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Ayodhya के संत बोले, आश्रम की जमीन का अधिग्रहण न करे Yogi सरकार, दी आंदोलन की चेतावनी - Ashram Land in Ayodhya

अयोध्या के संतों (Saint of Ayodhya) ने एकसुर में कहा है कि आश्रम की जमीन (Ashram Land in Ayodhya) का योगी सरकार (Yogi Government) अधिग्रहण न करे. ऐसा करने पर संतों ने आंदोलन की चेतावनी दी है. इस मामले को लेकर संतों ने अयोध्या में एक बैठक भी की. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 12, 2023, 7:35 AM IST

अयोध्या में संतों ने की अहम बैठक.

अयोध्या: धार्मिक नगरी अयोध्या में विकास को लेकर चल रही तमाम योजनाओं के चलते आम लोगों के साथ ही साधु-संतों के आश्रम की भूमि (Ashram Land in Ayodhya) का भी अधिग्रहण किया जा रहा है. इसे लेकर अयोध्या के संत (Saint of Ayodhya) बेहद नाराज है. साधु संतों का आरोप है कि उनके आश्रम और आश्रम से जुड़ी संपत्ति को नजूल भूमि बताकर जबरिया अधिग्रहित करने का प्रयास किया जा रहा है. इस मामले को लेकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बेहद करीबी महंत नृत्य गोपाल दास के आश्रम वाल्मिकी भवन में एक बड़ी बैठक आयोजित की गई. इसमें संतों ने एकसुर में कहा कि योगी सरकार (Yogi Government) आश्रम की जमीन का अधिग्रहण न करें. यदि ऐसा होगा तो संत आंदोलन करेंगे.

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बैठक में संतों ने बड़ी संख्या में भाग लिया.

बुधवार की देर शाम वाल्मिकी भवन में आयोजित बैठक में विभिन्न संप्रदायों के साधु संत शामिल हुए. हनुमानगढ़ी के विभिन्न पट्टियों के नागा, साधु-संत, महंत और अयोध्या के तमाम प्रमुख मंदिरों के महंत इस बैठक में शामिल हुए. बैठक में अयोध्या के साधु-संतों ने विकास योजनाओं के नाम पर भूमि अधिग्रहण पर कड़ी नाराजगी जताई.

मणिरामदास छावनी के उत्तराधिकारी महंत और महंत नृत्य गोपाल दास के शिष्य महंत कमलनयन दास ने कहा कि अयोध्या में साधु संतों और आम नागरिकों के पास जो जमीन है वह वैध है. सरकार को आवश्यक शुल्क देकर इन जमीनों को आश्रम और गृहस्थों ने लिया है. आज विकास योजनाओं के नाम पर जमीनों को नजूल भूमि और डूब क्षेत्र बताकर अधिग्रहित किया जा रहा है. उसके बदले ना ही समुचित मुआवजा दिया जा रहा है और ना ही उसके बदले दूसरे स्थान पर उन्हें बसाने की योजना बनाई जा रही है. यह गलत है.

अयोध्या के साधु संत और आम नागरिक इसके खिलाफ है. हम अपने आश्रम की जमीन को नहीं देंगे. जबरिया अगर कोई प्रयास किया जाएगा तो इसके लिए एक जन आंदोलन खड़ा करेंगे. इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना जाना चाहिए. अयोध्या के आम लोगों को उजाड़ कर अयोध्या का विकास कराना चाहिए.

दशरथ जी का महल बड़ा स्थान के महंत बिंदुगद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य ने कहा कि अयोध्या के साधु संत धार्मिक नगरी के विकास के विरोध में नहीं है. हम चाहते हैं कि अयोध्या का विकास हो लेकिन इसकी कीमत आम अयोध्या वासी और साधु संत अपने घर, मकान, जमीन और आश्रम का बलिदान देकर नहीं चुकाना चाहते. सरकार के द्वारा अधिकृत किए गए अधिकारियों को पुनर्विचार करना चाहिए. अयोध्या धार्मिक नगरी है लोग यहां आकर रहना चाहते हैं और आज आम अयोध्या वासियों को उजाड़ा जा रहा है. हमारी मांग है कि अयोध्या एक आध्यात्मिक नगरी है इसे पिकनिक स्पॉट न बनाया जाए.

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अयोध्या में संतों ने की अहम बैठक.

अयोध्या: धार्मिक नगरी अयोध्या में विकास को लेकर चल रही तमाम योजनाओं के चलते आम लोगों के साथ ही साधु-संतों के आश्रम की भूमि (Ashram Land in Ayodhya) का भी अधिग्रहण किया जा रहा है. इसे लेकर अयोध्या के संत (Saint of Ayodhya) बेहद नाराज है. साधु संतों का आरोप है कि उनके आश्रम और आश्रम से जुड़ी संपत्ति को नजूल भूमि बताकर जबरिया अधिग्रहित करने का प्रयास किया जा रहा है. इस मामले को लेकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बेहद करीबी महंत नृत्य गोपाल दास के आश्रम वाल्मिकी भवन में एक बड़ी बैठक आयोजित की गई. इसमें संतों ने एकसुर में कहा कि योगी सरकार (Yogi Government) आश्रम की जमीन का अधिग्रहण न करें. यदि ऐसा होगा तो संत आंदोलन करेंगे.

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बैठक में संतों ने बड़ी संख्या में भाग लिया.

बुधवार की देर शाम वाल्मिकी भवन में आयोजित बैठक में विभिन्न संप्रदायों के साधु संत शामिल हुए. हनुमानगढ़ी के विभिन्न पट्टियों के नागा, साधु-संत, महंत और अयोध्या के तमाम प्रमुख मंदिरों के महंत इस बैठक में शामिल हुए. बैठक में अयोध्या के साधु-संतों ने विकास योजनाओं के नाम पर भूमि अधिग्रहण पर कड़ी नाराजगी जताई.

मणिरामदास छावनी के उत्तराधिकारी महंत और महंत नृत्य गोपाल दास के शिष्य महंत कमलनयन दास ने कहा कि अयोध्या में साधु संतों और आम नागरिकों के पास जो जमीन है वह वैध है. सरकार को आवश्यक शुल्क देकर इन जमीनों को आश्रम और गृहस्थों ने लिया है. आज विकास योजनाओं के नाम पर जमीनों को नजूल भूमि और डूब क्षेत्र बताकर अधिग्रहित किया जा रहा है. उसके बदले ना ही समुचित मुआवजा दिया जा रहा है और ना ही उसके बदले दूसरे स्थान पर उन्हें बसाने की योजना बनाई जा रही है. यह गलत है.

अयोध्या के साधु संत और आम नागरिक इसके खिलाफ है. हम अपने आश्रम की जमीन को नहीं देंगे. जबरिया अगर कोई प्रयास किया जाएगा तो इसके लिए एक जन आंदोलन खड़ा करेंगे. इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना जाना चाहिए. अयोध्या के आम लोगों को उजाड़ कर अयोध्या का विकास कराना चाहिए.

दशरथ जी का महल बड़ा स्थान के महंत बिंदुगद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य ने कहा कि अयोध्या के साधु संत धार्मिक नगरी के विकास के विरोध में नहीं है. हम चाहते हैं कि अयोध्या का विकास हो लेकिन इसकी कीमत आम अयोध्या वासी और साधु संत अपने घर, मकान, जमीन और आश्रम का बलिदान देकर नहीं चुकाना चाहते. सरकार के द्वारा अधिकृत किए गए अधिकारियों को पुनर्विचार करना चाहिए. अयोध्या धार्मिक नगरी है लोग यहां आकर रहना चाहते हैं और आज आम अयोध्या वासियों को उजाड़ा जा रहा है. हमारी मांग है कि अयोध्या एक आध्यात्मिक नगरी है इसे पिकनिक स्पॉट न बनाया जाए.

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