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राम मंदिर की खूबसूरती बढ़ाएगी बंदियों की बनाई वॉल हैंगिंग कार्पेट, कैदी उकेरेंगे भगवान की आकृति - राम मंदिर कारपेट

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां तेजी से चल रहीं हैं. मंदिर में भदोही के कैदियों के बनाए कालीन (Ram temple Bhadohi carpet) लगाए जाएंगे. जिला कारागार के 12 कैदियों का इसके लिए चयन किया गया है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 30, 2023, 11:14 AM IST

भदोही के कैदी राम मंदिर के लिए बना रहे खास कालीन.

भदोही : जिला कारागार के कैदियों की ओर से तैयार की जा रही वॉल हैंगिंग कार्पेट राम मंदिर की शोभा बढ़ाएगी. करीब 12 कैदी भगवान राम, हनुमान जी व मां जानकी की छवि वाली वॉल हैंगिंग कार्पेट तैयार करेंगे. मंदिर में चिन्हित स्थानों पर प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व इन्हें लगा दिया जाएगा. जिलाधिकारी के प्रस्ताव पर शासन की अनुमति के बाद जेल में बंद बुनकरों को इस काम के लिए चुना गया. कैदी आगामी 15 दिनों में कालीन तैयार कर देंगे. उच्च गुणवत्ता वाली ये कालीनें 100 साल तक मंदिर की खूबसूरती बढ़ाने का काम करेंगी.

मंदिर के हॉल और गैलरी में बिछाई जाएगी खास कालीन : जिलाधिकारी गौरांग राठी ने बताया कि भगवान श्री रामचन्द्र के भव्य और अलौकिक मंदिर में जिले के जेल में बंद बुनकरों की ओर से हस्तनिर्मित वॉल हैंगिंग कार्पेट (दीवारों पर लटकने वाला चित्रगत कालीन) तैयार की जाएगी. मंदिर के हॉल और गैलरी में ये कालीनें बिछाई जाएंगी. मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को बुनकर बंदियों की कारीगरी लुभाएगी. विदेशी पर्यटक भी कुशल कारीगरों द्वारा मखमली कालीन पर उकेरी गई कलाकृतियों को निहारेंगे. जिला कारागार ज्ञानपुर प्रशासन को सिंहासन पर आशीर्वाद देने की मुद्दा में बैठे राजाराम, मां सीता एवं हनुमान जी की तस्वीर दी जाएगी. इसे देखकर बुनकर वॉल हैंगिंग पर छवि उकेरेंगे. जिलाधिकारी ने बताया कि 40 बुनकर बंदियों में से 12 कुशल बुनकरों को चुना किया गया है.

एक-दो दिन में शुरू हो जाएगी बुनाई : जेलर राजेश वर्मा का कहना है कि एक-दो में दिन बुनाई शुरू हो जाएगी. वॉल हैंगिग कार्पेट को मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के एक सप्ताह पूर्व 15 जनवरी तक अयोध्या भेजकर कारीगरों से लगवा दिया जाएगा. कालीन का आकार छह गुणा, आठ फिट निर्धारित किया गया है. वजन करीब छह से आठ किलोग्राम रहेगा. यह भगवा (गेरुआ) रंग या गाढ़े नीले रंग का होगा. अधिकारी व कालीन क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि कालीने बेहतर और दमदार क्वालिटी के धागों से बनाई जाएगी. लंबे अरसे तक इसकी चमक फीकी नहीं पड़ेगी. करीब 100 साल तक ये मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाएंगे.

जिला प्रशासन ने शासन को भेजा था प्रस्ताव : जिलाधिकारी गौरांग राठी ने श्रीराम मंदिर के हॉल, गैलरी व भगवान के गर्भ गृह के आसपास कालीन बिछाने के लिए करीब एक सप्ताह पूर्व ही प्रस्ताव भेजा था. शासन ने इसकी मंजूरी दे दी है. नगर आयुक्त अयोध्या व विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने वॉल हैंगिग कार्पेट तैयार कराने के साथ मंदिर में गलीचे बिछवाने को भी कहा है. प्रधानमंत्री के दौरे के बाद कालीन बिछाने के लिए स्थानों को चयन कर नगर आयुक्त की ओर से इसकी जानकारी दी जाएगी. हैंड नॉटेड कार्पेट (हस्तनिर्मित कालीन) बनारस से अलग हुए भदोही की परंपरागत कालीन उद्योग है. यह यहां की सांस्कृतिक विरासत भी है.

भदोही से विदेश भी भेजे जाती है कालीन : गलीचे के शहर भदोही में सदियों से कारपेट का कारोबार होता चला आ रहा है. इसका निर्यात अमेरिका, यूरोप, जर्मनी, फ्रांस सहित दुनिया भर के करीब 50 से 60 देशों में होता है. भदोही का यह परंपरागत उत्पाद बीते 28 मई 2023 को दिल्ली में नवउद्घाटित संसद भवन की सेंट्रल विस्टा में भी अपनी चमक, धमक बिखेर रहा है. वहीं यशोभूमि भारत मण्डपम में भी भदोही का सतरंगी गलीचा छाया रहा. भदोही अकेले देश का 35 से 40 प्रतिशत कालानी का उत्पादन अकेले करता है. हाल ही बीते अक्टूबर माह में भदोही के कार्पेट एक्सपो मार्ट में चार दिवसीय एक्सपो का आयोजन हुआ था, जिसमें 60 देशों के करीब 700 खरीददार शामिल हुए थे. सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी मेले में शामिल हुए थे. 'एक जिला एक उत्पाद योजना' में भी भदोही का कार्पेट शामिल है.

जेल में बंदी भी करते हैं कालीन की बुनाई : गलीचे के शहर भदोही में कैदी भी कालीन बुनाई का काम कर रहे हैं. उनकी अंगुलियों की कुशल कारीगरी तीन-चार कालीन निर्यातकों के जरिये जापान, इंग्लैंड व यूएस सहित करीब छह देशों तक पहुंच चुकी है. डीएम भदोही ने पिछले दिनों बताया था कि करीब 50 से 60 कैदी ज्ञानपुर जेल में भी कालीन बुनाई का काम कर रहे हैं. उनकी कारीगरी को और पहचान मिल सके, इसलिए प्रयास करके निर्यातकों द्वारा उसे विदेशों तक भेजा जा रहा है. हाल ही में आयोजित कालीन मेले में भी जिला कारागार कार्पेट का एक स्टॉल लगाया गया था. वहीं अब अयोध्या में नवनिर्मित हो रहे भगवान श्री रामचन्द्र जी के मंदिर में भी उनके द्वारा बुनी गई वॉल हैंगिंग कार्पेट लगाई जाएगी.

यह भी पढ़ें : अयोध्या में आज 4 घंटे रुकेंगे पीएम: वाल्मीकि एयरपोर्ट, अत्याधुनिक रेलवे स्टेशन सहित 15000 करोड़ की योजनाओं का शुभारंभ-शिलान्यास

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भदोही के कैदी राम मंदिर के लिए बना रहे खास कालीन.

भदोही : जिला कारागार के कैदियों की ओर से तैयार की जा रही वॉल हैंगिंग कार्पेट राम मंदिर की शोभा बढ़ाएगी. करीब 12 कैदी भगवान राम, हनुमान जी व मां जानकी की छवि वाली वॉल हैंगिंग कार्पेट तैयार करेंगे. मंदिर में चिन्हित स्थानों पर प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व इन्हें लगा दिया जाएगा. जिलाधिकारी के प्रस्ताव पर शासन की अनुमति के बाद जेल में बंद बुनकरों को इस काम के लिए चुना गया. कैदी आगामी 15 दिनों में कालीन तैयार कर देंगे. उच्च गुणवत्ता वाली ये कालीनें 100 साल तक मंदिर की खूबसूरती बढ़ाने का काम करेंगी.

मंदिर के हॉल और गैलरी में बिछाई जाएगी खास कालीन : जिलाधिकारी गौरांग राठी ने बताया कि भगवान श्री रामचन्द्र के भव्य और अलौकिक मंदिर में जिले के जेल में बंद बुनकरों की ओर से हस्तनिर्मित वॉल हैंगिंग कार्पेट (दीवारों पर लटकने वाला चित्रगत कालीन) तैयार की जाएगी. मंदिर के हॉल और गैलरी में ये कालीनें बिछाई जाएंगी. मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को बुनकर बंदियों की कारीगरी लुभाएगी. विदेशी पर्यटक भी कुशल कारीगरों द्वारा मखमली कालीन पर उकेरी गई कलाकृतियों को निहारेंगे. जिला कारागार ज्ञानपुर प्रशासन को सिंहासन पर आशीर्वाद देने की मुद्दा में बैठे राजाराम, मां सीता एवं हनुमान जी की तस्वीर दी जाएगी. इसे देखकर बुनकर वॉल हैंगिंग पर छवि उकेरेंगे. जिलाधिकारी ने बताया कि 40 बुनकर बंदियों में से 12 कुशल बुनकरों को चुना किया गया है.

एक-दो दिन में शुरू हो जाएगी बुनाई : जेलर राजेश वर्मा का कहना है कि एक-दो में दिन बुनाई शुरू हो जाएगी. वॉल हैंगिग कार्पेट को मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के एक सप्ताह पूर्व 15 जनवरी तक अयोध्या भेजकर कारीगरों से लगवा दिया जाएगा. कालीन का आकार छह गुणा, आठ फिट निर्धारित किया गया है. वजन करीब छह से आठ किलोग्राम रहेगा. यह भगवा (गेरुआ) रंग या गाढ़े नीले रंग का होगा. अधिकारी व कालीन क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि कालीने बेहतर और दमदार क्वालिटी के धागों से बनाई जाएगी. लंबे अरसे तक इसकी चमक फीकी नहीं पड़ेगी. करीब 100 साल तक ये मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाएंगे.

जिला प्रशासन ने शासन को भेजा था प्रस्ताव : जिलाधिकारी गौरांग राठी ने श्रीराम मंदिर के हॉल, गैलरी व भगवान के गर्भ गृह के आसपास कालीन बिछाने के लिए करीब एक सप्ताह पूर्व ही प्रस्ताव भेजा था. शासन ने इसकी मंजूरी दे दी है. नगर आयुक्त अयोध्या व विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने वॉल हैंगिग कार्पेट तैयार कराने के साथ मंदिर में गलीचे बिछवाने को भी कहा है. प्रधानमंत्री के दौरे के बाद कालीन बिछाने के लिए स्थानों को चयन कर नगर आयुक्त की ओर से इसकी जानकारी दी जाएगी. हैंड नॉटेड कार्पेट (हस्तनिर्मित कालीन) बनारस से अलग हुए भदोही की परंपरागत कालीन उद्योग है. यह यहां की सांस्कृतिक विरासत भी है.

भदोही से विदेश भी भेजे जाती है कालीन : गलीचे के शहर भदोही में सदियों से कारपेट का कारोबार होता चला आ रहा है. इसका निर्यात अमेरिका, यूरोप, जर्मनी, फ्रांस सहित दुनिया भर के करीब 50 से 60 देशों में होता है. भदोही का यह परंपरागत उत्पाद बीते 28 मई 2023 को दिल्ली में नवउद्घाटित संसद भवन की सेंट्रल विस्टा में भी अपनी चमक, धमक बिखेर रहा है. वहीं यशोभूमि भारत मण्डपम में भी भदोही का सतरंगी गलीचा छाया रहा. भदोही अकेले देश का 35 से 40 प्रतिशत कालानी का उत्पादन अकेले करता है. हाल ही बीते अक्टूबर माह में भदोही के कार्पेट एक्सपो मार्ट में चार दिवसीय एक्सपो का आयोजन हुआ था, जिसमें 60 देशों के करीब 700 खरीददार शामिल हुए थे. सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी मेले में शामिल हुए थे. 'एक जिला एक उत्पाद योजना' में भी भदोही का कार्पेट शामिल है.

जेल में बंदी भी करते हैं कालीन की बुनाई : गलीचे के शहर भदोही में कैदी भी कालीन बुनाई का काम कर रहे हैं. उनकी अंगुलियों की कुशल कारीगरी तीन-चार कालीन निर्यातकों के जरिये जापान, इंग्लैंड व यूएस सहित करीब छह देशों तक पहुंच चुकी है. डीएम भदोही ने पिछले दिनों बताया था कि करीब 50 से 60 कैदी ज्ञानपुर जेल में भी कालीन बुनाई का काम कर रहे हैं. उनकी कारीगरी को और पहचान मिल सके, इसलिए प्रयास करके निर्यातकों द्वारा उसे विदेशों तक भेजा जा रहा है. हाल ही में आयोजित कालीन मेले में भी जिला कारागार कार्पेट का एक स्टॉल लगाया गया था. वहीं अब अयोध्या में नवनिर्मित हो रहे भगवान श्री रामचन्द्र जी के मंदिर में भी उनके द्वारा बुनी गई वॉल हैंगिंग कार्पेट लगाई जाएगी.

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