इटावा: जनपद में मंगलवार को साप्ताहिक समाधान दिवस संपन्न हुआ. इस दौरान बड़ी संख्या में फरियादी अपनी समस्याएं लेकर जिला प्रशासन के पास आए. हालांकि, पर कई पीड़ित ऐसे भी मिले जो एक बार नहीं कइयों बार अपनी शिकायतें अधिकारियों को बता चुके हैं, लेकिन उनका निराकरण अब तक नहीं हो सका है. ऐसे में समाधान दिवस की प्रासंगिकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. जनता की समस्याएं सुलझाने के लिए शुरू की गई इस पहल से जनता को ही मायूस होकर लौटना पड़ रहा है.
समाधान दिवस पर जिले के अलग-अलग हिस्सों से लोग अपनी समस्याएं लेकर पहुंचे. सबसे ज्यादा मामले भूमि विवाद को लेकर आते हैं और इन मामलों में ज्यादातर फरियादियों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है. दरअसल समाधान की आस में फरियादी हर मंगलवार प्रशासन की शरण में आते हैं, लेकिन किसी न किसी बहाने से उन्हें लौटा दिया जाता है. इसके इतर अधिकारियों का कहना है कि अधिकतर मामलों को मौके पर ही निपटा दिया जाता है, लेकिन कुछ मामले न्यायिक प्रक्रिया के तहत आते हैं, इसलिए जिला प्रशासन इनमें दखलअंदाजी नहीं कर सकता है.
मेरी खेती की जमीन पर गांव के दबंगों ने कब्जा कर लिया है. यहां तक कि निकलने के लिए रास्ता तक नहीं छोड़ा. इस मामले मैं फरवरी से लगातार यहां आ रहा हूं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. हर बार वापस भेज दिया जाता है.
- सौदान सिंह, पीड़ित
हम कोशिश करते हैं कि ज्यादातर मामलों का तुरंत निपटारा कर दिया जाए, लेकिन दीवानी मामलों में न्यायिक पीठ की अनुमति के बगैर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता इसलिए कई शिकायतें लंबित रह जाती हैं.
- आर गणपति राजा, सीडीओ