बेंगलूरु: प्रसिद्ध कन्नड़ अभिनेता 'कलातपस्वी' राजेश का शनिवार को बेंगलुरु में निधन हो गया. 89 वर्षीय कलातपस्वी को एक सप्ताह पहले स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते बेंगलूरु के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने दोपहर 2.30 बजे अंतिम सांस ली. उनके दामाद और अभिनेता अर्जुन सरजा ने बताया की राजेश के पार्थिव शरीर को शाम तक श्रद्धांजलि देने के लिए उनके विद्यारण्यपुरा स्थित आवास पर रखा जाएगा जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
इस अवसर पर प्रमुख फिल्मी हस्तियों और राजनीतिक नेताओं ने अभिनेता 'कलातपस्वी' के निधन पर शोक व्यक्त किया. उनका जन्म 15 अप्रैल, 1932 को हुआ था. बचपन से ही थिएटर के प्रति आकर्षित होने के कारण, वे कई बार ट्यूशन क्लास बंक कर देते थे. शुरूआती दिनों में वे सुदर्शन नाटक मंडली द्वारा मंचित नाटकों में अभिनय किया करते थे.
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कहा जाता है की वह त्यागराज भागवतर की फिल्मों से बहुत प्रभावित थे और उन्हें अपना आदर्श मानते थे और थिएटर में खुद को प्रमोट करने के लिए ही उन्होंने अपना नाम बदलकर विद्यासागर कर लिया था. अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद एक टाइपिस्ट के रूप में काम करना शुरू किया जिसके कुछ समय बाद उन्होंने अपनी खुद की नाटक मंडली 'शक्ति नाटक मंडली' की स्थापना की. उनके अभिनय से प्रभावित होकर, फिल्म निर्माता हुनसुर कृष्णमूर्ति ने उन्हें अपनी फिल्म 'वीरा संकल्प' में रोल दिया, जिसके बाद औपचारिक रूप से सन् 1964 में सिल्वर स्क्रीन पर उनकी यात्रा शुरू हुई.
इसके बाद सन् 1960 में फिल्म 'नम्मा उरु' से उन्होंने अपना नाम बदलकर राजेश रख लिया. अपने 50 वर्षों के करियर में, उन्होंने 150 से भी अधिक फिल्मों में अभिनय किया. साल 2012 में कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ ने संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान करते हुए सम्मानित किया था. वहीं उनकी आत्मकथा 'कलातपस्वी राजेश आत्मकथे' साल 2014 में प्रकाशित हुई थी.