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जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता रायबरेली प्रकरण - up zila panchayat members

रायबरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर हुए प्रकरण के बाद अब अध्यक्ष के चुनाव प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. जिस तरह से बाहुबल और धनबल का प्रयोग कर अध्यक्ष का चुनाव हो रहा है. उससे यही लगता है कि सीधे जनता के द्वारा अध्यक्ष पद का चुनाव होना चाहिए.

जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता रायबरेली प्रकरण
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Published : May 17, 2019, 11:07 AM IST

लखनऊ : यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के प्रकरण में जिस प्रकार से जिला पंचायत सदस्यों के अपहरण और मारपीट का मामला सामने आया है. उससे चुनाव चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े होने लगे हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष या फिर ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव में जिस प्रकार से धनबल और बाहुबल का प्रभाव बढ़ा है उससे इन चुनावों में सीधे जनता से चुनाव करने की जरूरत दिखने लगी है.

जिला पंचायत अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता रायबरेली प्रकरण.


जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया

  • जिला पंचायतों में पंचायत सदस्य जनता द्वारा चुने जाते हैं और सदस्य मिलकर के एक सदस्य को अध्यक्ष चुनते हैं.
  • जिला पंचायत सदस्य चुने जाने के बाद खेल शुरू हो जाता है. ताकतवर लोग धनबल और बाहुबल के चलते सदस्यों की खरीद खरीद फरोख्त शुरू कर देते हैं.
  • जिसका पलड़ा भारी होता है, उसी के साथ सदस्य चले जाते हैं. उसी का अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा हो जाता है.

रायबरेली मामला जीता जागता उदाहरण है

  • रायबरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने का यह प्रकरण बाहुबल और चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता है.
  • जिला पंचायत अध्यक्ष अवधेश प्रताप सिंह के खिलाफ पांचवी बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया.
  • अवधेश बीजेपी के रायबरेली से प्रत्याशी दिनेश सिंह के भाई है. यही वजह है कि अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले सदस्यों के अपहरण से लेकर मारपीट तक की बातें सामने आई हैं.
  • अब अविश्वास प्रस्ताव अगले एक वर्ष तक नहीं लाया जा सकेगा.

चुनावी प्रक्रिया पर सवाल

  • सवाल उठता है कि आखिर जिला पंचायत अध्यक्ष का निर्वाचन जनता द्वारा सीधे क्यों न किया जाए.
  • भारतीय जनता पार्टी कहती है कि उसका विश्वास लोकतंत्र में है और लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं होती.
  • हिंसा मुक्त चुनाव के लिए जो भी कदम उठाने की आवश्यकता हो उठाया जाना चाहिए.
  • बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई ने कहा कि बीजेपी कभी भी चुनाव में हिंसा की पक्षधर नहीं रही है.

कांग्रेस प्रवक्ता पंकज तिवारी ने कहा कि

  • निश्चित तौर पर पंचायत चुनाव में सुधार की जरूरत है. बहुत पहले राजीव गांधी ने पंचायतों में चुनाव सुधार को लेकर प्रयास किए थे.
  • चुनाव को हिंसा मुक्त और पारदर्शी बनाने के लिए जो भी प्रयास की जरूरत हो सरकार को कदम उठाना चाहिए.
  • बहुत सारी जगह पर जनता से चुनाव होने के बावजूद भी हिंसा होती है. कोई भी चुनाव हो उसमें जनता की भागीदारी ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए.
  • निश्चित तौर पर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को हिंसा और पैसा मुक्त बनाने के लिए जनता द्वारा चुना जाना आवश्यक हो गया है.

राजनीतिक विश्लेषक अशोक रजपूत ने कहते है कि

  • इसको दूसरी तरह से भी देखना चाहिए कि यह कांग्रेस पार्टी के भीतर की कलह थी. दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस के एमएलसी हैं.
  • वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ गए. इसलिए इस प्रकार की चीजें खड़ी हो गयीं.
  • हालांकि भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. ऐसे में सरकार को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पेश आना चाहिए.
  • सरकार को सामान्य रहना चाहिए. लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कहीं न कहीं चूक हुई जिससे यह घटना हुई है.
  • यदि इसी प्रकार से जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में हिंसा, बाहुबल, धनबल का प्रभाव बढ़ता गया, तो कभी न कभी सरकारों को मजबूरन जनता द्वारा चुनाव की प्रक्रिया को लाना होगा.

लखनऊ : यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के प्रकरण में जिस प्रकार से जिला पंचायत सदस्यों के अपहरण और मारपीट का मामला सामने आया है. उससे चुनाव चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े होने लगे हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष या फिर ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव में जिस प्रकार से धनबल और बाहुबल का प्रभाव बढ़ा है उससे इन चुनावों में सीधे जनता से चुनाव करने की जरूरत दिखने लगी है.

जिला पंचायत अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता रायबरेली प्रकरण.


जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया

  • जिला पंचायतों में पंचायत सदस्य जनता द्वारा चुने जाते हैं और सदस्य मिलकर के एक सदस्य को अध्यक्ष चुनते हैं.
  • जिला पंचायत सदस्य चुने जाने के बाद खेल शुरू हो जाता है. ताकतवर लोग धनबल और बाहुबल के चलते सदस्यों की खरीद खरीद फरोख्त शुरू कर देते हैं.
  • जिसका पलड़ा भारी होता है, उसी के साथ सदस्य चले जाते हैं. उसी का अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा हो जाता है.

रायबरेली मामला जीता जागता उदाहरण है

  • रायबरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने का यह प्रकरण बाहुबल और चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता है.
  • जिला पंचायत अध्यक्ष अवधेश प्रताप सिंह के खिलाफ पांचवी बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया.
  • अवधेश बीजेपी के रायबरेली से प्रत्याशी दिनेश सिंह के भाई है. यही वजह है कि अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले सदस्यों के अपहरण से लेकर मारपीट तक की बातें सामने आई हैं.
  • अब अविश्वास प्रस्ताव अगले एक वर्ष तक नहीं लाया जा सकेगा.

चुनावी प्रक्रिया पर सवाल

  • सवाल उठता है कि आखिर जिला पंचायत अध्यक्ष का निर्वाचन जनता द्वारा सीधे क्यों न किया जाए.
  • भारतीय जनता पार्टी कहती है कि उसका विश्वास लोकतंत्र में है और लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं होती.
  • हिंसा मुक्त चुनाव के लिए जो भी कदम उठाने की आवश्यकता हो उठाया जाना चाहिए.
  • बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई ने कहा कि बीजेपी कभी भी चुनाव में हिंसा की पक्षधर नहीं रही है.

कांग्रेस प्रवक्ता पंकज तिवारी ने कहा कि

  • निश्चित तौर पर पंचायत चुनाव में सुधार की जरूरत है. बहुत पहले राजीव गांधी ने पंचायतों में चुनाव सुधार को लेकर प्रयास किए थे.
  • चुनाव को हिंसा मुक्त और पारदर्शी बनाने के लिए जो भी प्रयास की जरूरत हो सरकार को कदम उठाना चाहिए.
  • बहुत सारी जगह पर जनता से चुनाव होने के बावजूद भी हिंसा होती है. कोई भी चुनाव हो उसमें जनता की भागीदारी ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए.
  • निश्चित तौर पर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को हिंसा और पैसा मुक्त बनाने के लिए जनता द्वारा चुना जाना आवश्यक हो गया है.

राजनीतिक विश्लेषक अशोक रजपूत ने कहते है कि

  • इसको दूसरी तरह से भी देखना चाहिए कि यह कांग्रेस पार्टी के भीतर की कलह थी. दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस के एमएलसी हैं.
  • वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ गए. इसलिए इस प्रकार की चीजें खड़ी हो गयीं.
  • हालांकि भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. ऐसे में सरकार को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पेश आना चाहिए.
  • सरकार को सामान्य रहना चाहिए. लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कहीं न कहीं चूक हुई जिससे यह घटना हुई है.
  • यदि इसी प्रकार से जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में हिंसा, बाहुबल, धनबल का प्रभाव बढ़ता गया, तो कभी न कभी सरकारों को मजबूरन जनता द्वारा चुनाव की प्रक्रिया को लाना होगा.
Intro:लखनऊ। यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली मैं जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के प्रकरण में जिस प्रकार से जिला पंचायत सदस्यों के अपहरण और मारपीट का मामला सामने आया है, उससे चुनाव चुनाव प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष या फिर ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव में जिस प्रकार से धनबल और बाहुबल का प्रभाव बढ़ा है उससे इन चुनावों में सीधे जनता से चुनाव करने की जरूरत दिखने लगी है।


Body:जिला पंचायतों में पंचायत सदस्य जनता द्वारा चुने जाते हैं और सदस्य मिलकर के एक सदस्य को अध्यक्ष चुनते हैं। जिला पंचायत सदस्य चुने जाने के बाद खेल शुरू हो जाता है। ताकतवर लोग धनबल और बाहुबल के चलते सदस्यों की खरीद खरीद फरोख्त शुरू कर देते हैं। जिसका पलड़ा भारी होता है, उसी के साथ सदस्य चले जाते हैं। उसी का अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा हो जाता है।

रायबरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने का यह प्रकरण जीता जागता उदाहरण है। जिला पंचायत अध्यक्ष अवधेश प्रताप सिंह के खिलाफ पँचवी बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। दरअसल अवधेश बीजेपी के रायबरेली से प्रत्याशी दिनेश सिंह के भाई है। यही वजह है कि अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले सदस्यों के अपहरण से लेकर मारपीट तक की बातें सामने आई हैं और अब अविश्वास प्रस्ताव अगले एक वर्ष तक नहीं लाया जा सकेगा।

सवाल उठता है कि आखिर जिला पंचायत अध्यक्ष का निर्वाचन जनता द्वारा सीधे क्यों न किया जाए। भारतीय जनता पार्टी कहती है कि उसका विश्वास लोकतंत्र में है और लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं होती। हिंसा मुक्त चुनाव के लिए जो भी कदम उठाने की आवश्यकता हो उठाया जाना चाहिए। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई ने कहा कि बीजेपी कभी भी चुनाव में हिंसा की पक्षधर नहीं रही है।

कांग्रेस प्रवक्ता पंकज तिवारी ने कहा कि निश्चित तौर पर पंचायत चुनाव में सुधार की जरूरत है। बहुत पहले राजीव गांधी ने पंचायतों में चुनाव सुधार को लेकर प्रयास किए थे। चुनाव को हिंसा मुक्त और पारदर्शी बनाने के लिए जो भी प्रयास की जरूरत हो सरकार को कदम उठाना चाहिए। बहुत सारी जगह पर जनता से चुनाव होने के बावजूद भी हिंसा होती है। कोई भी चुनाव हो उसमें जनता की भागीदारी ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए। निश्चित तौर पर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को हिंसा और पैसा मुक्त बनाने के लिए जनता द्वारा चुना जाना आवश्यक हो गया है।

राजनीतिक विश्लेषक अशोक रजपूत ने कहा कि रायबरेली घटनाक्रम की वजह से इस प्रकार से सवाल उठने लगे हैं। इसको दूसरी तरह से भी देखना चाहिए कि यह कांग्रेस पार्टी के भीतर की कलह थी। दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस के एमएलसी हैं। वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ गए। इसलिए इस प्रकार की चीजें खड़ी हो गयीं। हालांकि भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। ऐसे में सरकार को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पेस आना चाहिए। सरकार को सामान्य रहना चाहिए। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कहीं न कहीं चूक हुई जिससे यह घटना हुई है। यदि इसी प्रकार से जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में हिंसा, बाहुबल, धनबल का प्रभाव बढ़ता गया। तो कभी न कभी सरकारों को मजबूरन जनता द्वारा चुनाव की प्रक्रिया को लाना होगा।

बाईट- हीरो बाजपेयी, प्रवक्ता, यूपी भाजपा
बाईट-पंकज तिवारी, प्रवक्ता, यूपी कांग्रेस
बाईट-अशोक राजपूत, राजनीतिक विश्लेषक




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