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सावधान! कानपुर में सुबह की सैर हो सकती है खतरनाक

प्रदेश में बढ़ती ठंड के साथ धुंध और ओस भी बढ़ेगी, जिसका सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ेगा. कानपुर में भी प्रदूषण इस कदर बढ़ रहा है कि अब सुबह की सैर भी खतरनाक साबित हो सकती है.

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Published : Nov 3, 2020, 2:35 PM IST

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सुबह की सैर भी हो सकती है खतरनाक.

कानपुर: मौसम विभाग के अनुसार, इस महीने ओस और धुंध छाने के आसार बने हुए हैं. इसके चलते प्रदूषण का स्तर और बढ़ेगा. वाहनों के धुएं से निकलने वाली हानिकारक गैस और निर्माण के दौरान धूल के बारीक कण दिन के समय ऊपरी सतह पर चले जाते हैं. रात में पारा गिरने पर तड़के ओस की बूंदों के साथ मिलकर निचली सतह पर आ जाते हैं. इसके बाद सांस के जरिये यह सीधे हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं.

सांस लेने में हो सकती है दिक्कत
डीएवी डिग्री कॉलेज के प्राचार्य और भौतिकविद् डॉ. अमित श्रीवास्तव के अनुसार, जैसे-जैसे पारा गिरता है, हवा सघन होती जाती है. इससे धूल के कण वातावरण में ऊपर नहीं जा पाते और नीचे ही घूमते रहते हैं. इससे सांस लेने में दिक्कत आती है. आने वाले दिनों में पारा और गिरेगा. दिन के तापमान में भी गिरावट आने की संभावना हैं. ऐसी स्थिति में प्रदूषण और बढ़ेगा. इससे सतर्क रहने की आवश्यकता है.

ओस की वजह से बढ़ रहा प्रदूषण
मौसम विभाग के अनुसार पारा गिरने का असर दिखने लगा है. ओस मौसम का मिजाज ठंडा करने के साथ ही प्रदूषण भी बढ़ा रही है. इससे सुबह की सैर अब खतरनाक साबित हो सकती है. सोमवार को पीएम 2.5 की मात्रा 368 ग्राम प्रतिमीटर क्यूब दर्ज की गई. जो सामान्य मात्रा से 218 माइक्रोग्राम प्रतिमीटर क्यूब अधिक रही. पर्यावरणविद के अनुसार एक ही दिन में 2.5 की यह बढ़ी हुई मात्रा खतरनाक संकेत है. यह लोगों को सांस की बीमारी का शिकार बना सकती है.

वाहन कार्बन मोनोऑक्साइड और ऐल्डीहाइड जैसी गैसें उत्सर्जित करते हैं. ठंड बढ़ने पर जब गैसें निचली सतह पर आती हैं तो इनका दुष्प्रभाव सिर्फ मनुष्यों पर ही नहीं बल्कि जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों पर भी पड़ता है. अगले माह से पारा और नीचे गिरने पर ओस और धुंध छाने से बुजुर्गों और बच्चों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है.

डॉ. दुर्गेश चौहान, मौसम वैज्ञानिक

कानपुर: मौसम विभाग के अनुसार, इस महीने ओस और धुंध छाने के आसार बने हुए हैं. इसके चलते प्रदूषण का स्तर और बढ़ेगा. वाहनों के धुएं से निकलने वाली हानिकारक गैस और निर्माण के दौरान धूल के बारीक कण दिन के समय ऊपरी सतह पर चले जाते हैं. रात में पारा गिरने पर तड़के ओस की बूंदों के साथ मिलकर निचली सतह पर आ जाते हैं. इसके बाद सांस के जरिये यह सीधे हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं.

सांस लेने में हो सकती है दिक्कत
डीएवी डिग्री कॉलेज के प्राचार्य और भौतिकविद् डॉ. अमित श्रीवास्तव के अनुसार, जैसे-जैसे पारा गिरता है, हवा सघन होती जाती है. इससे धूल के कण वातावरण में ऊपर नहीं जा पाते और नीचे ही घूमते रहते हैं. इससे सांस लेने में दिक्कत आती है. आने वाले दिनों में पारा और गिरेगा. दिन के तापमान में भी गिरावट आने की संभावना हैं. ऐसी स्थिति में प्रदूषण और बढ़ेगा. इससे सतर्क रहने की आवश्यकता है.

ओस की वजह से बढ़ रहा प्रदूषण
मौसम विभाग के अनुसार पारा गिरने का असर दिखने लगा है. ओस मौसम का मिजाज ठंडा करने के साथ ही प्रदूषण भी बढ़ा रही है. इससे सुबह की सैर अब खतरनाक साबित हो सकती है. सोमवार को पीएम 2.5 की मात्रा 368 ग्राम प्रतिमीटर क्यूब दर्ज की गई. जो सामान्य मात्रा से 218 माइक्रोग्राम प्रतिमीटर क्यूब अधिक रही. पर्यावरणविद के अनुसार एक ही दिन में 2.5 की यह बढ़ी हुई मात्रा खतरनाक संकेत है. यह लोगों को सांस की बीमारी का शिकार बना सकती है.

वाहन कार्बन मोनोऑक्साइड और ऐल्डीहाइड जैसी गैसें उत्सर्जित करते हैं. ठंड बढ़ने पर जब गैसें निचली सतह पर आती हैं तो इनका दुष्प्रभाव सिर्फ मनुष्यों पर ही नहीं बल्कि जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों पर भी पड़ता है. अगले माह से पारा और नीचे गिरने पर ओस और धुंध छाने से बुजुर्गों और बच्चों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है.

डॉ. दुर्गेश चौहान, मौसम वैज्ञानिक

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