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संतकबीर नगर : गांव के बाहर ग्रामीणों ने लटकाया 'पुल नहीं तो वोट नहीं' का बोर्ड - up news

लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही संतकबीर नगर जिले के असनहरा गांव के ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा. ग्रामीणों ने पक्के पुल की मांग को लेकर लोकसभा चुनाव में बहिष्कार का मन बनाते हुए गांव के चौराहे पर बोर्ड लगा दिया है.

ग्रामीणों ने लगाया चुनाव बहिष्कार का बोर्ड.
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Published : Mar 13, 2019, 2:06 PM IST

संतकबीर नगर : लोकसभा चुनाव की तिथि घोषित होते ही ग्रामीणों का गुस्सा जनप्रतिनिधियों और नेताओं पर फूटने लगा है. दरअसल, असनहरा गांव के ग्रामीण पक्के पुल की मांग के लिए कई वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं. विधायक सहित कई लोग गांव में पहुंचे और पुल बनवाने का आश्वासन दिया, लेकिन कई वर्षों के बीत जाने के बाद भी इन नेताओं के दावे हवा-हवाई साबित हुए. इससे नाराज ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव में बहिष्कार का मन बनाते हुए गांव के चौराहे पर बोर्ड लगा दिया है. इस दौरान ग्रामीणों ने 'पुल नहीं तो वोट नहीं' का नारा बुलंद किया.

ग्रामीणों ने लगाया चुनाव बहिष्कार का बोर्ड.

पूरा मामला जिले के सेमरियावां ब्लॉक में स्थित असनहरा गांव का है, जहां केग्रामीण आज भी बांस के पुल के सहारे नदी को पारकर अपनी यात्रा करने के लिए मजबूर हैं. कई बार यहां के ग्रामीणों ने प्रशासन से पुल की मांग की. मांग पूरीन होने पर ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन भी किया है.

बीते साल 55 दिन तक चले आंदोलन में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर असनहरा घाट पर पहुंचे थे. उन्होंने ग्रामीणों की पुल बनवाने का आश्वासन देते हुए धरने को समाप्त कराया था. धरने के दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी, लेकिन मंत्री जी के दावे हवा-हवाई साबित हुए. ग्रामीण आज भी बांस के पुल के सहारे जान को जोखिम में डालकर यात्रा करने पर मजबूर हैं.

वहीं जैसे ही लोकसभा चुनाव की तिथि जारी हुई तो ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का मन बना लिया. गांव के चौराहे पर चुनाव बहिष्कार का बोर्ड लगाते हुए नारेबाजी की. ग्रामीणों ने कहा कि अबकी बार वह लोकसभा चुनाव का पूरी तरह से बहिष्कार करेंगे. इतना ही नहीं, गांव की महिलाएं चुनाव के दिन काली पट्टी बांधकर लोकसभा चुनाव का विरोध करेंगी.

संतकबीर नगर : लोकसभा चुनाव की तिथि घोषित होते ही ग्रामीणों का गुस्सा जनप्रतिनिधियों और नेताओं पर फूटने लगा है. दरअसल, असनहरा गांव के ग्रामीण पक्के पुल की मांग के लिए कई वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं. विधायक सहित कई लोग गांव में पहुंचे और पुल बनवाने का आश्वासन दिया, लेकिन कई वर्षों के बीत जाने के बाद भी इन नेताओं के दावे हवा-हवाई साबित हुए. इससे नाराज ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव में बहिष्कार का मन बनाते हुए गांव के चौराहे पर बोर्ड लगा दिया है. इस दौरान ग्रामीणों ने 'पुल नहीं तो वोट नहीं' का नारा बुलंद किया.

ग्रामीणों ने लगाया चुनाव बहिष्कार का बोर्ड.

पूरा मामला जिले के सेमरियावां ब्लॉक में स्थित असनहरा गांव का है, जहां केग्रामीण आज भी बांस के पुल के सहारे नदी को पारकर अपनी यात्रा करने के लिए मजबूर हैं. कई बार यहां के ग्रामीणों ने प्रशासन से पुल की मांग की. मांग पूरीन होने पर ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन भी किया है.

बीते साल 55 दिन तक चले आंदोलन में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर असनहरा घाट पर पहुंचे थे. उन्होंने ग्रामीणों की पुल बनवाने का आश्वासन देते हुए धरने को समाप्त कराया था. धरने के दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी, लेकिन मंत्री जी के दावे हवा-हवाई साबित हुए. ग्रामीण आज भी बांस के पुल के सहारे जान को जोखिम में डालकर यात्रा करने पर मजबूर हैं.

वहीं जैसे ही लोकसभा चुनाव की तिथि जारी हुई तो ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का मन बना लिया. गांव के चौराहे पर चुनाव बहिष्कार का बोर्ड लगाते हुए नारेबाजी की. ग्रामीणों ने कहा कि अबकी बार वह लोकसभा चुनाव का पूरी तरह से बहिष्कार करेंगे. इतना ही नहीं, गांव की महिलाएं चुनाव के दिन काली पट्टी बांधकर लोकसभा चुनाव का विरोध करेंगी.

Intro:संतकबीरनगर| विकास कार्यों से नाराज ग्रामीणों ने गांव के चौराहे पर लगाया चुनाव बहिष्कार का बोर्ड


Body:एंकर- जैसे ही लोकसभा चुनाव की तिथि निर्धारित हुई है वैसे वैसे ही ग्रामीणों का गुस्सा जनप्रतिनिधियों और नेताओं पर फूटने लगा विकास कार्यों से नाराज ग्रामीण चुनाव की तिथि होने से नाराज हैं इसकी एक बानगी संत कबीर नगर जिले में देखने का जहां के ग्रामीणों ने पक्के पुल की मांग के लिए कई वर्षों से आंदोलन किया मंत्री विधायक सहित कई लोग गांव में पहुंचे और पुल बनवाने का आश्वासन दिया लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद इन नेताओं के दावे हवा हवाई साबित हुए जिससे नाराज ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का मन बनाते हुए गांव के चौराहे पर चुनाव बहिष्कार का बोर्ड लगाते हुए पुल नहीं तो वोट नहीं की नारे को बुलंद किया और किसी भी नेता और जनप्रतिनिधियों को गांव में ना घुसने देने का संकल्प लिया.


Conclusion:वीओ- आपको बता दें कि पूरा मामला संत कबीर नगर जिले के सेमरियावां ब्लॉक में स्थित असनहरा गांव का है जहां की ग्रामीण आज भी बांस के पुल के सहारे कठिनाइया है या नदी को पारकर अपनी यात्रा करने पर मजबूर है कई बार यहां के ग्रामीणों ने प्रशासन से पुल की मांग की मांग पूरा ना होने पर इस गांव के ग्रामीण कई बार आंदोलन किया लेकिन इन ग्रामीणों की एक भी नहीं सुनी गई पिछले वर्ष 55 दिन चले इस आंदोलन में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर असनहरा घाट पर पहुंचे थे और ग्रामीणों की पुल बनवाने का आश्वासन देते हुए धरने को समाप्त कराया था धरने के दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी लेकिन मंत्री जी के दावे हवा हवाई साबित हुए और यहां के ग्रामीण आज भी बांस के पुल के सहारे जान को जोखिम में डालकर यात्रा करने पर मजबूर है वही जैसे लोकसभा चुनाव की तिथि जारी हुई तो ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का मन बना लिया और गांव के चौराहे पर चुनाव बहिष्कार का बोर्ड लगाते हुए नारेबाजी की ग्रामीणों ने कहा कि अबकी बार वह लोकसभा चुनाव का पूरी तरह से बहिष्कार करेंगे और इस गांव की महिलाएं चुनाव के दिन काली पट्टी बांधकर लोकसभा चुनाव का विरोध करेंगे और वोट मांगने वाले वाले किसी भी नेता या जनप्रतिनिधि को गांव में घुसने नहीं देंगे ग्रामीणों ने पुल नहीं तो वोट नहीं के नारे को बुलंद किया.

बाइट- शैलेश राजभर ग्रामीण

बाइट- सरोजा देवी ग्रामीण
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