लखनऊ: प्रदेश के पहले वातानुकूलित कैसरबाग बस स्टेशन के अंदर बसों का आवागमन सुचारु रूप से हो सके, इसके लिए जब बस स्टेशन का कायाकल्प किया गया तो यहां पर कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर बनाए गए. लेकिन अब यह बसों को कंट्रोल करने के काम नहीं आ रहे हैं, बल्कि कूड़ा डालने के काम आ रहे हैं. वहीं 'ईटीवी भारत' के कैमरे में कूड़ाघर में तब्दील हुए यह कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर कैद हुए तो कुंभकरणी नींद से अधिकारी जागे हैं अब या तो इन सेंटरों को डिमोलिश करने का काम कराने की बात कह रहे हैं या फिर इनके अंदर गार्ड तैनात किए जाने की बोल रहे हैं.
कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर कूड़ेदान में हुए तब्दील
- रेलवे स्टेशन हो या फिर बस स्टेशन, जहां पर भी पानी की बोतलों की खपत होती है.
- खाली बोतलों को जमा करके कबाड़ी को बेचने और उन्हें रिसाइकिल कर फिर से मार्केट में गंदा पानी भर कर लोगों को पिलाने के काम करते हैं.
- रिसाइकिल कर गंदा पानी पिलाने का यह धंधा खूब फल-फूल रहा है.
- हाल ही में गोरखपुर जा रही एक बस के यात्री ने जब पानी खरीदा तो पानी की बोतल सील्ड थी लेकिन उसके अंदर मेंढक निकला, जिसके बाद यात्री ने हंगामा किया.
- यात्री ने इसकी एफआईआर कराने की भी कोशिश गोरखपुर की कोतवाली में की लेकिन मामला किसी तरह दब गया.
- वहीं पोल जरूर खुल गई कि किस तरह से बोतलों को रिसाइकिल कर प्रदूषित पानी बेचने का गोरखधंधा चल रहा है.
- बस स्टेशन के आस-पास कोई यात्री हो या फिर आम आदमी, बोतल का पानी यूज करने के बाद खाली बोतल ऐसे ही फेंक देते हैं.
- खाली बोतलों को कूड़ा उठाने वाले लोग ले जाकर कबाड़ी को बेच देते हैं और कबाड़ी के पास से यही बोतलें फैक्ट्रियों में चली जाती हैं, जहां पर बोतलों को रिसाइकिल कर फिर से पानी भरकर सप्लाई शुरू कर दी जाती है.
- यही गंदा पानी आम लोग पीते हैं और बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं.
- कैसरबाग बस स्टेशन पर कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर में इसी तरह की दर्जनों बोतलें भर दी जाती हैं और बाद में कबाड़ी उठा ले जाते हैं.
- रोडवेज अधिकारी इन सेंटरों को हटाने की या फिर गार्ड रूम बनाने की तैयारी में जुट गए हैं.