नई दिल्ली : भारत ने एक खास तरह का ड्रोन विकसित किया है. यह दिखने में हुबहू किसी पक्षी की तरह लगता है. इसे देखकर पड़ोसी मुल्क भी जल-भून रहे होंगे. सेना ने शुक्रवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. सेना ने कहा कि स्वार्म ड्रोन को मैकेनाइज्ड फोर्स में शामिल किया जा रहा है, जो अपने खास प्रौद्योगिकियों और विघटनकारी तकनीकों से लैस है. यह सेना को भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में एक बढ़त प्रदान करेगा.
भारतीय सेना ने इसे दो भारतीय स्टार्टअप कंपनियों से खरीदे हैं. इसके अलावा भारतीय सेना में मेक-II केस ऑटोनॉमस सर्विलांस एंड आर्म्ड ड्रोन स्वार्म को भी शामिल किया गया है. इसमें हाई एल्टीट्यूड एरिया के लिए उपयोग में लाया जाने वाला वर्जन भी शामिल है. इसे भारतीय सेना के मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री, एएसएडीएस, द्वारा संचालित किया जाएगा. एएसएडीएस के पास अपने विरोधी लक्ष्यों को बेअसर करने की विशेषज्ञता हासिल है.
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#KnowYourArmy#SwarmDrones being inducted into the Mechanised Forces, duly embracing the niche & disruptive technologies, will provide an edge to #IndianArmy in meeting future security challenges.#AtmaNirbharBharat #IndianArmy #InStrideWithTheFuture pic.twitter.com/Ly4A9BieAV
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रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े एक सूत्र ने बताया, 'हमारी उत्तरी सीमाओं के साथ हालिया घटनाओं और हमारे पश्चिमी और उत्तरी पड़ोसियों के साथ प्रतिकूल संबंधों के कारण स्वार्म ड्रोन को शामिल करने की आवश्यकता है. यह हमारे सामरिक कमांडरों को अधिक बल देगा. उन्हें कई क्षेत्रों में मदद मिलेगी, मसलन... निगरानी का इनपुट प्रदान करना, अन्य आईएसआर संसाधनों से प्राप्त इनपुट की पुष्टि करने के लिए एक विशेष क्षेत्र की बारीकी से जांच करना, वाहनों, तोपखाने और वायु रक्षा उपकरण, एन्मी कमांड और नियंत्रण केंद्रों के बारे में जानकारी मिल सकती है.'
अधिक महत्वपूर्ण यह है कि ये ड्रोन रक्षात्मक और आक्रामक दोनों तरह के संचालन में सक्षम हैं. भारत सरकार द्वारा अमेरिका से 30 प्रीडेटर' (MQ-9) सीरीज के ड्रोन खरीदने के चल रहे प्रयासों के बीच स्वार्म ड्रोन को शामिल किया जाना रणनीतिक उपलब्धि की तरह है. प्रीडेटर ड्रोन सेना, नौसेना और वायु सेना तीनों जगह अपनी सेवा देगा.
हाल के दिनों में, ड्रोन ने मिलिट्री वर्ल्ड में ग्रैंड एंट्री की है. रुस और यूक्रेन के बीच ही देख लीजिए, कैसे ड्रोन ने युद्ध का रूख बदल दिया. जुलाई 2020 में अजरबैजान-आर्मेनिया संघर्ष में इसने निर्णायक भूमिका निभाई. नागोर्नो-कराबाख और ईरान समर्थित हौथी ड्रोन ने दूर यमन से सऊदी अरब की तेल रिफाइनरियों पर हमला कर दिया.
स्वार्म ड्रोन प्रणाली में कई हवाई वाहन होते हैं, ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस हैं. नियंत्रण स्टेशन के साथ-साथ आपस में संचार करने में सक्षम होते हैं. यह एआई आधारित एल्गोरिदम से लैस है. यह आपस में ही काम बांट लेता है. इनपुट के आधार पर एरिया में काम करता है. टारजेट को साधने में टक्कर से बचे रहते हैं. क्योंकि यह एआई आधारित ड्रोन है और इसमें कई तरह की ऐसी प्रोग्रामिंग की गई है, जो इनपुट के आधार पर लक्ष्य को भेद देता है. यह बंदूक, टैंक, आदमी, वाहन को पहचान पाने में सक्षम है. ये ड्रोन एक दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं. ऑनबोर्ड प्रोसेसर की मदद से स्वायत्त रूप से संचालित होते हैं.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए ये स्वार्म ड्रोन बिना किसी मानव हस्तक्षेप के दुश्मन के इलाके में अंदर तक न केवल घुस सकते हैं, बल्कि अपने लक्ष्य की पहचान कर उन्हें नष्ट भी कर सकते हैं. इसे रिमोट से कंट्रोल किया जाता है.
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