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मोदी सरकार ने विपक्ष के 141 सांसदों को क्यों किया निलंबित, जानें वजह - निलंबित विपक्षी सांसद

Reason for suspension of MPs from Parliament : लोकसभा में आज निलंबनों की फिर बरसात हुई. 49 सदस्य आज इस सत्र के लिए और निलंबित किए गए. कुल मिला कर अब तक 141 सांसद इस सत्र के लिए निलंबित किए जा चुके हैं. हालांकि इस सत्र में अब तीन दिन और बचे हैं और सरकार जिस तरह से हंगामे के बीच कामकाज करती आ रही है, बिना निलंबन के भी काम चलाया जा सकता था. तो सवाल ये कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में सांसदों को सस्पेंड करने के मायने क्या है. बीजेपी की रणनीति क्या है और वो इस फैसले से विपक्ष और देश को क्या मैसेज देना चाहते हैं.

suspended opposition mps
संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 19, 2023, 2:14 PM IST

Updated : Dec 19, 2023, 6:07 PM IST

नई दिल्ली : भाजपा संगठन से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि दरअसल मैसेज बहुत साफ है, पार्टी मोदी की ‘नो-नॉनसेंस प्राइम मिनिस्टर’ की छवि बनाना चाहती है. दुनिया भर में देश की छवि जब मजबूत दिखाई देने लगी हो, तो उसके मुखिया की भी छवि कड़े फैसले लेने वाली बननी चाहिए. इस नेता ने बताया कि दरअसल पार्टी के भीतर कुछ लोगों का कहना था कि अगर 2019 में जनता ने एनडीए को बड़े जनादेश के साथ सरकार बनाने के लिए चुना, तो वे संसद के भीतर अनुशासनहीनता क्यों बर्दाश्त कर रहे हैं. अगर कर रहे हैं, तो ये जवाबदेही सरकार की होगी क्योंकि जनता ने उन्हें पूरा मैंडेट दे कर तो भेजा ही था. अब वे काम न कर पाएं, संसद और देश न चला पाएं, तो ये उनकी गलती होगी.

कुछ यही सोच कर निलंबन के फैसले हुए जिससे मैसेज जाए कि सरकार संसद के भीतर बहस के लिए तो तैयार है, लेकिन नियमों के खिलाफ हंगामा करना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. कुल मिलाकर बीजेपी की कोशिश है कि 2024 के आम चुनावों के लिए नरेंद्र मोदी की छवि दमदार प्रधानमंत्री की बना दी जाए. बाकी बचे तीन-चार महीनों में इस छवि को और मजबूत करने की कोशिश होगी. संदेश साफ है कि लोकतंत्र के नाम पर विपक्ष की ब्लैकमेलिंग बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

ज़ाहिर है हाल ही में तीन राज्यों में सरकार बनने के बाद बीजेपी का मनोबल अपने चरम पर है. लोकसभा के आम चुनावों से ठीक चार महीने पहले तीन बड़े राज्यों में उम्मीद के विपरीत बड़ा जनादेश मिलने से पार्टी का हौसला बढ़ा है. उनका अंदाज़ा है कि सांसदों के निलंबन से उनकी छवि मजबूत सरकार की बनेगी और आने वाले चुनावों में इससे फायदा होगा.

लेकिन कांग्रेस के नेता तारिक अनवर इसे अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक करार देते हैं. उनका मानना है कि ‘नो नॉनसेंस प्राइममिनिस्टर ’ की छवि गढ़ने का मतलब साफ है कि बीजेपी भी अब ‘वन मैन पार्टी’ बनने की ओर बढ़ रही है.

तारिक अनवर कहते हैं- तीन चुनाव क्या जीत गए, ये लोग सोचने लगे कि हम बेताज बादशाह हो गए. निलंबन के फैसले बताते हैं कि ये सरकार और प्रधानमंत्री कितने दम्भी हो गए हैं. ये सरासर लोकतंत्र को खत्म करने की साज़िश हो रही है.

17वीं लोकसभा अपने उतार पर है और शीतकालीन सत्र के बस तीन दिन और बचे हैं. इसके बाद चुनावों से पहले सिर्फ बजट सेशन बाकी है. ज़ाहिर है विपक्ष भी झुकने वाला नहीं है क्योंकि चुनाव से पहले विरोध करते हुए शहीद हो जाना उनके लिए एक बेहतर विकल्प की तरह है.

पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल के समक्ष संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने रखा सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव.

आज संसद में क्या-क्या हुआ - लोकसभा में तख्तियां दिखाने और सदन की अवमानना करने को लेकर मंगलवार को फारूक अब्दुल्ला, शशि थरूर, मनीष तिवारी और सुप्रिया सुले सहित 49 और विपक्षी सदस्यों को संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया. सदन की अवमानना के मामले में अब तक कुल 95 लोकसभा सदस्यों को निलंबित किया जा चुका है. इससे पहले गत सप्ताह गुरुवार को 13 सदस्यों को और सोमवार को 33 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था.

सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर शुरू हुई तो पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने सदस्यों के नाम लेते हुए कहा कि अप्रिय प्रसंग है कि अनेक बार अनुरोध के बावजूद आप निरंतर नियमों की अवहेलना कर रहे हैं. आसन की अवहेलना कर रहे हैं. उन्होंने संसद में सुरक्षा चूक के मामले में आसन के समीप आकर नारेबाजी कर रहे विपक्षी सांसदों से कहा कि आप निरंतर आग्रह के बाद भी मर्यादा का उल्लंघन कर रहे हैं और आपने आसन को कार्यवाही के लिए विवश किया है. इसलिए आपको 'नेम' करना पड़ रहा है.

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ था कि कोई सदस्य सदन के अंदर 'प्लेकार्ड' या तख्ती नहीं लाएंगे, उसके बावजूद सांसद आसन का, सदन का और जनादेश का अपमान कर रहे हैं. उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि हाल ही में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इनका जो हाल हुआ है, उसकी हताशा के कारण ऐसा कदम उठा रहे हैं. जोशी ने कहा कि अगर आप ऐसे ही करते रहे तो अगले चुनाव के बाद आप भी यहां नहीं आ पाएंगे.

इसके बाद संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 49 विपक्षी सदस्यों का नाम लेकर उन्हें तख्तियां दिखाने और आसन की अवमानना करने के मामले में निलंबित करने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. निलंबित किए गए सदस्यों में कांग्रेस के शशि थरूर, मनीष तिवारी, गुरजीत सिंह औजला, सप्तगिरि उलाका, प्रद्युत बोरदोलोई, गीता कोड़ा, ज्योत्सना महंत, जसवीर गिल, कार्ति चिदंबरम, मोहम्मद सादिक, एम के विष्णु प्रसाद, रवनीत सिंह बिट्टू, के. सुधाकरन, वी. वैथिलिंगम, फ्रांसिस्को सरदिन्हा, अदूर प्रकाश, चेल्ला कुमार और प्रतिभा सिंह शामिल हैं.

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के निलंबित किए गए सदस्यों में एस. जगतरक्षण, एस. आर. पार्थिबन, ए. गणेश मूर्ति, पी. वेलूस्वामी, डीएनवी सेंथिल कुमार और एम. धनुष कुमार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के निलंबित सदस्यों में सुप्रिया सुले, अमोल कोल्हे और पी.पी. मोहम्मद फैजल शामिल हैं.

लोकसभा से जनता दल (यू) के राजीव रंजन सिंह, गिरधारी यादव, संतोष कुमार, दुलाल चंद गोस्वामी, दिनेश चंद्र यादव, महाबली सिंह, दिनेश्वर कामत, सुनील कुमार, चंद्रेश्वर प्रसाद और आलोक कुमार सुमन को भी सदन से निलंबित किया गया है. तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, माला राय, सजदा अहमद और खलीलुर रहमान को, समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव और एस टी हसन को तथा नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला एवं हसनैन मसूदी को भी निलंबित कर दिया गया है.

इनके अलावा बहुजन समाज पार्टी से हाल में निलंबित किए गए लोकसभा सदस्य दानिश अली, वीसीके सांसद थोल तिरुमावलवन, आईयूएमएल के अब्दुस समद समदानी और आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार रिंकू को भी निलंबित किया गया है. सदस्यों को निलंबित किये जाने के बाद पीठासीन सभापति अग्रवाल ने कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी.

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नई दिल्ली : भाजपा संगठन से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि दरअसल मैसेज बहुत साफ है, पार्टी मोदी की ‘नो-नॉनसेंस प्राइम मिनिस्टर’ की छवि बनाना चाहती है. दुनिया भर में देश की छवि जब मजबूत दिखाई देने लगी हो, तो उसके मुखिया की भी छवि कड़े फैसले लेने वाली बननी चाहिए. इस नेता ने बताया कि दरअसल पार्टी के भीतर कुछ लोगों का कहना था कि अगर 2019 में जनता ने एनडीए को बड़े जनादेश के साथ सरकार बनाने के लिए चुना, तो वे संसद के भीतर अनुशासनहीनता क्यों बर्दाश्त कर रहे हैं. अगर कर रहे हैं, तो ये जवाबदेही सरकार की होगी क्योंकि जनता ने उन्हें पूरा मैंडेट दे कर तो भेजा ही था. अब वे काम न कर पाएं, संसद और देश न चला पाएं, तो ये उनकी गलती होगी.

कुछ यही सोच कर निलंबन के फैसले हुए जिससे मैसेज जाए कि सरकार संसद के भीतर बहस के लिए तो तैयार है, लेकिन नियमों के खिलाफ हंगामा करना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. कुल मिलाकर बीजेपी की कोशिश है कि 2024 के आम चुनावों के लिए नरेंद्र मोदी की छवि दमदार प्रधानमंत्री की बना दी जाए. बाकी बचे तीन-चार महीनों में इस छवि को और मजबूत करने की कोशिश होगी. संदेश साफ है कि लोकतंत्र के नाम पर विपक्ष की ब्लैकमेलिंग बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

ज़ाहिर है हाल ही में तीन राज्यों में सरकार बनने के बाद बीजेपी का मनोबल अपने चरम पर है. लोकसभा के आम चुनावों से ठीक चार महीने पहले तीन बड़े राज्यों में उम्मीद के विपरीत बड़ा जनादेश मिलने से पार्टी का हौसला बढ़ा है. उनका अंदाज़ा है कि सांसदों के निलंबन से उनकी छवि मजबूत सरकार की बनेगी और आने वाले चुनावों में इससे फायदा होगा.

लेकिन कांग्रेस के नेता तारिक अनवर इसे अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक करार देते हैं. उनका मानना है कि ‘नो नॉनसेंस प्राइममिनिस्टर ’ की छवि गढ़ने का मतलब साफ है कि बीजेपी भी अब ‘वन मैन पार्टी’ बनने की ओर बढ़ रही है.

तारिक अनवर कहते हैं- तीन चुनाव क्या जीत गए, ये लोग सोचने लगे कि हम बेताज बादशाह हो गए. निलंबन के फैसले बताते हैं कि ये सरकार और प्रधानमंत्री कितने दम्भी हो गए हैं. ये सरासर लोकतंत्र को खत्म करने की साज़िश हो रही है.

17वीं लोकसभा अपने उतार पर है और शीतकालीन सत्र के बस तीन दिन और बचे हैं. इसके बाद चुनावों से पहले सिर्फ बजट सेशन बाकी है. ज़ाहिर है विपक्ष भी झुकने वाला नहीं है क्योंकि चुनाव से पहले विरोध करते हुए शहीद हो जाना उनके लिए एक बेहतर विकल्प की तरह है.

पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल के समक्ष संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने रखा सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव.

आज संसद में क्या-क्या हुआ - लोकसभा में तख्तियां दिखाने और सदन की अवमानना करने को लेकर मंगलवार को फारूक अब्दुल्ला, शशि थरूर, मनीष तिवारी और सुप्रिया सुले सहित 49 और विपक्षी सदस्यों को संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया. सदन की अवमानना के मामले में अब तक कुल 95 लोकसभा सदस्यों को निलंबित किया जा चुका है. इससे पहले गत सप्ताह गुरुवार को 13 सदस्यों को और सोमवार को 33 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था.

सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर शुरू हुई तो पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने सदस्यों के नाम लेते हुए कहा कि अप्रिय प्रसंग है कि अनेक बार अनुरोध के बावजूद आप निरंतर नियमों की अवहेलना कर रहे हैं. आसन की अवहेलना कर रहे हैं. उन्होंने संसद में सुरक्षा चूक के मामले में आसन के समीप आकर नारेबाजी कर रहे विपक्षी सांसदों से कहा कि आप निरंतर आग्रह के बाद भी मर्यादा का उल्लंघन कर रहे हैं और आपने आसन को कार्यवाही के लिए विवश किया है. इसलिए आपको 'नेम' करना पड़ रहा है.

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ था कि कोई सदस्य सदन के अंदर 'प्लेकार्ड' या तख्ती नहीं लाएंगे, उसके बावजूद सांसद आसन का, सदन का और जनादेश का अपमान कर रहे हैं. उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि हाल ही में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इनका जो हाल हुआ है, उसकी हताशा के कारण ऐसा कदम उठा रहे हैं. जोशी ने कहा कि अगर आप ऐसे ही करते रहे तो अगले चुनाव के बाद आप भी यहां नहीं आ पाएंगे.

इसके बाद संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 49 विपक्षी सदस्यों का नाम लेकर उन्हें तख्तियां दिखाने और आसन की अवमानना करने के मामले में निलंबित करने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. निलंबित किए गए सदस्यों में कांग्रेस के शशि थरूर, मनीष तिवारी, गुरजीत सिंह औजला, सप्तगिरि उलाका, प्रद्युत बोरदोलोई, गीता कोड़ा, ज्योत्सना महंत, जसवीर गिल, कार्ति चिदंबरम, मोहम्मद सादिक, एम के विष्णु प्रसाद, रवनीत सिंह बिट्टू, के. सुधाकरन, वी. वैथिलिंगम, फ्रांसिस्को सरदिन्हा, अदूर प्रकाश, चेल्ला कुमार और प्रतिभा सिंह शामिल हैं.

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के निलंबित किए गए सदस्यों में एस. जगतरक्षण, एस. आर. पार्थिबन, ए. गणेश मूर्ति, पी. वेलूस्वामी, डीएनवी सेंथिल कुमार और एम. धनुष कुमार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के निलंबित सदस्यों में सुप्रिया सुले, अमोल कोल्हे और पी.पी. मोहम्मद फैजल शामिल हैं.

लोकसभा से जनता दल (यू) के राजीव रंजन सिंह, गिरधारी यादव, संतोष कुमार, दुलाल चंद गोस्वामी, दिनेश चंद्र यादव, महाबली सिंह, दिनेश्वर कामत, सुनील कुमार, चंद्रेश्वर प्रसाद और आलोक कुमार सुमन को भी सदन से निलंबित किया गया है. तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, माला राय, सजदा अहमद और खलीलुर रहमान को, समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव और एस टी हसन को तथा नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला एवं हसनैन मसूदी को भी निलंबित कर दिया गया है.

इनके अलावा बहुजन समाज पार्टी से हाल में निलंबित किए गए लोकसभा सदस्य दानिश अली, वीसीके सांसद थोल तिरुमावलवन, आईयूएमएल के अब्दुस समद समदानी और आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार रिंकू को भी निलंबित किया गया है. सदस्यों को निलंबित किये जाने के बाद पीठासीन सभापति अग्रवाल ने कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी.

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Last Updated : Dec 19, 2023, 6:07 PM IST
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