता बहुत समझदार है.

ईटीवी भारत से बातचीत करतीं उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शुचि विश्वास.

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर पहले ही धुरविरोधी दलों को एक कर लिया और अब मायावती और मुलायम को एक मंच पर लाकर 24 साल पहले वाली दोस्ती फिर कायम करा दी. सारे गिले-शिकवे भूल बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती मैनपुरी से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव के लिए जनता से वोट की अपील करती हुई नजर आईं.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शुचि विश्वास ने इस पर कहा कि निजी तौर पर तमाम गिले-शिकवे भुलाकर वे एक मंच पर आए. अगर उन्हें लगता है कि वह अपने विचार और विचारधारा में समन्वय स्थापित करने में सक्षम है, तो उन्हें शुभकामनाएं. यह वही मुलायम सिंह हैं जिन्होंने संसद में कहा था कि वह पुनः केंद्र में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं, जिसका अखिलेश यादव खंडन करते हुए कहते हैं कि यह राजनीतिक शिष्टाचार था. लोग यह समझें कि इसके पीछे की मंशा क्या है.

Intro:लखनऊ। 24 साल बाद मैनपुरी में एक मंच पर जब पूर्व सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती सारे गिले शिकवे भुला कर साथ नजर आए तो यह तस्वीर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई। कांग्रेस ने वर्षों पुरानी दुश्मनी भुलाकर एक मंच पर आने पर मुलायम सिंह और मायावती को शुभकामनाएं दीं, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि जनता सब कुछ जानती है। उन्हें अपनी मंशा भी साफ कर देनी चाहिए।




Body:लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर पहले धुर- विरोधी दलों को एक कर लिया और अब मायावती और मुलायम को एक मंच पर लाकर 24 साल पहले वाली दोस्ती फिर कायम करा दी। सारे गिले-शिकवे भूल बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती मैनपुरी से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव के लिए जनता से वोट की अपील करती हुई नजर आईं। इस पर कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

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निजी तौर पर तमाम गिले-शिकवे भुलाकर वे एक मंच पर आए। अब उन्हें लगता है कि वह अपने विचार और विचारधारा में समन्वय स्थापित करने में सक्षम है तो उन्हें शुभकामनाएं। लेकिन यह वही मुलायम सिंह हैं जिन्होंने संसद में कहा था कि वह पुनः केंद्र में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं, उन्हें शुभकामनाएं देते हैं जिसका अखिलेश यादव खंडन करते हुए कहते हैं कि यह राजनीतिक शिष्टाचार था। बहुत सारी चीजें हैं इस पर वैसे वे भी प्रतिक्रिया दे सकते हैं कि उनकी मंशा क्या है उनकी उपस्थिति के मायने क्या हैं।मतदाता बहुत समझदार हैं। लोग समझें कि इसके पीछे समूह और जाति के समीकरण को धारण या हितों को सिद्ध करने की मंशा क्या है। इसमें वे कितना सफल होते हैं यह तो समय आने पर ही सिद्ध होगा।

शुचि विस्वास, प्रवक्ता कांग्रेस




Conclusion:मायावती और मुलायम को फिर से एक साथ मंच पर लाने में ब्रिज की भूमिका निभाने वाले अखिलेश यादव इससे समाजवादी पार्टी को कितना फायदा दिलाने में सफल होते हैं यह तो भविष्य की बात है, लेकिन वर्षों पुरानी नाराजगी दूर करने में वे सफल जरूर हुए हैं।

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