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हिजाब विवाद पर कोर्ट के फैसले के बाद उडुपी में स्कूल और कॉलेज फिर से खुले - muslim girl student karnataka hijab

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उडुपी स्थित ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं और कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है. कोर्ट के फैसले के बाद आज उडुपी में स्कूल और कॉलेज फिर से खुल गए (schools and colleges reopen in Udupi).

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Published : Mar 16, 2022, 10:40 AM IST

Updated : Mar 16, 2022, 12:33 PM IST

उडुपी : कर्नाटक उच्च न्यायालय (karnataka high court on hijab matter) द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज करने के एक दिन बाद उडुपी में स्कूल और कॉलेज फिर से खुल गए (schools and colleges reopen in Udupi) . कोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम के लिए आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है.कोर्ट के आदेश के बाद उडुपी में गवर्नमेंट पीयू कॉलेज फॉर गर्ल्स का दृश्य दिखा जहां, छात्राएं आज कॉलेज जाते हुए दिखीं. बता दें कि, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उडुपी स्थित ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं और कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है.तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकती.

कर्नाटक के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी सी नागेश ने आदेश का स्वागत किया और इसे ऐतिहासिक बताया. मुख्य न्यायाधीश ऋतु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जे एम खाजी की पीठ ने आदेश का एक अंश पढ़ते हुए कहा, ‘‘हमारी राय है कि मुस्लिम महिलाओं का हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है.पीठ ने यह भी कहा कि सरकार के पास पांच फरवरी, 2022 के सरकारी आदेश को जारी करने का अधिकार है और इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता है। इस आदेश में राज्य सरकार ने उन वस्त्रों को पहनने पर रोक लगा दी है, जिससे स्कूल और कॉलेज में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित होती है। मुस्लिम लड़कियों ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.

पढ़ें : Hijab Row: हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं, याचिका खारिज

बता दें कि, कक्षाओं में हिजाब पहनने की इजाजत दिए जाने के मामले को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाने वाली मुस्लिम छात्राओं ने मंगलवार को कहा कि वे बिना हिजाब के कॉलेज नहीं जाएंगी और ‘इंसाफ’ मिलने तक कानूनी तौर पर लड़ेंगी. उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया। छात्राओं ने फैसले को ‘असंवैधानिक’ करार दिया है. एक छात्रा ने इस तटीय शहर में एक प्रेस वार्ता में कहा, “ हमने कक्षाओं में हिजाब पहनने की इजाजत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था। आदेश हमारे खिलाफ आया है. हम बिना हिजाब के कॉलेज नहीं जाएंगे, लेकिन इसके लिए लड़ेंगे. हम सभी कानूनी तरीकों का इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे। हम इंसाफ और अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे. छात्रा ने कहा, आज आया फैसला असंवैधानिक है... संविधान हमें हमारे मज़हब का पालन करने का अधिकार देता है और यह भी अधिकार देता है कि मैं कुछ भी पहन सकती हूं. उन्होंने पांच फरवरी के सरकार के आदेश का भी हवाला दिया जो परिसर में शांति, सद्भाव और लोक व्यवस्था को बाधित करने वाले किसी भी तरह के कपड़े को पहनने पर रोक लगाता है. उनके मुताबिक, परिपत्र उनके उच्च न्यायालय का रुख करने के बाद आया.

उडुपी : कर्नाटक उच्च न्यायालय (karnataka high court on hijab matter) द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज करने के एक दिन बाद उडुपी में स्कूल और कॉलेज फिर से खुल गए (schools and colleges reopen in Udupi) . कोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम के लिए आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है.कोर्ट के आदेश के बाद उडुपी में गवर्नमेंट पीयू कॉलेज फॉर गर्ल्स का दृश्य दिखा जहां, छात्राएं आज कॉलेज जाते हुए दिखीं. बता दें कि, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उडुपी स्थित ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं और कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है.तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकती.

कर्नाटक के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी सी नागेश ने आदेश का स्वागत किया और इसे ऐतिहासिक बताया. मुख्य न्यायाधीश ऋतु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जे एम खाजी की पीठ ने आदेश का एक अंश पढ़ते हुए कहा, ‘‘हमारी राय है कि मुस्लिम महिलाओं का हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है.पीठ ने यह भी कहा कि सरकार के पास पांच फरवरी, 2022 के सरकारी आदेश को जारी करने का अधिकार है और इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता है। इस आदेश में राज्य सरकार ने उन वस्त्रों को पहनने पर रोक लगा दी है, जिससे स्कूल और कॉलेज में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित होती है। मुस्लिम लड़कियों ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.

पढ़ें : Hijab Row: हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं, याचिका खारिज

बता दें कि, कक्षाओं में हिजाब पहनने की इजाजत दिए जाने के मामले को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाने वाली मुस्लिम छात्राओं ने मंगलवार को कहा कि वे बिना हिजाब के कॉलेज नहीं जाएंगी और ‘इंसाफ’ मिलने तक कानूनी तौर पर लड़ेंगी. उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया। छात्राओं ने फैसले को ‘असंवैधानिक’ करार दिया है. एक छात्रा ने इस तटीय शहर में एक प्रेस वार्ता में कहा, “ हमने कक्षाओं में हिजाब पहनने की इजाजत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था। आदेश हमारे खिलाफ आया है. हम बिना हिजाब के कॉलेज नहीं जाएंगे, लेकिन इसके लिए लड़ेंगे. हम सभी कानूनी तरीकों का इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे। हम इंसाफ और अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे. छात्रा ने कहा, आज आया फैसला असंवैधानिक है... संविधान हमें हमारे मज़हब का पालन करने का अधिकार देता है और यह भी अधिकार देता है कि मैं कुछ भी पहन सकती हूं. उन्होंने पांच फरवरी के सरकार के आदेश का भी हवाला दिया जो परिसर में शांति, सद्भाव और लोक व्यवस्था को बाधित करने वाले किसी भी तरह के कपड़े को पहनने पर रोक लगाता है. उनके मुताबिक, परिपत्र उनके उच्च न्यायालय का रुख करने के बाद आया.

Last Updated : Mar 16, 2022, 12:33 PM IST
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