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लखनऊ: कैसरबाग एसी बस स्टेशन पर कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर बन गए कूड़ा घर

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Published : May 17, 2019, 1:29 PM IST

प्रदेश के पहले वातानुकूलित कैसरबाग बस स्टेशन के अंदर कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर बनाए गए थे. लेकिन वह कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर अब कूड़ा घर में तब्दील हो गए है. ईटीवी भारत की पहल के बाद अब परिवहन के अधिकारियों ने इसमें सुधार करने की बात कही है.

एसी बस स्टेशन पर कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर बन गए कूड़ा घर

लखनऊ: प्रदेश के पहले वातानुकूलित कैसरबाग बस स्टेशन के अंदर बसों का आवागमन सुचारु रूप से हो सके, इसके लिए जब बस स्टेशन का कायाकल्प किया गया तो यहां पर कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर बनाए गए. लेकिन अब यह बसों को कंट्रोल करने के काम नहीं आ रहे हैं, बल्कि कूड़ा डालने के काम आ रहे हैं. वहीं 'ईटीवी भारत' के कैमरे में कूड़ाघर में तब्दील हुए यह कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर कैद हुए तो कुंभकरणी नींद से अधिकारी जागे हैं अब या तो इन सेंटरों को डिमोलिश करने का काम कराने की बात कह रहे हैं या फिर इनके अंदर गार्ड तैनात किए जाने की बोल रहे हैं.

कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर बन गए कूड़ा घर.


कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर कूड़ेदान में हुए तब्दील

  • रेलवे स्टेशन हो या फिर बस स्टेशन, जहां पर भी पानी की बोतलों की खपत होती है.
  • खाली बोतलों को जमा करके कबाड़ी को बेचने और उन्हें रिसाइकिल कर फिर से मार्केट में गंदा पानी भर कर लोगों को पिलाने के काम करते हैं.
  • रिसाइकिल कर गंदा पानी पिलाने का यह धंधा खूब फल-फूल रहा है.
  • हाल ही में गोरखपुर जा रही एक बस के यात्री ने जब पानी खरीदा तो पानी की बोतल सील्ड थी लेकिन उसके अंदर मेंढक निकला, जिसके बाद यात्री ने हंगामा किया.
  • यात्री ने इसकी एफआईआर कराने की भी कोशिश गोरखपुर की कोतवाली में की लेकिन मामला किसी तरह दब गया.
  • वहीं पोल जरूर खुल गई कि किस तरह से बोतलों को रिसाइकिल कर प्रदूषित पानी बेचने का गोरखधंधा चल रहा है.
  • बस स्टेशन के आस-पास कोई यात्री हो या फिर आम आदमी, बोतल का पानी यूज करने के बाद खाली बोतल ऐसे ही फेंक देते हैं.
  • खाली बोतलों को कूड़ा उठाने वाले लोग ले जाकर कबाड़ी को बेच देते हैं और कबाड़ी के पास से यही बोतलें फैक्ट्रियों में चली जाती हैं, जहां पर बोतलों को रिसाइकिल कर फिर से पानी भरकर सप्लाई शुरू कर दी जाती है.
  • यही गंदा पानी आम लोग पीते हैं और बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं.
  • कैसरबाग बस स्टेशन पर कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर में इसी तरह की दर्जनों बोतलें भर दी जाती हैं और बाद में कबाड़ी उठा ले जाते हैं.
  • रोडवेज अधिकारी इन सेंटरों को हटाने की या फिर गार्ड रूम बनाने की तैयारी में जुट गए हैं.

लखनऊ: प्रदेश के पहले वातानुकूलित कैसरबाग बस स्टेशन के अंदर बसों का आवागमन सुचारु रूप से हो सके, इसके लिए जब बस स्टेशन का कायाकल्प किया गया तो यहां पर कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर बनाए गए. लेकिन अब यह बसों को कंट्रोल करने के काम नहीं आ रहे हैं, बल्कि कूड़ा डालने के काम आ रहे हैं. वहीं 'ईटीवी भारत' के कैमरे में कूड़ाघर में तब्दील हुए यह कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर कैद हुए तो कुंभकरणी नींद से अधिकारी जागे हैं अब या तो इन सेंटरों को डिमोलिश करने का काम कराने की बात कह रहे हैं या फिर इनके अंदर गार्ड तैनात किए जाने की बोल रहे हैं.

कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर बन गए कूड़ा घर.


कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर कूड़ेदान में हुए तब्दील

  • रेलवे स्टेशन हो या फिर बस स्टेशन, जहां पर भी पानी की बोतलों की खपत होती है.
  • खाली बोतलों को जमा करके कबाड़ी को बेचने और उन्हें रिसाइकिल कर फिर से मार्केट में गंदा पानी भर कर लोगों को पिलाने के काम करते हैं.
  • रिसाइकिल कर गंदा पानी पिलाने का यह धंधा खूब फल-फूल रहा है.
  • हाल ही में गोरखपुर जा रही एक बस के यात्री ने जब पानी खरीदा तो पानी की बोतल सील्ड थी लेकिन उसके अंदर मेंढक निकला, जिसके बाद यात्री ने हंगामा किया.
  • यात्री ने इसकी एफआईआर कराने की भी कोशिश गोरखपुर की कोतवाली में की लेकिन मामला किसी तरह दब गया.
  • वहीं पोल जरूर खुल गई कि किस तरह से बोतलों को रिसाइकिल कर प्रदूषित पानी बेचने का गोरखधंधा चल रहा है.
  • बस स्टेशन के आस-पास कोई यात्री हो या फिर आम आदमी, बोतल का पानी यूज करने के बाद खाली बोतल ऐसे ही फेंक देते हैं.
  • खाली बोतलों को कूड़ा उठाने वाले लोग ले जाकर कबाड़ी को बेच देते हैं और कबाड़ी के पास से यही बोतलें फैक्ट्रियों में चली जाती हैं, जहां पर बोतलों को रिसाइकिल कर फिर से पानी भरकर सप्लाई शुरू कर दी जाती है.
  • यही गंदा पानी आम लोग पीते हैं और बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं.
  • कैसरबाग बस स्टेशन पर कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर में इसी तरह की दर्जनों बोतलें भर दी जाती हैं और बाद में कबाड़ी उठा ले जाते हैं.
  • रोडवेज अधिकारी इन सेंटरों को हटाने की या फिर गार्ड रूम बनाने की तैयारी में जुट गए हैं.
Intro:एसी बस स्टेशन पर कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर बन गए कूड़ा घर

लखनऊ। प्रदेश के पहले वातानुकूलित कैसरबाग बस स्टेशन के अंदर बसों का आवागमन सुचारु रूप से हो सके, इसके लिए जब बस स्टेशन का कायाकल्प किया गया तो यहां पर कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर बनाए गए। बस अड्डे के तीनों गेटों पर यह सेंटर अभी भी स्थापित हैं, लेकिन अब यह बसों को कंट्रोल करने के काम नहीं आ रहे हैं, बल्कि कूड़ा डालने के काम आ रहे हैं। यहां पर सफाई कर्मी कूड़े में जो पानी की खाली बोतल लाते हैं वह अंदर डाल देते हैं और कबाड़ी इन सेंटरों से यह खाली बोतल ले जाते हैं। इन्हीं बोतलों को रीसाइकिल कर बाजार में प्रदूषित पानी बेचने का काम होता है। बस स्टेशन पर ही मौजूद इन सेंटरों को कूड़ा घर के रूप में तब्दील कर दिया गया और इस तरफ जिम्मेदारों की अब तक नजर ही नहीं गई। 'ईटीवी भारत' के कैमरे में कूड़ाघर में तब्दील हुए यह कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर कैद हुए तो कुंभकरणी नींद से अधिकारी जागे हैं। अब या तो इन सेंटरों को डिमोलिश करने का काम कराने की बात कह रहे हैं या फिर इनके अंदर गार्ड तैनात किए जाने की तैयारी है। हालांकि इस मामले में अधिकारी कैमरे पर कुछ भी कहने से पूरी तरह कतरा रहे हैं।


Body:दरअसल, रेलवे स्टेशन हो या फिर बस स्टेशन। जहां पर भी पानी की बोतलों की खपत होती है वहां पर खाली बोतलों को जमा करके कबाड़ी को बेचने और उन्हें रीसाइकिल कर फिर से मार्केट में गंदा पानी भर कर लोगों को पिलाने के काम को अंजाम दिया जाता है। यह धंधा खूब फल-फूल रहा है। अभी हाल ही में गोरखपुर जा रही एक बस के यात्री ने जब पानी खरीदा तो पानी की बोतल सील्ड थी लेकिन उसके अंदर मेंढक निकला, जिसके बाद यात्री ने हंगामा किया और इसकी एफआईआर कराने की भी कोशिश गोरखपुर में हुई। हालांकि किसी तरह मामला दब गया, लेकिन पोल जरूर खुल गई कि किस तरह से बोतलों को रिसाइकल कर प्रदूषित पानी बेचने का गोरखधंधा चल रहा है।


Conclusion:बस स्टेशन के आस पास कोई यात्री हो या फिर आम आदमी, बोतल का पानी यूज करने के बाद खाली बोतल ऐसे ही फेंक देते हैं। इन्हीं खाली बोतलों को कूड़ा उठाने वाले लोग ले जाकर कबाड़ी को बेच देते हैं और कबाड़ी के पास से यही बोतलें फैक्ट्रियों में चली जाती हैं, जहां पर बोतलों को रीसाइकिल कर फिर से पानी भरकर सप्लाई शुरू कर दी जाती है। यही गंदा पानी आम लोग पीते हैं और बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं। कैसरबाग बस स्टेशन पर कंप्यूटर बैरियर कंट्रोल सेंटर में इसी तरह की दर्जनों बोतलें भर दी जाती हैं और बाद में कबाड़ी उठा ले जाते हैं। अब रोडवेज अधिकारी इन सेंटरों को हटाने की या फिर गार्ड रूम बनाने की तैयारी में जुट गए हैं।
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